यह ख़बर 31 अगस्त, 2012 को प्रकाशित हुई थी

संसद में जारी गतिरोध के खिलाफ लेफ्ट, टीडीपी के साथ धरने पर बैठे मुलायम

खास बातें

  • कोयला ब्लॉक आवंटन पर कैग की रिपोर्ट को लेकर एक तरफ जहां संसद नहीं चल पा रही है, वहीं अब इस हंगामे के बीच एक बार फिर से तीसरा मोर्चा खड़ा होता दिख रहा है।
नई दिल्ली:

कोयला ब्लॉक आवंटन पर कैग की रिपोर्ट को लेकर एक तरफ जहां संसद नहीं चल पा रही है, वहीं अब इस हंगामे के बीच एक बार फिर से तीसरा मोर्चा खड़ा होता दिख रहा है। समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, वाम दलों और तेलूगु देशम पार्टी के नेताओं के साथ संसद परिसर में धरने पर बैठे हैं।

मुलायम सिंह यादव ने संसद में सामान्य स्थिति बहाल किए जाने और इस मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए धरने पर बैठने का फैसला किया है। वह कोयला आवंटन के लिए जारी किए गए लाइसेंसों को रद्द किए जाने की मांग कर रहे हैं, साथ ही चाहते हैं कि इस मामले की उच्च-स्तरीय जांच हो। मुलायम यह भी दावा कर रहे हैं कि बीजेडी और एआईएडीएमके भी इस मामले में उनके साथ हैं।

दरअसल, यह पूरी कवायद लेफ्ट और सपा को इसलिए रास आ रही है, क्योंकि मुलायम फिर से उस तीसरे मोर्चे का सपना देख रहे हैं, जो उनको प्रधानमंत्री पद तक पहुंचा दे। 1996 में संसद में तीसरा सबसे बड़ा दल होने के नाते जनता दल ने अपना प्रधानमंत्री बनाया था। एनडीटीवी का मध्यावधि सर्वे बता रहा है कि सपा भी लोकसभा में तीसरा सबसे बड़ा दल हो सकता है।

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गौरतलब है कि कोल-गेट प्रकरण को लेकर पिछले करीब दो सप्ताह से संसद में कोई कामकाज नहीं हो सका है। बीजेपी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग पर अड़ी हुई है। एनडीए सहयोगी जेडीयू और अकाली दल समेत अन्य विपक्षी दल भी संसद की कार्यवाही बाधित करने के पक्ष में नहीं हैं और इस मामले में कैग की रिपोर्ट पर चर्चा करना चाहते हैं। प्रधानमंत्री हालांकि संसद में दिए अपने बयान में इस रिपोर्ट के कुछ आकलनों को दोषपूर्ण और विवादास्पद बता चुके हैं।