
Rental property को लेकर नया बाजार देश में खड़ा होगा. 1 करोड़ संपत्तियां देश में खाली हैं
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
नए मॉडल टेनेंसी ऐक्ट यानी आदर्श किराया कानून के अनुसार, कोई भी बिना लिखित कानूनी समझौते के न तो किराये पर न तो प्रापर्टी दे सकेगा और न ले सकेगा. यह लिखित समझौता उस राज्य की रेंट अथॉरिटी ( State Rent Authority) के समक्ष दाखिल करना होगा. रेरा की तरह हर राज्य में रेंट अथॉरिटी का गठन किया जाएगा.
शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में यह किरायेदारी कानून लागू होगा. हालांकि इसमें न्यूनतम या अधिकतम किराये की कोई सीमा नहीं होगी. मकानमालिक और किरायेदार के बीच आपसी समझौते से ही किराया तय होगा. लेकिन कानूनी तौर पर मान्यता होने से कोई भी बाद में मनमानी नहीं कर पाएगा.
कानून के तहत, आवासीय संपत्ति (Residential Property) के लिए 2 माह और व्यावसायिक (Commercial Property) के लिए 6 माह का एडवांस देना होगा. इससे मकानमालिकों की मनमानी रुकने के साथ किरायेदारी के प्रावधानों को लेकर अस्पष्टता दूर होगी.
संपत्ति किराये पर देने की प्रक्रिया नए कानून के दायरे में होगी. इससे किसी के मन में संपत्ति पर कब्जे की आशंका नहीं होगी. मकानमालिक एडवांस नोटिस (Advance Notice) देकर अपनी संपत्ति को खाली कराने का अधिकार होगा. मकानमालिक (Home Owner) भी किरायेदार पर कभी भी मनमानी शर्तें थोप नहीं पाएंगे.
हर राज्य में रेंट अथॉरिटी के साथ किरायेदारी से जुड़ी अदालतें (Rent Court) और ट्रिब्यूनल (Rent Tribunal) का स्थापना की जाएगी. इसमें किरायेदारी से जुड़े विवाद 60 दिन में निपटाने का प्रावधान है. दशकों तक किराये की संपत्ति को लेकर विवाद न पैदा हों.
किरायेदार संपत्ति के मालिक से रेंट पर ली प्रापर्टी को बिना उसकी अनुमति के किसी और को किराये पर नहीं दे सकेगा.मकानमालिक की मंजूरी के बगैर किरायेदार को प्रापर्टी में नए ढांचे का निर्माण या बदलाव करने की इजाजत भी नहीं होगी.
विवाद की स्थिति में मकानमालिक रेंट प्रापर्टी को खाली करा सकेगा, लेकिन मकानमालिक को कम से कम एक महीने का नोटिस देना होगा. इससे मकान खाली कराने को लेकर कानूनी विवाद या लड़ाई-झगड़े की संभावना भी कम होगी.
नैरेडको (NAREDCO) अध्यक्ष डॉ. निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि मॉडल टेनेंसी ऐक्ट से अभी खाली पड़े सभी आवासीय या कामर्शियल संपत्तियों के लिए अच्छा बिजनेस मॉडल तैयार होगा. कानूनी ताकत मिलने से किराये की संपत्ति के कारोबार से जुड़े रोजगार बढ़ेंगे, विवाद कम होंगे. किराये पर संपत्तियों के दाम भी घटेंगे.
हीरानंदानी ने कहा कि मकानमालिक, किरायेदारों के अलावा निवेशकों और प्रापर्टी डीलर को भी संस्थागत दर्जा मिलेगा. किसी के भी उत्पीड़न की संभावना नहीं रहेगी. इससे पूरे देश में किरायेदारी के नियम-कानूनों को लेकर एकरूपता आएगी. ऐसी खाली पड़ी संपत्तियों का इस्तेमाल होने से अर्थव्यवस्था को भी लाभ पहुंचेगा और रोजगार बढ़ेंगे.
रियल एस्टेट कंपनी 360 रियल्टर्स के एमडी अंकित कंसल ने कहा कि जैसे रेरा (RERA) ने मकानों की बिक्री में घर खरीदारों के हितों की रक्षा का ढांचा तैयार किया, वही अब किरायेदारी कानून से होगा. इससे मकानमालिक और किरायेदार दोनों के हितों की रक्षा होगा. सिक्योरिटी डिपॉडिट, नोटिस पीरियड, रेंट एग्रीमेंट, किराये की संपत्ति को आगे फिर किराये पर देने में मनमानी शर्तों या अधिकारों की गुंजाइश नहीं रहेगी. रेंटल बाजार में बड़े खिलाड़ी उतरेंगे.