नई दिल्ली:
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शुक्रवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की और कहा कि उनकी 'व्यक्तिगत ऊर्जा' से भारत के कूटनीतिक रिश्तों में नई जान आई है और उसे पहचान भी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हालांकि यूपीए सरकार द्वारा बनाई गई विदेश नीति में मोदी ने कोई बदलाव नहीं किया है।
थरूर ने कहा, 'श्रीमान मोदी ने कूटनीति में व्यक्तिगत ऊर्जा लगाई है और पिछले एक साल में उन्होंने 24 देशों की यात्रा की है। एक तरह से उन्होंने ठीक ही किया। जिस भी देश में वह गए वहां एक सकारात्मक पहचान छोड़ी और मेरा मानना है कि इसे मान्यता मिलनी चाहिए।'
थरूर ने कहा, 'उनके एक और कदम को मान्यता दी जानी चाहिए और वह यह कि उन्होंने कुछ ऐसा किया है जिसके लिए मैं भारत की पिछली सरकारों की आलोचना करता रहा हूं। हमने अपनी 'सॉफ्ट पॉवर' (गैर सैन्य शक्ति) को यूंही ले लिया था और उसका लाभ नहीं उठाया था।' इसके लिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का हवाला दिया।
थरूर ने यह बातें नई दिल्ली में जाने-माने विद्वान सी. राजमोहन की किताब 'मोदीज वर्ल्ड, एक्सपेंडिंग इंडियाज स्फीयर ऑफ इंफ्लूएंस' के विमोचन के मौके पर आयोजित दोपहर के भोज पर कहीं।
इसी मौके पर मौजूद विदेश सचिव एस. जयशंकर ने भी कहा कि भारत के कूटनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'निजी संबंध' की 'जबर्दस्त भूमिका' रही है और पिछले एक साल में अंतरराष्ट्रीय समाराहों और स्थितियों में उनका 'अलग रुख' झलका।
उन्होंने भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय संबंधों के संचालन के तरीके में 'बदलाव की सोच' के बारे में बात करते हुए पड़ोसी देशों, चीन और प्रशांत महासागर के देशों के साथ ही अफ्रीकी देशों के प्रति उनके सक्रिय रुख का जिक्र किया।
विदेश सचिव ने कहा, 'मैं बदलाव की सोच के उदाहरण बताता हूं। पड़ोस की नीति जिसमें संपर्क, जुड़ाव और सहयोग को प्राथमिकता दी गई। चीन की नीति है जिसमें सुरक्षा हित, आर्थिक सहयोग और अंतरराष्ट्रीय राजनीति का संगम है।'
उन्होंने कहा, 'बांग्लादेश के साथ भूमि सीमा समझौता और संपर्क की सहमति बदलाव लाने वाली रहीं। ऊर्जा उत्पादन में सहयोग और भूकंप के बाद नेपाल को सहयोग से संबंधों में बदलाव आए।'
थरूर ने कहा, 'श्रीमान मोदी ने कूटनीति में व्यक्तिगत ऊर्जा लगाई है और पिछले एक साल में उन्होंने 24 देशों की यात्रा की है। एक तरह से उन्होंने ठीक ही किया। जिस भी देश में वह गए वहां एक सकारात्मक पहचान छोड़ी और मेरा मानना है कि इसे मान्यता मिलनी चाहिए।'
थरूर ने कहा, 'उनके एक और कदम को मान्यता दी जानी चाहिए और वह यह कि उन्होंने कुछ ऐसा किया है जिसके लिए मैं भारत की पिछली सरकारों की आलोचना करता रहा हूं। हमने अपनी 'सॉफ्ट पॉवर' (गैर सैन्य शक्ति) को यूंही ले लिया था और उसका लाभ नहीं उठाया था।' इसके लिए उन्होंने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का हवाला दिया।
थरूर ने यह बातें नई दिल्ली में जाने-माने विद्वान सी. राजमोहन की किताब 'मोदीज वर्ल्ड, एक्सपेंडिंग इंडियाज स्फीयर ऑफ इंफ्लूएंस' के विमोचन के मौके पर आयोजित दोपहर के भोज पर कहीं।
इसी मौके पर मौजूद विदेश सचिव एस. जयशंकर ने भी कहा कि भारत के कूटनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'निजी संबंध' की 'जबर्दस्त भूमिका' रही है और पिछले एक साल में अंतरराष्ट्रीय समाराहों और स्थितियों में उनका 'अलग रुख' झलका।
उन्होंने भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय संबंधों के संचालन के तरीके में 'बदलाव की सोच' के बारे में बात करते हुए पड़ोसी देशों, चीन और प्रशांत महासागर के देशों के साथ ही अफ्रीकी देशों के प्रति उनके सक्रिय रुख का जिक्र किया।
विदेश सचिव ने कहा, 'मैं बदलाव की सोच के उदाहरण बताता हूं। पड़ोस की नीति जिसमें संपर्क, जुड़ाव और सहयोग को प्राथमिकता दी गई। चीन की नीति है जिसमें सुरक्षा हित, आर्थिक सहयोग और अंतरराष्ट्रीय राजनीति का संगम है।'
उन्होंने कहा, 'बांग्लादेश के साथ भूमि सीमा समझौता और संपर्क की सहमति बदलाव लाने वाली रहीं। ऊर्जा उत्पादन में सहयोग और भूकंप के बाद नेपाल को सहयोग से संबंधों में बदलाव आए।'
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