मुंबई में महीने की आधी से ज्यादा बारिश पांच दिनों में ही, क्यों है शहर का यह हाल?

मुंबई में अब तक इस सीजन की 81 फीसदी बारिश हो चुकी है. अगस्त में पहले पांच दिनों में ही पूरे महीने की आधी से ज़्यादा बारिश हो गई. शहर में मौसम का बदला मिज़ाज ख़तरे की घंटी बजा रहा है और यहां जल्द से जल्द बड़े बदलावों की ज़रूरत है.

मुंबई में महीने की आधी से ज्यादा बारिश पांच दिनों में ही, क्यों है शहर का यह हाल?

क्लाइमेट एक्सपर्ट और मौसम वैज्ञानिक मुंबई में बड़े बदलाव करने की दे रहे हैं चेतावनी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

खास बातें

  • मुंबई में बुधवार को भयानक बारिश
  • 4 घंटे में 300 मिली बारिश दर्ज की गई
  • शहर में बड़े बदलाव की जरूरत
मुंबई:

मुंबई में अब तक इस सीजन की 81 फीसदी बारिश (Mumbai Rainfall) हो चुकी है. अगस्त में पहले पांच दिनों में ही पूरे महीने की आधी से ज़्यादा बारिश हो गई. शहर में मौसम का बदला मिज़ाज ख़तरे की घंटी बजा रहा है और यहां जल्द से जल्द बड़े बदलावों की ज़रूरत है. मुंबई में लगातार होती बारिश से सड़कों पर सैलाब है. तेज लहरों में गाड़ियां बह रही हैं, वहीं, जगह-जगह पेड़, खंभे और घर की दीवारें गिर गई हैं. यक़ीन करना मुश्किल है कि यह नजारा मुंबई का है. बीएमसी कमिश्नर इक़बाल चहल ख़ुद बताते हैं कि पांच मार्च की ऐसी भयंकर बारिश मुंबई ने 46 साल बाद देखी है.

चहल ने बताया, 'करीब 4 घंटों में 300 मिलीमीटर बारिश हो गई. आमतौर पर 24 घंटों में 65 मिलीमीटर बारिश होती है तो हम कहते हैं भारी बारिश हो गई है, यहाँ 4 घंटों में 300 मिलीमीटर बारिश हुई है. 5 गुना ज्यादा बारिश 4 घंटों में हुई है. 46 सालों में नरीमन पॉइंट में सबसे ज़्यादा बारिश हुई है.'

बता दें कि पहले 5 दिनों में ही अगस्त महीने की आधी से अधिक बारिश दर्ज हो चुकी है. बुधवार की हुई बारिश से गिरगांव चौपाटी, कोलाबा और भायकला जैसे इलाके भी डूब गए जो हर बार मुंबई की बारिश में बाढ़मुक्त रहते थे. शहर में औसत से तिगुनी बारिश दर्ज की गई. नुक़सान की एक बड़ी वजह रही 100 किमी से ज़्यादा की रफ़्तार बही तेज़ हवा. 

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Skymet Weather के महेश पलावट ने इस बदलाव की वजह बताते हुए कहा कि 'ये क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वॉर्मिंग का असर है, ईको सिस्टम बिगड़ रहा है, ऐसी मौसमी घटनाएं और बढ़ेंगी. तेज़ हवा, समुद्री बादल जब बन जाते हैं, दस बारह किमी ऊपर होते हैं, फिर बारिश होती है, हवा तेज़ी से निकलती है. ये ठंडे बादल की वजह से, ऐसी गतिविधि हम दिल्ली-एनसीआर और पश्चिम बंगाल में मॉनसून के पहले देखते हैं. मुंबई के लिए तो ये अपवाद स्वरूप है. ऐसा कम दिखता है यहा.यहां पर यह असामान्य घटना थी. ऐसे में अब हमें डेवलपमेंट प्लानिंग को ध्यान में रखना होगा.'

IIT-बॉम्बे से जुड़े वैज्ञानिक डॉक्टर सुबिमल घोष बताते हैं कि मुंबई को अपने ढाँचे में जल्द बदलाव करने की ज़रूरत है. फिर चाहे वो डेवेलपमेंट प्लान हो या फिर अंग्रेजों के जमाने का बना ड्रेनेज सिस्टम. उन्होंने कहा, 'अरब सागर गरम हो रहा है, इसलिए ये बदलाव दिख रहा है. हाईराइज़ की वजह से हवा नुक़सान पहुंचा रही है. ड्रेनेज सिस्टम ठीक करना होगा, अर्बन प्लानिंग में सुधार की ज़रूरत है.'

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बता दें कि कोरोनावायरस के क़हर के बीच बीएमसी शाम से लेकर अगली सुबह तक सड़कों को साफ करती रही. इधर NDRF की पांच टीमें मुंबई को बचाती दिखीं, पर मौसम के बदलते मिज़ाज से ये भी हैरान हैं.  परेशान करने वाले कई आंकड़ों और तस्वीरों के बीच वैसे मुंबईवासियों के लिए एक अच्छी ख़बर ये है कि शहर को पानी पिलाने वाली झीलें जो सूख रही थीं और पानी कटौती का ऐलान हुआ था, अब शहर को पानी आपूर्ति करने वाली इन झीलों का जलस्तर काफ़ी बढ़ा है, जिससे मुंबईकरों को राहत मिलने की उम्मीद है.

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