नेपाल में कोसी की सहायक नदी भोटे कोसी के पीछे पानी के जमाव के कारण आज जल-संग्रहण 25 लाख क्यूसेक से बढ़कर 32 लाख क्यूसेक तक बढ़ गया। इस कारण बिहार पर मंडराते बाढ़ के खतरे के बीच मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि 'हालात भयावह हो सकते हैं।' अगर इस क्षेत्र में बाढ़ आया तो इससे चार लाख से अधिक लोगों के प्रभावित होने की आशंका है।
मांझी ने कहा, 'अभी हालात सामान्य नजर आ रहे हैं क्योंकि पानी का प्रवाह कम है। पर भोटे कोसी में जल-संग्रहण 28 से 32 लाख क्यूसेक तक बढ़ गया है। भूस्खलन से वहां बना बांध अगर टूटता है तो हालात भयावह हो सकते हैं।'
खगड़िया से लेकर वीरपुर बैराज तक कोसी के मार्ग के इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में मांझी ने कहा कि जिस जगह भोटे कोसी का बहाव बाधित हुआ है, वहां तीन-चार नियंत्रित विस्फोट कराने के बाद पानी का बहाव हो रहा है पर उसकी मात्रा कम है।
मांझी ने कहा, 'हम हालात से निपटने के लिए तैयार हैं। थलसेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के जवानों को तैनात किया गया है। लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया जा रहा है। जो पीछे छूट गए हैं हम उनसे बाहर आ जाने की अपील करते हैं। हमने उनके मकानों और उनकी संपत्ति की सुरक्षा के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात किए हैं।'
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को उम्मीद है कि कोसी तटबंध नहीं टूटेगा, क्योंकि उसकी चौड़ाई एक किलोमीटर तक हो गई है। उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर तटबंध टूटने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वीरपुर बराज को कोई खतरा नहीं है। वीरपुर बराज की क्षमता 9 लाख क्यूसेक पानी की है। कोसी में पानी के भारी बहाव से इसके बचाव के लिए बराज के सभी 56 दरवाजे खोल दिए गए हैं।
मांझी ने कहा कि बाढ़ के खतरों को देखते हुए उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय कृषिमंत्री राधामोहन सिंह से बात की है और उन्होंने केंद्र से हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया है।
इस बीच, कोसी इलाके में बिहार-नेपाल की सीमा के पास बाढ़ के बढ़ते खतरे को देखते हुए बिहार सरकार ने राज्य के नौ जिलों में नदी और इसके किनारों के बीच रहने वाले लोगों को जबरन क्षेत्र खाली कराने के आदेश दिए हैं।
कोसी की सहायक नदी भोटे कोसी को जाम करने वाले भूस्खलन के मलबे को आंशिक रूप से हटाने के लिए नेपाली सेना द्वारा कम क्षमता के दो विस्फोट कर 1.25 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने के बाद यह कदम उठाया गया है। पानी छोड़ने से बिहार में नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी हो गई है।
आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यासजी ने कहा, 'हमने अब तक करीब 50,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है, जबकि कई लोगों ने खुद ही खतरे से जूझ रहे क्षेत्र को खाली कर दिया है। इस इलाके में करीब 1.5 लाख लोग रहते हैं।' उन्होंने कहा कि नेपाल से बिहार की तरफ आने वाली कोसी में जल के प्रवाह के स्तर और मात्रा में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। अगर नदी में अचानक बड़ी मात्रा में पानी आता है तो इससे खतरनाक हालात पैदा हो सकते हैं।
इससे पहले, विभाग के विशेष सचिव अनिरुद्ध कुमार ने संवाददाताओं से कहा था, 'हमने आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधान लागू किए हैं, ताकि कोसी के खतरे वाले इलाकों में रहने वाले लोगों को जबरन खाली कराया जा सके। अब तक हमने 16,800 लोगों को बाहर निकाला है, लेकिन 60 हजार से ज्यादा लोग अब भी नदी और इसके किनारों पर रह रहे हैं।'
कुमार ने कहा, 'हमारे नवीनतम आकलन के मुताबिक अगर नदी में बाढ़ आती है तो राज्य में कोसी के आसपास रह रहे 4.25 लाख लोग प्रभावित होंगे । हम उन सभी को हटाने का प्रयास कर रहे हैं।' नेपाल के सिंधुपालचोक जिले के जूरे में भूस्खलन के बाद भोटे कोसी में बांध बन गया। यह जगह काठमांडो के उत्तर और बिहार-नेपाल की सीमा से करीब 260 किलोमीटर की दूरी पर है।
डीएमडी के विशेष सचिव ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की 15 कंपनियों, सेना के चार कॉलम और राज्य आपदा मोचन बल की चार कंपनियों को सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, खगड़िया, अररिया, मधुबनी, भागलपुर, पूर्णिया और दरभंगा में तैनात किया गया है।
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