दार्जीलिंग में मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने गंगटोक-सिलिगुड़ी मार्ग बंद कर दिया.... (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दार्जीलिंग हिंसा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय और ममता सरकार में तनातनी चल रही है. राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट में मंत्रालय को गोरखा टेरिटोरियल ऐडमिनिस्ट्रेशन यानी जीटीए में होने वाले चुनाव हिंसा की वजह बताया है. उधर दार्जीलिंग में तनाव अब भी कायम है. प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को गंगटोक-सिलिगुड़ी मार्ग बंद कर दिया. गंगटोक के सैलानी पुलिस सुरक्षा में सिलिगुड़ी तक पहुंचाए गए. गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने शांति मार्च भी निकाला. सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट ने भी मोर्चे की मांग का समर्थन कर दिया है.
इन सबके बीच ममता हिंसा के लिए जनमुक्ति मोर्चा को ज़िम्मेदार ठहरा रही हैं. साथ ही उनका कहना है कि गोरखा टेरिटोरियल ऐडमिनिस्ट्रेशन यानी जीटीए के चुनावों की वजह से हिंसा हो रही है. इसे लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ख़फ़ा है. राज्य सरकार ने जो अतिरिक्त कंपनियां मांगी थी वो भी केंद्र ने देने से इनकार कर दिया है.
गृह मंत्रालय सलाहकार अशोक प्रसाद ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि उनकी रिपोर्ट मंत्रालय को पहुंच गई है. उन्होंने चार और कंपनियां मांगी थी. फिर कहा दो चाहिए लेकिन मंत्रालय ने एक महिला कम्पोनेंट भेज दिया है. एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक़ ममता सरकार ने हिंसा शुरू होने के 15 दिन बाद रिपोर्ट भेजी है. वो भी सात दिन पुरानी है. राज्य सरकार को रिपोर्ट क्लीन चिट देती है तो साथ ही गोरखा जन मुक्ति मोर्चा को ज़िम्मेदार बताती है. 13 जून तक राज्य प्रशासन ने 23 मामले दर्ज किए लेकिन गिरफ़्तारियां कितनी हुई हैं, ये नहीं बताती है. साथ ही रिपोर्ट में लिखा है की जीटीए के चुनाव होने वाले है इसीलिए हिंसा थम नहीं रही है. ये ही नहीं गोरखा आंदोलन को इन्सर्जेंट ग्रूप भी बढ़ावा दे रहे है.
उधर, दार्जीलिंग से भाजपा के सांसद एसएस आलूवालिया का कहना है, "दार्जीलिंग में आंदोलन चल रहा है और मुख्यमंत्री हालैंड में है. पूरी हिंसा की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए."
ममता सरकार का आरोप ये भी है की भाजपा इलाक़े में तनाव फैला रही है और अब लड़ाई पहाड़ी और मैदानी इलाक़े की है जबकि गोरखा लोगों का कहना है कि ममता राजनीति कर रही हैं.
इन सबके बीच ममता हिंसा के लिए जनमुक्ति मोर्चा को ज़िम्मेदार ठहरा रही हैं. साथ ही उनका कहना है कि गोरखा टेरिटोरियल ऐडमिनिस्ट्रेशन यानी जीटीए के चुनावों की वजह से हिंसा हो रही है. इसे लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ख़फ़ा है. राज्य सरकार ने जो अतिरिक्त कंपनियां मांगी थी वो भी केंद्र ने देने से इनकार कर दिया है.
गृह मंत्रालय सलाहकार अशोक प्रसाद ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि उनकी रिपोर्ट मंत्रालय को पहुंच गई है. उन्होंने चार और कंपनियां मांगी थी. फिर कहा दो चाहिए लेकिन मंत्रालय ने एक महिला कम्पोनेंट भेज दिया है. एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक़ ममता सरकार ने हिंसा शुरू होने के 15 दिन बाद रिपोर्ट भेजी है. वो भी सात दिन पुरानी है. राज्य सरकार को रिपोर्ट क्लीन चिट देती है तो साथ ही गोरखा जन मुक्ति मोर्चा को ज़िम्मेदार बताती है. 13 जून तक राज्य प्रशासन ने 23 मामले दर्ज किए लेकिन गिरफ़्तारियां कितनी हुई हैं, ये नहीं बताती है. साथ ही रिपोर्ट में लिखा है की जीटीए के चुनाव होने वाले है इसीलिए हिंसा थम नहीं रही है. ये ही नहीं गोरखा आंदोलन को इन्सर्जेंट ग्रूप भी बढ़ावा दे रहे है.
उधर, दार्जीलिंग से भाजपा के सांसद एसएस आलूवालिया का कहना है, "दार्जीलिंग में आंदोलन चल रहा है और मुख्यमंत्री हालैंड में है. पूरी हिंसा की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए."
ममता सरकार का आरोप ये भी है की भाजपा इलाक़े में तनाव फैला रही है और अब लड़ाई पहाड़ी और मैदानी इलाक़े की है जबकि गोरखा लोगों का कहना है कि ममता राजनीति कर रही हैं.
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