मुजफ्फरनगर:
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में शनिवार को भड़की हिंसा में सोमवार को मरने वालों की संख्या 30 तक पहुंच गई है। सोमवार को जिले के प्रभावित इलाकों, खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में सेना का फ्लैग मार्च और पुलिस की गश्त जारी है, हिंसा को रोकने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। इस बीच, सरकार ने हिंसा की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया है।
गृह सचिव कमल सक्सेना ने बताया कि उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश विष्णु सहाय की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया गया है। यह आयोग मुजफ्फरनगर में हुई हिंसा की जांच करेगा और दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) के महानिरीक्षक आशीष गुप्ता ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान हिंसा में अब तक 30 लोगों के मारे जाने और 48 के घायल होने की पुष्टि की।
गुप्ता ने बताया कि हिंसा के मामले जिन लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई गई है, उनकी गिरफ्तारी जल्द ही शुरू की जाएगी। अब तक 90 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हर 12 घंटे के भीतर स्थिति की समीक्षा की जाएगी।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को कहा कि मुजफ्फरनगर में चल रही हिंसा पर जल्द ही काबू पा लिया जाएगा। इस मामले में आज उनकी प्रधानमंत्री और राज्यपाल से बात हुई है। उन्होंने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। जो लोग माहौल बिगाड़ने की साजिश रच रहे हैं, उन्हें सफल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। लोग अफवाहों पर ध्यान न दें। सरकार जांच में जुटी हुई है और जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
सूबे के पुलिस महानिदेशक देवराज नागर ने कहा कि हिंसा को जल्द ही काबू में कर लिया जाएगा। जिले की स्थिति में पहले से काफी सुधार हुआ है। लोगों से अपील है कि वह अफवाहों पर ध्यान न दें और किसी भी तरह की सूचना मिलने पर तत्काल पुलिस से बात करें।
नागर ने कहा कि अफवाहों के सहारे ग्रामीण इलाकों में माहौल बिगाड़ने की साजिश रची जा रही है। जनता के सहयोग से इसे नाकाम करना है और जनता से उम्मीद है कि वह पुलिस के साथ सहयोग करे।
इस बीच, सपा प्रमुख मुलायम सिंह के आवास पर मुख्यमंत्री और आला अधिकारियों की लगभग एक घंटे तक अहम बैठक चली जिसमें मुजफ्फरनगर के हालात पर चर्चा की गई। बैठक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, प्रमुख सचिव (गृह) आरएम श्रीवास्तव, मुख्य सचिव जावेद उस्मानी और पुलिस महानिदेशक देवराज नागर भी शामिल हुए।
जिले में शनिवार को भड़की हिंसा को रोकने के लिए सेना और पुलिस को तैनात किया गया है। शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण इलाकों में भी सेना और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई देर रात तक जारी रही। सोमवार को सेना उन ग्रामीण इलाकों में पहुंची, जहां ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं।
इस बीच, मुजफ्फनगर जिले में जारी हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से फोन पर बात की। इसी बीच सूबे के राज्यपाल बीएल जोशी ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर यह जानना चाहा कि शाासन व प्रशासन ने मुजफ्फनगर में दो दिन पहले हुई महापंचायत की सुरक्षा को लेकर क्या कदम उठाए थे।
इधर, बसपा की मुखिया मायावती ने भी दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत के दौरान सूबे में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। मायावती ने कहा कि सूबे में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है और कानून का राज समाप्त हो गया है।
उधर, जिले के कई इलाकों में सेना ने रविवार देर शाम फ्लैग मार्च किया और लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया। जिले के सिविल लाइंस, कोतवाली सहित तीन थाना क्षेत्रों में अभी भी कर्फ्यू लगा हुआ है। एहतियात के तौर पर जिले में सभी स्कूल और कॉलेजों को अगले आदेश तक बंद रखने को आदेश जारी किया गया है। गांवों की गलियों में सेना और पुलिसकर्मियों की गश्त लगातार जारी है।
सेना के हस्तक्षेप के बावजूद हालांकि रविवार देर रात तक पथराव और आगजनी की घटनाएं होती रहीं। आला अधिकारियों का दावा है कि हिंसा पर काबू पा लिया गया है और जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाने की उम्मीद है।
इससे पूर्व, जिले में भड़की हिंसा में रविवार देर रात तक 26 लोगों के मारे जाने और 40 के घायल होने की पुष्टि हुई थी।
उल्लेखनीय है कि लगभग एक सप्ताह पूर्व छेड़छाड़ की एक घटना के बाद भड़की हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई थी। इसी घटना को लेकर शनिवार को महापंचायत बुलाई गई थी। महापंचायत से लौट रहे लोगों पर पथराव के बाद हिंसा भड़क उठी। देखते ही देखते हिंसा कई गांवों तक फैल गई।
गृह सचिव कमल सक्सेना ने बताया कि उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश विष्णु सहाय की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया गया है। यह आयोग मुजफ्फरनगर में हुई हिंसा की जांच करेगा और दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) के महानिरीक्षक आशीष गुप्ता ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान हिंसा में अब तक 30 लोगों के मारे जाने और 48 के घायल होने की पुष्टि की।
गुप्ता ने बताया कि हिंसा के मामले जिन लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई गई है, उनकी गिरफ्तारी जल्द ही शुरू की जाएगी। अब तक 90 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हर 12 घंटे के भीतर स्थिति की समीक्षा की जाएगी।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को कहा कि मुजफ्फरनगर में चल रही हिंसा पर जल्द ही काबू पा लिया जाएगा। इस मामले में आज उनकी प्रधानमंत्री और राज्यपाल से बात हुई है। उन्होंने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। जो लोग माहौल बिगाड़ने की साजिश रच रहे हैं, उन्हें सफल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। लोग अफवाहों पर ध्यान न दें। सरकार जांच में जुटी हुई है और जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
सूबे के पुलिस महानिदेशक देवराज नागर ने कहा कि हिंसा को जल्द ही काबू में कर लिया जाएगा। जिले की स्थिति में पहले से काफी सुधार हुआ है। लोगों से अपील है कि वह अफवाहों पर ध्यान न दें और किसी भी तरह की सूचना मिलने पर तत्काल पुलिस से बात करें।
नागर ने कहा कि अफवाहों के सहारे ग्रामीण इलाकों में माहौल बिगाड़ने की साजिश रची जा रही है। जनता के सहयोग से इसे नाकाम करना है और जनता से उम्मीद है कि वह पुलिस के साथ सहयोग करे।
इस बीच, सपा प्रमुख मुलायम सिंह के आवास पर मुख्यमंत्री और आला अधिकारियों की लगभग एक घंटे तक अहम बैठक चली जिसमें मुजफ्फरनगर के हालात पर चर्चा की गई। बैठक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, प्रमुख सचिव (गृह) आरएम श्रीवास्तव, मुख्य सचिव जावेद उस्मानी और पुलिस महानिदेशक देवराज नागर भी शामिल हुए।
जिले में शनिवार को भड़की हिंसा को रोकने के लिए सेना और पुलिस को तैनात किया गया है। शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण इलाकों में भी सेना और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई देर रात तक जारी रही। सोमवार को सेना उन ग्रामीण इलाकों में पहुंची, जहां ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं।
इस बीच, मुजफ्फनगर जिले में जारी हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से फोन पर बात की। इसी बीच सूबे के राज्यपाल बीएल जोशी ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर यह जानना चाहा कि शाासन व प्रशासन ने मुजफ्फनगर में दो दिन पहले हुई महापंचायत की सुरक्षा को लेकर क्या कदम उठाए थे।
इधर, बसपा की मुखिया मायावती ने भी दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत के दौरान सूबे में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। मायावती ने कहा कि सूबे में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है और कानून का राज समाप्त हो गया है।
उधर, जिले के कई इलाकों में सेना ने रविवार देर शाम फ्लैग मार्च किया और लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया। जिले के सिविल लाइंस, कोतवाली सहित तीन थाना क्षेत्रों में अभी भी कर्फ्यू लगा हुआ है। एहतियात के तौर पर जिले में सभी स्कूल और कॉलेजों को अगले आदेश तक बंद रखने को आदेश जारी किया गया है। गांवों की गलियों में सेना और पुलिसकर्मियों की गश्त लगातार जारी है।
सेना के हस्तक्षेप के बावजूद हालांकि रविवार देर रात तक पथराव और आगजनी की घटनाएं होती रहीं। आला अधिकारियों का दावा है कि हिंसा पर काबू पा लिया गया है और जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाने की उम्मीद है।
इससे पूर्व, जिले में भड़की हिंसा में रविवार देर रात तक 26 लोगों के मारे जाने और 40 के घायल होने की पुष्टि हुई थी।
उल्लेखनीय है कि लगभग एक सप्ताह पूर्व छेड़छाड़ की एक घटना के बाद भड़की हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई थी। इसी घटना को लेकर शनिवार को महापंचायत बुलाई गई थी। महापंचायत से लौट रहे लोगों पर पथराव के बाद हिंसा भड़क उठी। देखते ही देखते हिंसा कई गांवों तक फैल गई।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
मुजफ्फरनगर में दंगा, समुदायों में हिंसा, यूपी में सांप्रदायिक दंगा, पत्रकार की मौत, मुजफ्फरनगर में सेना, Communal Tension In Muzaffarnagar, Communal Riots In UP