प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
नागर विमानन मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में दूसरे हवाई अड्डे की स्थापना के प्रस्ताव को गुरुवार को मंजूरी दे दी, जिससे इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर बोझ कम होगा, जहां पिछले साल 4 करोड़ से अधिक यात्रियों की आवाजाही हुई। नए हवाईअड्डे के लिए नोएडा में जेवर सहित विभिन्न स्थानों पर विचार किया जा रहा है।
यह जानकारी देते हुए केंद्रीय नागर विमानन राज्य मंत्री महेश शर्मा ने कहा कि इस परियोजना के विकास के लिए जीएमआर समूह को प्राथमिकता दी जा सकती है, जो इस समय इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे का परिचालन करती है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय अब इस प्रस्ताव को मंत्रिमंडल की स्वीकृति के लिए जल्द भेजेगा।
यह निर्णय मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया, जिसमें नागर विमानन सचिव राजीव नयन चौबे, एयर इंडिया के सीएमडी रोहित नंदन, पवन हंस के प्रमुख बी.पी. शर्मा, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के चेयरमैन आर.के. श्रीवास्तव, नागर विमानन महानिदेशक एम. सत्यवती और मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी शामिल हुए।
शर्मा ने कहा, 'हमने एनसीआर में दूसरा हवाईअड्डा विकसित करने का फैसला किया है। हम दिल्ली हवाईअड्डे पर प्रदूषण और भीड़भाड़ कम करना चाहते हैं।' नए हवाईअड्डे से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ान सेवाएं संचालित करने की योजना है।
प्रस्तावित हवाईअड्डों के लिए जगह के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा कि जेवर इसके लिए सबसे उपयुक्त जगह लगती है, जहां इस काम के लिए करीब 2,000 एकड़ जमीन उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि हम इस बारे में उत्तर प्रदेश सरकार से भी बात कर रहे हैं।
शर्मा ने कहा, 'मंत्रालय अन्य विकल्पों की भी संभावना तलाश रहा है’, उन्होंने कहा कि नई परियोजना के लिए जीएमआर समूह को 'पहले इनकार का अधिकार' दिया जाएगा। समूह की कंपनी दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि. (डायल) में बहुलांश की हिस्सेदार है।
इस नई परियोजना के लिए सरकार को मौजूदा नियम बदलने होंगे क्योंकि इनमें 150 किमी के दायरे में दूसरा हवाईअड्डा नहीं बनाया जा सकता, जब तक कि पहले का परिचालन उसकी क्षमता से उपर न पहुंच गया हो। शर्मा दिल्ली में यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एनसीआर में दूसरे हवाईअड्डे की जरूरत पर कई बार बल दे चुके हैं।
साल 2014-15 में 4 करोड़ विमान यात्रियों ने दिल्ली हवाईअड्डे से आना-जाना किया, जिसमें आगे और वृद्धि की संभावना है।
यह जानकारी देते हुए केंद्रीय नागर विमानन राज्य मंत्री महेश शर्मा ने कहा कि इस परियोजना के विकास के लिए जीएमआर समूह को प्राथमिकता दी जा सकती है, जो इस समय इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे का परिचालन करती है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय अब इस प्रस्ताव को मंत्रिमंडल की स्वीकृति के लिए जल्द भेजेगा।
यह निर्णय मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया, जिसमें नागर विमानन सचिव राजीव नयन चौबे, एयर इंडिया के सीएमडी रोहित नंदन, पवन हंस के प्रमुख बी.पी. शर्मा, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के चेयरमैन आर.के. श्रीवास्तव, नागर विमानन महानिदेशक एम. सत्यवती और मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी शामिल हुए।
शर्मा ने कहा, 'हमने एनसीआर में दूसरा हवाईअड्डा विकसित करने का फैसला किया है। हम दिल्ली हवाईअड्डे पर प्रदूषण और भीड़भाड़ कम करना चाहते हैं।' नए हवाईअड्डे से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ान सेवाएं संचालित करने की योजना है।
प्रस्तावित हवाईअड्डों के लिए जगह के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा कि जेवर इसके लिए सबसे उपयुक्त जगह लगती है, जहां इस काम के लिए करीब 2,000 एकड़ जमीन उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि हम इस बारे में उत्तर प्रदेश सरकार से भी बात कर रहे हैं।
शर्मा ने कहा, 'मंत्रालय अन्य विकल्पों की भी संभावना तलाश रहा है’, उन्होंने कहा कि नई परियोजना के लिए जीएमआर समूह को 'पहले इनकार का अधिकार' दिया जाएगा। समूह की कंपनी दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि. (डायल) में बहुलांश की हिस्सेदार है।
इस नई परियोजना के लिए सरकार को मौजूदा नियम बदलने होंगे क्योंकि इनमें 150 किमी के दायरे में दूसरा हवाईअड्डा नहीं बनाया जा सकता, जब तक कि पहले का परिचालन उसकी क्षमता से उपर न पहुंच गया हो। शर्मा दिल्ली में यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एनसीआर में दूसरे हवाईअड्डे की जरूरत पर कई बार बल दे चुके हैं।
साल 2014-15 में 4 करोड़ विमान यात्रियों ने दिल्ली हवाईअड्डे से आना-जाना किया, जिसमें आगे और वृद्धि की संभावना है।
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