छोटा बड़दा में लगातार सत्याग्रह कर रही समाजसेवी मेधा पाटकर की तबीयत एकाएक बिगड़ गई. वह बीते आठ दिनों से नर्मदा चुनौती सत्याग्रह कर रही हैं. शनिवार दोपहर एडिशनल एसपी सुनीता रावत दल बल के सहित मेधा पाटकर से मिलने पहुंची, जिसका वहां मौजूद डूब प्रभावितों और आंदोलनकारियों ने जमकर विरोध किया. डूब प्रभावितों का कहना था कि अधिकारी यदि मिलना चाहते हैं तो उसके लिए पुलिस बल की कोई आवश्यकता नहीं. वहीं इस मामले में मेधा पाटकर का भी बड़ा बयान सामने आया है. मेधा पाटकर ने सीएम कमलनाथ से फोन पर चर्चा होने की बात कही. इस दौरान कमलनाथ ने उनसे उपवास तोड़ने का भी आग्रह किया साथ ही उन्हें भोपाल बुलावा देकर चर्चा करने की बात कही.
पीएम मोदी ने सरदार सरोवर भरने पर खुशी जताई, मेधा पाटकर का 'नर्मदा चुनौती सत्याग्रह' जारी
इस बात का जवाब देते हुए मेधा ने कहा की तीन बार भोपाल जा चुके, जहां दिग्विजय सिंह और एनवीडीए मंत्री से कई मुद्दों पर चर्चा हुई जिसमें से एक भी मुद्दे पर आज तक कोई जवाब नहीं आया है. इस दौरान राजघाट और जांगरवा में तीन डूब प्रभावित की हुई मौत की जांच रिपोर्ट भी अब तक नहीं आई है. उन्होंने कहा कि हमने जो दस्वातेज मांगे हैं वह भी अब तक नहीं दिए गए. पाटकर ने इस दौरान एनसीए के निर्णयों के विपरीत नर्मदा का जल स्तर लगातार बढ़ाया जाने का आरोप भी लगाया.
केंद्र और गुजरात सरकार की 192 गांवों और एक नगर को डुबोने की साजिश : नर्मदा बचाओ आंदोलन
उन्होंने कहा कि एक तरफ लोग मर रहे हैं और पीएम मोदी ऐसे में अपना जन्मदिन मनाना चाहते हैं, लेकिन किसी के मरण दिन पर जन्मदिन मनाना शोभा नहीं देता. विकास के नाम पर यह अमानवीय चेहरा है और पर्यटन के नाम पर कश्मीर की झील की तरह इसे बताया जा रहा है. नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं की मांग है कि डूब प्रभावितों के पुनर्वास के बगैर डैम में जलस्तर को 138.68 मीटर तक न पहुंचने दिया जाए.
नर्मदा बांध प्रभावितों के पुनर्वास का सवाल दशकों बाद भी अपनी जगह बरकरार
गौरतलब है कि नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर छोड़ा बड़दा में नर्मदा चुनौती अनिश्चितकालीन सत्याग्रह में तीसरे दिन भी अपने साथियों के साथ बैठी रहीं थी. आंदोलनकारियों का आरोप था कि केंद्र और गुजरात सरकार 192 गांवों और एक नगर को बिना पुनर्वास डुबाने की साजिश रच रहा है, जबकि वहां आज भी 32,000 परिवार रहते हैं. इस स्थिति में बांध में 138.68 मीटर पानी भरने से 192 गांव और एक नगर की जल हत्या होगी. बांध में 134 मीटर पानी भरने से कई गांव जलमग्न हो गए हैं. हजारों हेक्टेयर जमीन डूब गई. गांववालों का आरोप है कि सर्वोच्च अदालत के फैसले के बावजूद कई विस्थापितों को अभी तक 60 लाख रुपये नहीं मिले, कई घरों का भू-अर्जन भी नहीं हुआ. आंदोलनकारियों की मांग है कि पूर्व की राज्य सरकार ने जो भी किया उसे सामने लाकर मध्यप्रदेश सरकार को गुजरात और केंद्र सरकार से बात करके बांध के गेट खुलवाना चाहिए और पुनर्वास का काम तत्काल करना चाहिए.
मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव ने नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (NCA) को मई में जो पत्र भेजा है उसके मुताबिक 76 गांवों में 6000 परिवार डूब क्षेत्र में रहते हैं, जबकि 8500 अर्जियां, 2952 खेती या 60 लाख की पात्रता के लिए लंबित हैं. लेकिन नर्मदा बचाओ आंदोलन के मुताबिक इन इलाकों में 32000 परिवार रहते हैं.
आंदोलनकारियों की मांग है कि किसी भी हालत में सरदार सरोवर में 122 मीटर के ऊपर पानी नहीं रहना चाहिए. फिलहाल इस मांग को लेकर मेधा पाटकर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठी हैं, उनके साथ प्रभावित गांव की चार महिलाएं भी क्रमिक अनशन पर बैठी हैं.
VIDEO : मेधा पाटकर का जल सत्याग्रह
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