यह ख़बर 10 अक्टूबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

नकारात्मकता की सनक बिगाड़ सकती है देश की छवि : प्रधानमंत्री

खास बातें

  • प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नकारात्मक और निराशावादी माहौल बनाए जाने की निंदा करते हुए भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में संशोधन का वादा किया।
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नकारात्मक और निराशावादी माहौल बनाए जाने की निंदा करते हुए भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में संशोधन का वादा किया, जिसके तहत कई अन्य कदम उठाने के साथ ही रिश्वतखोरी पर लगाम लगाने में कॉरपोरेट नाकामी को एक नए अपराध के तौर शामिल किया जाएगा।

मनमोहन ने कहा, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नकारात्मकता एवं निराशावाद का जो विचारहीन वातावरण बनाने की कोशिश की जा रही है, उससे हमारा कुछ भी भला नहीं होने वाला। इससे सिर्फ देश की छवि खराब होगी और कार्यपालिका के मनोबल पर असर पड़ेगा।

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से अपनी सरकार पर बढ़ते हमलों के बीच प्रधानमंत्री ने कहा कि संशोधनों के जरिये भ्रष्टाचार की एक स्पष्ट एवं असंदिग्ध परिभाषा दी जाएगी, ताकि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की दरारें पाटी जा सकें और यह अंतरराष्ट्रीय चलन की तर्ज पर हो।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) एवं सभी राज्यों के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुभवों से पता चलता है कि बड़े पैमाने पर होने वाले भ्रष्टाचार ज्यादातर बड़े वाणिज्यिक संस्थानों के कामकाज से जुड़े रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, 'भ्रष्टाचार' शब्द के लिए एक स्पष्ट एवं असंदिग्ध परिभाषा दी जाएगी, जिसके दायरे में आपूर्ति एवं मांग पक्ष भी शामिल होंगे।

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उन्होंने कहा कि आपूर्ति पक्ष में रिश्वतखोरी पर लगाम लगाने में कॉरपोरेट नाकामी को एक नए अपराध की तरह शामिल करने के प्रस्ताव पर भी विचार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, मैं ईमानदार अधिकारियों के बचाव की जरूरत और कार्यपालिका के मनोबल को बनाए रखने की हमारी प्रतिबद्धता पर जोर देना चाहूंगा।