देश में मानसून की बारिश सामान्य से कम हुई, जिसका कृषि उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका है.
नई दिल्ली:
देश में मानसून का मौसम बीत गया. मानसून की बारिश औसत से कम हुई. मानसून सामान्य से कम रहा जबकि जून में मानसूनी बारिश सामान्य या औसत से अधिक होने की आशा जताई गई थी. मानसूनी बारिश ने देश के कई हिस्सों में कहर ढाया और पूर्वोत्तर, बिहार, राजस्थान, यूपी और गुजरात आदि राज्यों को बाढ़ से तबाही का सामना करना पड़ा. जबकि अन्य राज्यों में कहीं सामान्य तो कहीं सामान्य से कम बारिश हुई.
इस साल मानसून की बारिश में निरंतरता भी नहीं रही. कई राज्यों में शुरुआती दिनों में अच्छी बारिश हुई लेकिन बाद में लंबे समय तक बादल मुंह मोड़े रहे. इससे जरूरत के मुताबिक समय पर पानी न मिलने से फसलें बर्बाद भी हुईं. नदियों में भीषण बाढ़ ने भी फसलों को बर्बाद किया. इन हालात में कृषि उत्पादन भी अपेक्षा के अनुरूप नहीं होने की आशंका है.
यह भी पढ़ें : मौसम विभाग को उम्मीद, देश के एक-चौथाई हिस्से में मेहरबान होगी बारिश
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन के मुताबिक इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य से कम था. उनका कहना है कि देश के कुछ हिस्सों में कृषि क्षेत्र पर इसका असर पड़ सकता है.
यह भी पढ़ें : अच्छी खबर... इस बार मॉनसून में जमकर होगी बरसात, 98 फीसदी बारिश का अनुमान
राजीवन ने कहा, मानसून दीर्घावधि (एलपीए) के औसत का 95 फीसदी था, जो सामान्य से कम है. एलपीए के 96-104 फीसदी तक बारिश को सामान्य बारिश माना जाता है.
VIDEO : मई के अंत में दी थी मानसून ने दस्तक
मानसून के आगमन से पूर्व भारतीय मौसम विभाग ने भविष्यवाणी करते हुए मानसून को एलपीए का 96 फीसदी करार दिया था. हालांकि बाद में इसे संशोधित कर जून में 98 फीसदी कर दिया गया. राजीवन ने कहा, मानसून के मौसम के पहले दो महीनों में जहां सामान्य से तीन फीसदी ज्यादा बारिश हुई थी वहीं बाकी के दो महीनों में इसमें 12.5 फीसदी की कमी दर्ज की गई. भारत में बारिश का मौसम एक जून से शुरू होता है और 30 सितंबर तक चलता है. यही मानसून का सीजन होता है.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
इस साल मानसून की बारिश में निरंतरता भी नहीं रही. कई राज्यों में शुरुआती दिनों में अच्छी बारिश हुई लेकिन बाद में लंबे समय तक बादल मुंह मोड़े रहे. इससे जरूरत के मुताबिक समय पर पानी न मिलने से फसलें बर्बाद भी हुईं. नदियों में भीषण बाढ़ ने भी फसलों को बर्बाद किया. इन हालात में कृषि उत्पादन भी अपेक्षा के अनुरूप नहीं होने की आशंका है.
यह भी पढ़ें : मौसम विभाग को उम्मीद, देश के एक-चौथाई हिस्से में मेहरबान होगी बारिश
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन के मुताबिक इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य से कम था. उनका कहना है कि देश के कुछ हिस्सों में कृषि क्षेत्र पर इसका असर पड़ सकता है.
यह भी पढ़ें : अच्छी खबर... इस बार मॉनसून में जमकर होगी बरसात, 98 फीसदी बारिश का अनुमान
राजीवन ने कहा, मानसून दीर्घावधि (एलपीए) के औसत का 95 फीसदी था, जो सामान्य से कम है. एलपीए के 96-104 फीसदी तक बारिश को सामान्य बारिश माना जाता है.
VIDEO : मई के अंत में दी थी मानसून ने दस्तक
मानसून के आगमन से पूर्व भारतीय मौसम विभाग ने भविष्यवाणी करते हुए मानसून को एलपीए का 96 फीसदी करार दिया था. हालांकि बाद में इसे संशोधित कर जून में 98 फीसदी कर दिया गया. राजीवन ने कहा, मानसून के मौसम के पहले दो महीनों में जहां सामान्य से तीन फीसदी ज्यादा बारिश हुई थी वहीं बाकी के दो महीनों में इसमें 12.5 फीसदी की कमी दर्ज की गई. भारत में बारिश का मौसम एक जून से शुरू होता है और 30 सितंबर तक चलता है. यही मानसून का सीजन होता है.
(इनपुट एजेंसियों से भी)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं