नरेंद्र मोदी का फाइल फोटो
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला अपने पिछले प्रयासों के नाकाम होने के बाद एक बार फिर से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की कोशिश में हैं। वह मोदी के साथ 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों के पुनर्वास, अल्पसंख्यक बच्चों को छात्रवृत्ति, पारसी और सिख समुदायों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना चाहते हैं।
पिछले साल हबीबुल्ला ने कम से कम दो बार मोदी से मुलाकात करने का प्रयास किया था, लेकिन किन्हीं कारणों से मुलाकात नहीं हो पाई, लेकिन अब हबीबुल्ला का कहना है कि वह गुजरात के मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए नए सिरे से पहल करेंगे।
हबीबुल्ला ने कहा, ‘‘हमने पहले भी उनसे (मोदी) मिलने की कोशिश की थी, लेकिन किन्हीं कारणों से मुलाकात नहीं हो सकी। अब मैं उनसे जल्द मुलाकात करने के लिए नए सिरे से पहल करूंगा। उम्मीद करते हैं उनके साथ जल्द मुलाकात हो जाएगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कई मुद्दे हैं जिनको गुजरात सरकार और वहां के मुख्यमंत्री के समक्ष उठाने हैं। इनमें 2002 के दंगा पीड़ितों के पुनर्वास और इनसे जुड़े दूसरे मुद्दे तथा अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति का गुजरात सरकार द्वारा विरोध किए जाने का मामला अहम है।’’
उल्लेखनीय है कि गुजरात सरकार ने केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ओर से चलाई जा रही प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना का यह कहते हुए विरोध किया है कि यह भेदभावपूर्ण योजना है और वह अपने यहां इसे लागू नहीं करेगी। फिलहाल इससे जुड़ा मामला उच्चतम न्यायालय के विचाराधीन है।
हबीबुल्ला ने कहा, ‘‘गुजरात में पारसी समुदाय के लोगों को अल्पसंख्यक वर्ग में शामिल किए जाने का मुद्दा भी अहम है। हम सिख किसानों का मुद्दा भी राज्य सरकार के समक्ष उठाना चाहते हैं।’’
उन्होंने गुजरात सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में दिए गए उस आश्वासन के बारे में कुछ कहने से इनकार कर दिया जिसमें राज्य सरकार ने कहा है कि वह उन मस्जिदों की मरम्मत के लिए भुगतान करने की योजना के साथ सामने आएगी जिनको 2002 के दंगों के वक्त नुकसान पहुंचा था।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत आने वाली मस्जिदों को नमाज के लिए खोलने को लेकर अपनी ओर से लिखे गए पत्र के बारे में हबीबुल्ला ने कहा, ‘हमने यह मुद्दा संस्कृति मंत्रालय और एएसआई के समक्ष उठाया था। एएसआई को सर्वेक्षण करना था। अभी उनकी सर्वेक्षण रिपोर्ट नहीं आई है।’
पिछले साल हबीबुल्ला ने कम से कम दो बार मोदी से मुलाकात करने का प्रयास किया था, लेकिन किन्हीं कारणों से मुलाकात नहीं हो पाई, लेकिन अब हबीबुल्ला का कहना है कि वह गुजरात के मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए नए सिरे से पहल करेंगे।
हबीबुल्ला ने कहा, ‘‘हमने पहले भी उनसे (मोदी) मिलने की कोशिश की थी, लेकिन किन्हीं कारणों से मुलाकात नहीं हो सकी। अब मैं उनसे जल्द मुलाकात करने के लिए नए सिरे से पहल करूंगा। उम्मीद करते हैं उनके साथ जल्द मुलाकात हो जाएगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कई मुद्दे हैं जिनको गुजरात सरकार और वहां के मुख्यमंत्री के समक्ष उठाने हैं। इनमें 2002 के दंगा पीड़ितों के पुनर्वास और इनसे जुड़े दूसरे मुद्दे तथा अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति का गुजरात सरकार द्वारा विरोध किए जाने का मामला अहम है।’’
उल्लेखनीय है कि गुजरात सरकार ने केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ओर से चलाई जा रही प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना का यह कहते हुए विरोध किया है कि यह भेदभावपूर्ण योजना है और वह अपने यहां इसे लागू नहीं करेगी। फिलहाल इससे जुड़ा मामला उच्चतम न्यायालय के विचाराधीन है।
हबीबुल्ला ने कहा, ‘‘गुजरात में पारसी समुदाय के लोगों को अल्पसंख्यक वर्ग में शामिल किए जाने का मुद्दा भी अहम है। हम सिख किसानों का मुद्दा भी राज्य सरकार के समक्ष उठाना चाहते हैं।’’
उन्होंने गुजरात सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में दिए गए उस आश्वासन के बारे में कुछ कहने से इनकार कर दिया जिसमें राज्य सरकार ने कहा है कि वह उन मस्जिदों की मरम्मत के लिए भुगतान करने की योजना के साथ सामने आएगी जिनको 2002 के दंगों के वक्त नुकसान पहुंचा था।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत आने वाली मस्जिदों को नमाज के लिए खोलने को लेकर अपनी ओर से लिखे गए पत्र के बारे में हबीबुल्ला ने कहा, ‘हमने यह मुद्दा संस्कृति मंत्रालय और एएसआई के समक्ष उठाया था। एएसआई को सर्वेक्षण करना था। अभी उनकी सर्वेक्षण रिपोर्ट नहीं आई है।’
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