श्रीनगर:
जम्मू एवं कश्मीर के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में जारी गतिरोध अब समाप्त हो जाना चाहिए, क्योंकि प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों की अधिकांश मांगें मान ली गई हैं। एनआईटी के प्रदर्शनकारी गैर-स्थानीय छात्रों के प्रतिनिधियों की शनिवार को भी राज्य के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह के साथ बैठक हुई। उन्होंने अब भी कक्षाओं का बहिष्कार किया हुआ है।
निर्मल सिंह ने छात्र प्रतिनिधियों से मुलाकात के बाद कहा कि विद्यार्थियों ने उच्च क्षमता वाले इंटरनेट, निर्बाध बिजली आपूर्ति तथा अन्य पेशेवर सुविधाओं की मांग की। उन्होंने कहा, 'वे पेशेवर विद्यार्थी हैं, जिन्हें उच्च क्षमता की इंटरनेट सेवा, निर्बाध विद्युत आपूर्ति तथा अन्य पेशेवर सुविधाओं की आवश्यकता है। हमने उन्हें आश्वस्त किया है कि उनकी ये मांगें जल्द से जल्द पूरी की जाएंगी।'
एनआईटी के गैर-स्थानीय छात्रों का प्रदर्शन हालांकि अब भी जारी है और वे कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं। उपमुख्यमंत्री की शुक्रवार को भी प्रदर्शनकारी गैर-स्थानीय छात्रों के प्रतिनिधियों से मुलाकात हुई थी, जो करीब पांच घंटे तक चली थी। उनके आधिकारिक आवास पर हुई इस बैठक में राज्य के शिक्षामंत्री नईम अख्तर, एनआईटी-श्रीनगर के निदेशक रोहित गुप्ता, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तीन सदस्यीय टीम तथा वरिष्ठ प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे।
वार्ता बेनतीजा रही, लेकिन उपमुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों की अधिकांश मांगें मान ली गई हैं। विद्यार्थियों की मांग उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की भी है, जो कथित तौर पर चार अप्रैल को एनआईटी परिसर में घुस आए थे और उनकी पिटाई कर दी थी।
हालांकि पुलिस का कहना है कि विद्यार्थी हिंसा पर उतर आए थे। उन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के साथ बदसलूकी की। राज्य सरकार ने पूरे मामले की जांच श्रीनगर के अतिरिक्त जिला विकास आयुक्त से कराने का आदेश दिया है। जांच अधिकारियों को 15 दिनों के भीतर रपट सौंपने को कहा गया है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तीन सदस्यीय टीम मामले की जांच रपट केंद्र सरकार को सौंपेगी। परिसर में गैर-स्थानीय विद्यार्थियों के बीच असुरक्षा की भावना समाप्त करने तथा उनका भरोसा लौटाने के लिए अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है।
इस वक्त एनआईटी, श्रीनगर में करीब 1,500 गैर-स्थानीय छात्र हैं, जो चार वर्षीय डिग्री कोर्स के तहत विभिन्न स्तरों पर पेशवर पाठ्यक्रमों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यहां हालात का जायजा लेने के लिए शनिवार को राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी पहुंचीं। उन्होंने नागरिक तथा पुलिस प्रशासन के जिला प्रमुखों के साथ शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन काम्प्लेक्स (एसकेआईसीसी) में बैठक की।
इससे पहले शुक्रवार को महबूबा ने एक क्षेत्रीय टेलीविजन चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि 'यह कोई बड़ा मसला नहीं है, लेकिन कुछ लोग इसे सांप्रदायिक घटना के रूप में पेश कर रहे हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि एनआईटी के कुछ ही गैर-स्थानीय छात्र कश्मीर घाटी से बाहर के कॉलेजों में पढ़ना चाहते हैं।
एनआईटी में विभिन्न पाठ्यक्रमों की परीक्षाएं सोमवार से शुरू होने वाली हैं और कॉलेज प्रबंधन को इसके लिए सभी छात्रों के उपस्थित होने की उम्मीद है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
निर्मल सिंह ने छात्र प्रतिनिधियों से मुलाकात के बाद कहा कि विद्यार्थियों ने उच्च क्षमता वाले इंटरनेट, निर्बाध बिजली आपूर्ति तथा अन्य पेशेवर सुविधाओं की मांग की। उन्होंने कहा, 'वे पेशेवर विद्यार्थी हैं, जिन्हें उच्च क्षमता की इंटरनेट सेवा, निर्बाध विद्युत आपूर्ति तथा अन्य पेशेवर सुविधाओं की आवश्यकता है। हमने उन्हें आश्वस्त किया है कि उनकी ये मांगें जल्द से जल्द पूरी की जाएंगी।'
एनआईटी के गैर-स्थानीय छात्रों का प्रदर्शन हालांकि अब भी जारी है और वे कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं। उपमुख्यमंत्री की शुक्रवार को भी प्रदर्शनकारी गैर-स्थानीय छात्रों के प्रतिनिधियों से मुलाकात हुई थी, जो करीब पांच घंटे तक चली थी। उनके आधिकारिक आवास पर हुई इस बैठक में राज्य के शिक्षामंत्री नईम अख्तर, एनआईटी-श्रीनगर के निदेशक रोहित गुप्ता, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तीन सदस्यीय टीम तथा वरिष्ठ प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे।
वार्ता बेनतीजा रही, लेकिन उपमुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों की अधिकांश मांगें मान ली गई हैं। विद्यार्थियों की मांग उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की भी है, जो कथित तौर पर चार अप्रैल को एनआईटी परिसर में घुस आए थे और उनकी पिटाई कर दी थी।
हालांकि पुलिस का कहना है कि विद्यार्थी हिंसा पर उतर आए थे। उन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के साथ बदसलूकी की। राज्य सरकार ने पूरे मामले की जांच श्रीनगर के अतिरिक्त जिला विकास आयुक्त से कराने का आदेश दिया है। जांच अधिकारियों को 15 दिनों के भीतर रपट सौंपने को कहा गया है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तीन सदस्यीय टीम मामले की जांच रपट केंद्र सरकार को सौंपेगी। परिसर में गैर-स्थानीय विद्यार्थियों के बीच असुरक्षा की भावना समाप्त करने तथा उनका भरोसा लौटाने के लिए अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है।
इस वक्त एनआईटी, श्रीनगर में करीब 1,500 गैर-स्थानीय छात्र हैं, जो चार वर्षीय डिग्री कोर्स के तहत विभिन्न स्तरों पर पेशवर पाठ्यक्रमों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यहां हालात का जायजा लेने के लिए शनिवार को राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी पहुंचीं। उन्होंने नागरिक तथा पुलिस प्रशासन के जिला प्रमुखों के साथ शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन काम्प्लेक्स (एसकेआईसीसी) में बैठक की।
इससे पहले शुक्रवार को महबूबा ने एक क्षेत्रीय टेलीविजन चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि 'यह कोई बड़ा मसला नहीं है, लेकिन कुछ लोग इसे सांप्रदायिक घटना के रूप में पेश कर रहे हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि एनआईटी के कुछ ही गैर-स्थानीय छात्र कश्मीर घाटी से बाहर के कॉलेजों में पढ़ना चाहते हैं।
एनआईटी में विभिन्न पाठ्यक्रमों की परीक्षाएं सोमवार से शुरू होने वाली हैं और कॉलेज प्रबंधन को इसके लिए सभी छात्रों के उपस्थित होने की उम्मीद है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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