टीकाकरण की जंग भी लंबी चलेगी, जिसमें महीनों स्वास्थ्यकर्मी डटे रहेंगे, इनका हौसला ना टूटे इसलिए मुंबई में कोविड योद्धाओं को सम्मानित किया गया. जिसमें क्लास 4 स्टाफ, वॉर्ड बॉय, हाउसकीपिंग स्टाफ भी शामिल रहे. मुंबई ने बीते 9 महीनों में बहुत कुछ झेला अब टीकाकरण से कोरोना की जंग खत्म हो इसलिए शहर के हौसले बुलंद हैं.
कोरोना की मार सबसे ज्यादा झेलने वाली मुंबई में अब रोज 400-500 के करीब मामले आ रहे हैं और मौत घटकर 10 से कम रह गई हैं. कोरोना को क़ाबू में लाने वाले योद्धा, अब टीकाकरण अभियान को अंजाम देंगे. ऐसे में हर बड़ा अवार्ड कम है लेकिन हिम्मत बनी रहे इसलिए बीएमसी ने इन्हें सम्मानित करने की ठानी है.
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देश के पहले मेकशिफ्ट कोविड जंबो-बीकेसी अस्पताल, जहां के योद्धाओं ने एक भी मरीज की मौत नहीं होने दी. यहां नर्स, वॉर्डबॉय से लेकर हाउसकीपिंग तक को सम्मानित किया गया. कोरोना योद्धा व हाउसकीपिंग स्टाफ शशि ने बताया कि हमें स्टेज पर बुलाकर ऐसे सम्मान दिया बहुत अच्छा लगा. इतनी मेहनत की है, अच्छा लगा कि उसको सबके सामने सराहा गया.
स्टाफ नर्स दीपाली भागवत ने कहा, ''बहुत डर लगता था, घर पर हमलोग नहीं जा सकते थे, जाते थे तो डर कर रहते थे की कहीं घर वालों को संक्रमित ना कर दें.'' वहीं, टेक्निशियन शोएब सिद्दीक़ी ने कहा, ''बहुत अच्छा लग रहा कि ज़िंदगी में कुछ ऐसा किया की समाज का अच्छा हुआ लोगों के लिए कुछ किया.''
बीकेसी कोविड जंबो फेसिलिटी के डीन डॉ राजेश डेरे ने कहा, ''सभी ने बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन स्टेज पर हमने कुछ 50 लोगों को ही बुलाया, जिनको सम्मानित किया जा सके, तो इससे क्या होगा कि जो टीकाकरण की शुरुआत हो रही है इसमें भी 6-8 महीने हेल्थवर्कर को काम करना है, और अगर दुर्भाग्य से और मरीज़ बढ़ते हैं तो हमारी टीम को हिम्मत देने के लिए ये बेहद ज़रूरी है.''
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मुंबई शहर की सेहत का ज़िम्मा सम्भाल रहे एडिशनल म्यूनिसिपल कमिश्नर सुरेश ककानी वैक्सिनेशन को निर्णायक मोड़ बताते हुए लोगों में टीके को लेकर भरोसा बना रहे हैं. उन्होंने कहा, ''हमको डर कभी लगा नहीं, पहले दिन से ही जब से स्क्रीनिंग शुरू किया, जब बीच में काफ़ी मामले बढ़े तब दिन रात काम किया, और अब इसे क़ाबू में लाया है. अब ये निर्णायक मोड़ है, अब अगर हम सभी को टीका लगा देते हैं तो इस बीमारी से सभी को लड़ने की ताक़त मिलेगी, और तब हम पूरी तरह से कामयाब होंगे.''
एक साल की इस कोरोना जंग में महाराष्ट्र ने बहुत कुछ झेला. 16,000 स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हुए, 178 की जान गयी. टीकाकरण, कोरोना को मात देने की आख़िरी जंग हो अब सभी बस इसी उम्मीद में हैं.
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