सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के परिवार के कई सदस्य पहले से ही राजनीति में सक्रिय हैं।
लखनऊ:
मुलायम सिंह यादव की दूसरी बहू अपर्णा यादव के सियासत में आने से समाजवादी परिवार में भूचाल सा आ गया है। पार्टी ने लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से उनके टिकट का ऐलान कर दिया है। अभी तक यही माना जाता था कि मुलायम अपनी दूसरी बीवी के बेटे प्रतीक या उनकी बीवी अपर्णा को सियासत में लाकर अखिलेश यादव के रास्ते में कांटे नहीं बोना चाहते। प्रतीक और अपर्णा से अखिलेश के रिश्ते भी अच्छे नहीं माने जाते हैं (हालांकि ज़ाहिर तौर पर कोई लड़ाई भी नहीं है)। इसलिए सबसे ज़्यादा कयास यह लगाए जा रहे हैं कि मुलायम ने किसके दबाव में अपनी छोटी बहू को सियासत में उतारा है। लेकिन बहरहाल इस तरह वह देश के सबसे बड़े सियासी यादव कुनबे की बीसवीं सदस्य हैं जो सियासत में उतर गई हैं। अभी तक यादव परिवार में 19 लोग सियासत में थे।
मुलायम के छोटे बेटे प्रतीक हमेशा यही कहते रहे हैं कि सियासत में उनकी बिलकुल दिलचस्पी नहीं है, वह सिर्फ बिज़नेस करना चाहते हैं। लेकिन उनकी पत्नी अपर्णा अपना बहुत ज़्यादा प्रचार करती हैं। आए दिन किसी न किसी मौके पर शहर में उनकी तमाम होर्डिंग्स लगी रहती हैं। उन्हें बहुत महत्वाकांक्षी भी माना जाता है। उनके कामकाज और बयान भी अक्सर विवाद पैदा करते रहे हैं। मिसाल के लिए बीजेपी एमपी योगी आदित्यनाथ का यादव परिवार से छत्तीस का आंकड़ा है। यूपी में हुए उप चुनावों में बीजेपी ने योगी को अपना स्टार कैम्पेनर बनाया। अपने कैंपेन में उन्होंने मुलायम और अखिलेश के खिलाफ जमकर ज़हर उगला लेकिन मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव गोरखपुर में योगी के आश्रम गईं और उन्होंने उनके चरण छुए। पीएम मोदी की सियासत से मुलायम अखिलेश का चाहे जितना बैर हो लेकिन अपर्णा लखनऊ में मोदी के कार्यक्रम में शामिल हुईं। वहां उन्हें पहली वीआईपी लाइन में बिठाया गया। अपर्णा लखनऊ में बीबीसी वर्ल्ड न्यूज़ चैनल का पुतला भी फूंक चुकी हैं। वह बीबीसी से "डॉटर ऑफ इंडिया" डाक्यूमेंट्री दिखाने से नाराज़ थीं। मुलायम की बहू की यह हरकत सियासी हलकों में चर्चा का विषय बनी।
यूपी बीजेपी के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने एनडीटीवी से कहा कि "अपर्णा जिस तरह व्यवहार कर रही हैं शायद उससे मुलायम सिंह यादव को लगा कि कहीं वह बीजेपी में न चली जाएं। शायद इसी मजबूरी में उन्होंने अपर्णा को विधानसभा टिकट दिया है। "
यूपी कांग्रेस के महासचिव द्विजेन्द्र त्रिपाठी सवाल करते हैं, "क्या आपको लगता है कि अपर्णा अखिलेश यादव के नेतृत्व में सियासी काम करेंगी। भगवान मुलायम सिंह को लम्बी उम्र दे, लेकिन अपर्णा सिर्फ मुलायम की ज़िंदगी तक ही समाजवादी पार्टी में हैं। उनकी आखिरी मंजिल तो बीजेपी ही है। कोई शक नहीं अगर वह यादव परिवार की मेनका गांधी साबित हों।"
अपर्णा के टिकट का ऐलान होते ही सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर तरह-तरह की टिप्पणियों की भरमार है। कई लोग मुलायम की बड़ी बहू डिंपल से भी उनकी तुलना कर रहे हैं जो सांसद होने के बावजूद सियासी तौर पर महत्वाकांक्षी नहीं मानी जातीं। अपर्णा के टिकट के ऐलान के साथ ही मुलायम के परिवार के नेताओं की भी गिनती की जा रही है। मुलायम के परिवार में 6 एमपी , 3 एमएलए /एमएलसी, 2 जिला पंचायत अध्यक्ष, 2 ब्लॉक प्रमुख, 2 सरकारी बोर्डों के चेयरमैन, एक पार्टी के प्रदेश सचिव, एक पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और एक जिला पंचायत सदस्य हैं।
अपर्णा को जिस लखनऊ कैंट विधान सभा सीट से टिकट दिया गया है,उससे कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी एमएलए हैं। यहां समाजवादी पार्टी कभी चुनाव नहीं जीती है। यूपी बीजेपी के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी कहते हैं कि ,"कहीं यह नेता जी की रणनीति तो नहीं कि चुनाव भी लड़ा दो और जीतने भी न दो।" बहरहाल मुलायम की छोटी बहू की सियासत में एंट्री कुछ रंग जरूर दिखाएगी।
मुलायम के छोटे बेटे प्रतीक हमेशा यही कहते रहे हैं कि सियासत में उनकी बिलकुल दिलचस्पी नहीं है, वह सिर्फ बिज़नेस करना चाहते हैं। लेकिन उनकी पत्नी अपर्णा अपना बहुत ज़्यादा प्रचार करती हैं। आए दिन किसी न किसी मौके पर शहर में उनकी तमाम होर्डिंग्स लगी रहती हैं। उन्हें बहुत महत्वाकांक्षी भी माना जाता है। उनके कामकाज और बयान भी अक्सर विवाद पैदा करते रहे हैं। मिसाल के लिए बीजेपी एमपी योगी आदित्यनाथ का यादव परिवार से छत्तीस का आंकड़ा है। यूपी में हुए उप चुनावों में बीजेपी ने योगी को अपना स्टार कैम्पेनर बनाया। अपने कैंपेन में उन्होंने मुलायम और अखिलेश के खिलाफ जमकर ज़हर उगला लेकिन मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव गोरखपुर में योगी के आश्रम गईं और उन्होंने उनके चरण छुए। पीएम मोदी की सियासत से मुलायम अखिलेश का चाहे जितना बैर हो लेकिन अपर्णा लखनऊ में मोदी के कार्यक्रम में शामिल हुईं। वहां उन्हें पहली वीआईपी लाइन में बिठाया गया। अपर्णा लखनऊ में बीबीसी वर्ल्ड न्यूज़ चैनल का पुतला भी फूंक चुकी हैं। वह बीबीसी से "डॉटर ऑफ इंडिया" डाक्यूमेंट्री दिखाने से नाराज़ थीं। मुलायम की बहू की यह हरकत सियासी हलकों में चर्चा का विषय बनी।
यूपी बीजेपी के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने एनडीटीवी से कहा कि "अपर्णा जिस तरह व्यवहार कर रही हैं शायद उससे मुलायम सिंह यादव को लगा कि कहीं वह बीजेपी में न चली जाएं। शायद इसी मजबूरी में उन्होंने अपर्णा को विधानसभा टिकट दिया है। "
यूपी कांग्रेस के महासचिव द्विजेन्द्र त्रिपाठी सवाल करते हैं, "क्या आपको लगता है कि अपर्णा अखिलेश यादव के नेतृत्व में सियासी काम करेंगी। भगवान मुलायम सिंह को लम्बी उम्र दे, लेकिन अपर्णा सिर्फ मुलायम की ज़िंदगी तक ही समाजवादी पार्टी में हैं। उनकी आखिरी मंजिल तो बीजेपी ही है। कोई शक नहीं अगर वह यादव परिवार की मेनका गांधी साबित हों।"
अपर्णा के टिकट का ऐलान होते ही सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर तरह-तरह की टिप्पणियों की भरमार है। कई लोग मुलायम की बड़ी बहू डिंपल से भी उनकी तुलना कर रहे हैं जो सांसद होने के बावजूद सियासी तौर पर महत्वाकांक्षी नहीं मानी जातीं। अपर्णा के टिकट के ऐलान के साथ ही मुलायम के परिवार के नेताओं की भी गिनती की जा रही है। मुलायम के परिवार में 6 एमपी , 3 एमएलए /एमएलसी, 2 जिला पंचायत अध्यक्ष, 2 ब्लॉक प्रमुख, 2 सरकारी बोर्डों के चेयरमैन, एक पार्टी के प्रदेश सचिव, एक पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और एक जिला पंचायत सदस्य हैं।
अपर्णा को जिस लखनऊ कैंट विधान सभा सीट से टिकट दिया गया है,उससे कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी एमएलए हैं। यहां समाजवादी पार्टी कभी चुनाव नहीं जीती है। यूपी बीजेपी के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी कहते हैं कि ,"कहीं यह नेता जी की रणनीति तो नहीं कि चुनाव भी लड़ा दो और जीतने भी न दो।" बहरहाल मुलायम की छोटी बहू की सियासत में एंट्री कुछ रंग जरूर दिखाएगी।
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