प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल के एक साल पूरे होने पर देशवासियों के नाम चिट्ठी लिखी है. जिसमें उन्होंने कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद उपजे हालात से निपटने का संकल्प लिया. साथ में पीएम मोदी ने चिट्ठी अपनी पार्टी बीजेपी कि विचारधारा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी जाहिए की. उन्होंने कहा, राष्ट्रीय एकता-अखंडता के लिए आर्टिकल 370 की बात हो, सदियों पुराने संघर्ष के सुखद परिणाम - राम मंदिर निर्माण की बात हो, आधुनिक समाज व्यवस्था में रुकावट बना ट्रिपल तलाक हो, या फिर भारत की करुणा का प्रतीक नागरिकता संशोधन कानून हो, ये सारी उपलब्धियां आप सभी को स्मरण हैं. एक के बाद एक हुए इन ऐतिहासिक निर्णयों के बीच अनेक फैसले, अनेक बदलाव ऐसे भी हैं, जिन्होंने भारत की विकास यात्रा को नई गति दी है, नए लक्ष्य दिए हैं, लोगों की अपेक्षाओं को पूरा किया है'. इसके साथ ही गृहमंत्री अमित शाह ने भी कहा कि 'मोदी जी ने इन 6 वर्षों के कार्यकाल में न सिर्फ कई ऐतिहासिक गलतियों को सुधारा है बल्कि 6 दशक की खाई को पाट कर विकासपथ पर अग्रसर एक आत्मनिर्भर भारत की नींव भी रखी है.
गौरतलब है कि केंद्र में दोबारा मोदी सरकार बनते ही शुरुआती दिनों में अपने वैचारिक एजेंडों को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम ने जी जान लगा दी. लेकिन लगभग 6 महीने के बाद कोरोना वायरस के संक्रमण ने नई चुनौतियां खड़ी दीं और पूरा ध्यान अब अर्थव्यवस्था को उबारने में लग गया है. आपको बता दें कि बीजेपी की अगुवाई में केंद्र में चल रही मोदी सरकार 2.0 के एक साल रविवार यानी 31 मई को पूरे हो जाएंगे. सरकार के इन एक सालों को उसके हिंदुत्व एजेंडे को लागू करने के लिए याद किया जाएगा. लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत से चुनकर आई मोदी सरकार ने अपनी पार्टी के दशकों पुराने कोर एजेंडे पर काम करना शुरू किया.
1- जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म
कांग्रेस से अलग होकर संघ के समर्थन से जनसंघ बनाने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी का पहला आंदोलन ही कश्मीर को लेकर था. आरएसएस और जनसंघ शुरू से ही कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के खिलाफ थे. इसको लेकर पहले जनसंघ और अब बीजेपी लगातार संघर्ष करती है. पहले कार्यकाल में मोदी सरकार ने इस मुद्दे को ज्यादा नहीं छेड़ा लेकिन लेकिन दूसरी बार सरकार बनते ही अगस्त 2019 में पूरी तैयारी के साथ जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया. जम्मू-कश्मीर अब दो केंद्र शाषित प्रदेशों में बंट गया है.
2-अयोध्या में राम मंदिर
अनुच्छेद 370 की तरह ही अयोध्या में राम मंदिर भी बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र का दशकों से हिस्सा रहा है. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने अयोध्या में विवादित जगह पर राम मंदिर बनाने का फैसला सुनाया है. 90 के दशक में कभी इस मुद्दे से अपना आंदोलन शुरू करने वाली बीजेपी को राम मंदिर ने बड़ी संजीवन दी थी. एक समय ऐसा भी था कि जब इस मुद्दे की वजह से बीजेपी को सांप्रादायिक पार्टी कहा जाता था और बाकी दल उसको 'अछूत' मानते थे.
3-तीन तलाक का मुद्दा
कभी इस मुद्दे पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सुप्रीम कोर्ट को फैसले को पलट दिया था और तब से यह मुद्दा भी बीजेपी के कोर एजेंडे में शामिल था. अपने पहले ही कार्यकाल में लोकसभा में पास करा लिया था लेकिन राज्यसभा में यह अटक गया. लेकिन दूसरा कार्यकाल शुरू होते ही सरकार ने इसे दोनों से सदनों से पास करा लिया. अब देश में तीन तलाक एक अपराध बन गया है. इसमें सजा का प्रावधान है.
4- नागरिक संशोधन बिल
इसके बाद बीजेपी ने एक बार फिर एक विवादित मुद्दे को छेड़ा. यह था नागरिक संशोधन बिल. इसमें पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए ऐसे गैर मुस्लिम जिनके साथ धर्म के नाम पर अत्याचार किया गया हो, उनको नागरिकता देने का प्रावधान है. इसके साथ ही एनआरसी मुद्दा का भी उठा. जिसमें अवैध रूप रहे बांग्लादेशियों को पहचान कर उन्हें देश से बाहर करने का प्रावधान था. हालांकि एनआरसी का विरोध देख सरकार को इसे फिलहाल ठंडे बस्ते में डालना पड़ा.
अमित शाह उभरे पीएम मोदी के सबसे मजबूत नेता
दूसरे कार्यकाल मे अमित शाह को गृहमंत्री बनाया गया. वह गांधीनगर सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर आए हैं. अमित शाह ने अनुच्छेद 370 से लेकर नागरिक संशोधन बिल यानी सीएए तक सारे मुद्दों पर सरकार की ओर से मोर्चा संभाला और वह पीएम मोदी के बाद सरकार में सबसे ताकतवर नेता बन गए. उनकी जगह पर जेपी नड्डा को बीजेपी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया.
विधानसभा चुनाव में कई जगह जीत तो हार भी मिली
इस दौरान दिल्ली, झारखंड, महाराष्ट्र और कर्नाटक में चुनाव हुए और जहां महाराष्ट्र और कर्नाटक छोड़ दोनों जगहों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. महाराष्ट्र में बीजेपी बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन लाख कोशिशों के बाद सरकार नहीं बना पाई. कर्नाटक में येदियुरप्पा की सरकार बनी. इस बीच मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिर गई और मध्य प्रदेश में एक बार फिर मामा यानी शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बन गए हैं.
आने वाले विधानसभा चुनाव में 'कोरोना वायरस' की चुनौती
अगला विधानसभा चुनाव बिहार में होना है. जहां नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए की सरकार है. प्रवासी मजदूरों की एक बड़ी संख्या बिहार पहुंच रही है जो चुनाव में एक बड़ा फैक्टर साबित हो सकते हैं. इसके बाद पश्चिम बंगाल, केरल, असम और तमिलनाडु और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हैं. कोरोना वायरस के बाद उपजी परिस्थितियां इस बार के विधानसभा चुनाव में एजेंडा होंगे. असम में बीजेपी की सरकार है और वहां उसे सत्ता बचाए रखने की चुनौती है. तो पश्चिम बंगाल में भी उसे लोकसभा चुनाव की तरह प्रदर्शन दोहराए जाने की उम्मीद है.
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