मुंबई के रेल विस्फोट का फाइल फोटो।
मुंबई:
मुंबई रेल धमाकों के दोषियों की सजा का ऐलान 30 सितंबर को होगा। अभियोजन की ओर से 12 में से 8 के लिए फांसी की मांग की गई है। मुंबई में 11 जुलाई 2006 को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के दोषियों को मौत के सौदागर करार देते हुए सरकारी वकील ने विशेष मकोका अदालत में सजा पर बहस के दौरान 8 को सजा-ए-मौत देने की मांग की।
आठ को मौत की सजा देने की मांग
विशेष मकोका अदालत सजा का ऐलान 30 सितंबर को करेगी। जिन 8 दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग की गई है उनमें कमाल अंसारी, डॉ तनवीर अहमद, मोहम्मद फैज़ल शेख, एहतेशाम सिद्दीकी, शेख मोहम्मद अली आलम शेख, मोहम्मद साजिद अंसारी, नावेद हुसैन खान, आसिफ खान का नाम है। बाकी के चार मोहम्मद मजिद, मुजम्मील रहमान शेख, सोहेल मेहमूद शेख और जमीर अहमद रहमान शेख के लिए उम्रकैद की मांग की गई।
शिक्षा और पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर नरमी की मांग
किसी अपराधी को सजा-ए-मौत देते वक्त मिटिगेटिंग सर्कमस्टेंस यानी अपराधी पर दया दिखाने की पर्याप्त वजह और अग्रेवेटिंग सर्कमस्टेंस यानी अपराध की गंभीरता को बयान करने वाले हालात और वजह को न्याय के तराजू में तौला जाता है। अदालत में सजा पर बहस के दौरान दोषियों के वकील ने उनकी डिग्री और पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर नरमी की मांग की, लेकिन सरकारी वकील ने दलील दी कि याकूब मेमन पेशे से सीए था उसका रिकॉर्ड भी बहुत अच्छा था, जब उस मामले में कोई दया नहीं दिखाई गई, तो यह मामला अलग क्यों होगा ?
आवेश में नहीं, रणनीति बनाकर किए विस्फोट
दोषियों को अकेले बंद करके रखने और मानसिक प्रताड़ना देने के आरोपों के जवाब में सरकारी वकील राजा ठाकरे ने कसाब का उदाहरण देते हुए कहा कि उसे भी अलग थलग रखने के बाद फांसी दी गई थी। सरकारी पक्ष ने यह भी कहा कि दोषियों ने आवेश में आकर नहीं बल्कि पूरी रणनीति बनाकर धमाकों को अंजाम दिया, इसलिए उन्हें मौत की सजा ही मिलनी चाहिए।
मुंबई में 11 जुलाई 2006 को कुल 7 धमाके हुए थे जिनमें 189 लोग मरे थे और 817 लोग जख्मी हुए थे। विशेष मकोका अदालत इस मामले में सजा का ऐलान 30 सितंबर को करेगी। 9 साल बाद आए फैसले में 12 आरोपी दोषी साबित हुए जबकि अब्दुल वाहिद दीन मोहम्मद शेख को बरी कर दिया गया है।
आठ को मौत की सजा देने की मांग
विशेष मकोका अदालत सजा का ऐलान 30 सितंबर को करेगी। जिन 8 दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग की गई है उनमें कमाल अंसारी, डॉ तनवीर अहमद, मोहम्मद फैज़ल शेख, एहतेशाम सिद्दीकी, शेख मोहम्मद अली आलम शेख, मोहम्मद साजिद अंसारी, नावेद हुसैन खान, आसिफ खान का नाम है। बाकी के चार मोहम्मद मजिद, मुजम्मील रहमान शेख, सोहेल मेहमूद शेख और जमीर अहमद रहमान शेख के लिए उम्रकैद की मांग की गई।
शिक्षा और पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर नरमी की मांग
किसी अपराधी को सजा-ए-मौत देते वक्त मिटिगेटिंग सर्कमस्टेंस यानी अपराधी पर दया दिखाने की पर्याप्त वजह और अग्रेवेटिंग सर्कमस्टेंस यानी अपराध की गंभीरता को बयान करने वाले हालात और वजह को न्याय के तराजू में तौला जाता है। अदालत में सजा पर बहस के दौरान दोषियों के वकील ने उनकी डिग्री और पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर नरमी की मांग की, लेकिन सरकारी वकील ने दलील दी कि याकूब मेमन पेशे से सीए था उसका रिकॉर्ड भी बहुत अच्छा था, जब उस मामले में कोई दया नहीं दिखाई गई, तो यह मामला अलग क्यों होगा ?
आवेश में नहीं, रणनीति बनाकर किए विस्फोट
दोषियों को अकेले बंद करके रखने और मानसिक प्रताड़ना देने के आरोपों के जवाब में सरकारी वकील राजा ठाकरे ने कसाब का उदाहरण देते हुए कहा कि उसे भी अलग थलग रखने के बाद फांसी दी गई थी। सरकारी पक्ष ने यह भी कहा कि दोषियों ने आवेश में आकर नहीं बल्कि पूरी रणनीति बनाकर धमाकों को अंजाम दिया, इसलिए उन्हें मौत की सजा ही मिलनी चाहिए।
मुंबई में 11 जुलाई 2006 को कुल 7 धमाके हुए थे जिनमें 189 लोग मरे थे और 817 लोग जख्मी हुए थे। विशेष मकोका अदालत इस मामले में सजा का ऐलान 30 सितंबर को करेगी। 9 साल बाद आए फैसले में 12 आरोपी दोषी साबित हुए जबकि अब्दुल वाहिद दीन मोहम्मद शेख को बरी कर दिया गया है।
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