धन लेकर सवाल पूछने के घोटाले की यादें ताजा करते हुए खोजी समाचार पोर्टल कोबरापोस्ट ने दावा किया कि पांच राजनीतिक दलों के 11 सांसद 50 हजार से 50 लाख रुपये तक की रकम के बदले एक काल्पनिक विदेशी कंपनी को मदद पहुंचाने के लिए सिफारिश पत्र जारी करने के लिए तैयार थे।
पोर्टल 'कोबरापोस्ट' के संपादक अनिरुद्ध बहल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पिछले एक साल के दौरान हुए स्टिंग ऑपरेशन के दौरान छह सांसदों ने सिफारिशी पत्र जारी भी कर दिए।
एनडीटीवी इस स्टिंग की सत्यता की गारंटी नहीं ले सकता। बहरहाल, बहल ने कहा कि इन सांसदों में, दो कांग्रेस, तीन भाजपा, दो अन्नाद्रमुक, तीन जेडीयू और एक बसपा के हैं। बहल ने दावा किया कि अंडरकवर ऑपरेशन में खुलासा हुआ कि सांसदों ने काल्पनिक विदेशी तेल कंपनी ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड की मेडिटेरानियन ऑयल इंक के इतिहास के बारे में जानने तक की कोशिश नहीं की। फर्जी पहचान बनाकर पहुंचे संवाददाता ने खुद को कंपनी का सलाहकार बताया था।
पोर्टल द्वारा इस ऑपरेशन में अन्नाद्रमुक के के सुगुमार और सी राजेंद्रन, भाजपा के लालू भाई पटेल, रवींद्र कुमार पांडेय और हरि मांझी, जेडीयू के विश्व मोहन कुमार, माहेश्वर हजारी और भूदेव चौधरी, कांग्रेस के खिलाड़ी लाल बैरवा और विक्रमभाई अर्जनभाई और बसपा के कैसर जहां का नाम लिया गया। संपर्क किए जाने पर कुछ सांसदों ने आरोपों को खारिज किया। सांसद विश्वमोहन कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने एक चिट्ठी लिखी थी, लेकिन कोबरापोस्ट के रिपोर्टर से पैसे लेने की बात से उन्होंने इनकार किया।
प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सांसदों के क्रियाकलाप भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत गंभीर अपराध हैं, जिनकी जांच होनी चाहिए और मामला चलाया जाना चाहिए।
बहल ने आरोप लगाया कि छह सांसदों ने 50 हजार से 75 हजार रुपये लेकर एक फर्जी कंपनी के समर्थन में पोर्टल को सिफारिशी पत्र दिए। उन्होंने कहा कि एक अन्य सांसद एक पत्र के लिए पांच लाख रुपये से कम पर तैयार नहीं हुए और एक मामले में तो सांसद ने एक पत्र के बदले 50 लाख रुपये तक की रकम मांगी।
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