प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तेलंगाना सरकार को कहा है कि वो उन तीन नौजवानों के साथ सख़्ती बरते जो हाल में नागपुर में पकड़े गए हैं। ये नौजवान श्रीनगर जिहादी ग्रुप के साथ जुड़ने के लिए जा रहे थे और वहां से आईएसआईएस के साथ।
तीन नौजवान - मोहम्मद अब्दुल्ला बसिथ, सईद उमर फ़ारूक़ हुस्सैन्नी और मांज हसन फ़ारूक़ - को नागपुर में गिरफ़्तार किया गया था। ये लोग हैदराबाद से नागपुर पहुंचे थे। गृह मंत्रालय ने तेलंगाना को साफ़ कहा है कि इस बार इन तीनों के ऊपर सख़्त कर्रवाई की जानी चाहिए।
इन तीनों को सितम्बर 2014 में पहले पकड़ा गया था। ये लोग तब अफ़ग़ानिस्तान, इराक़ और सीरिया जाना चाहते थे, वो भी बांग्लादेश के ज़रिए। तब इनके दो और साथी अबरार और ओमान भी इनके साथ थे। तब केंद्र सरकार ने इनके साथ नरमी दिखायी थी और इनके ख़िलाफ़ कोई क़ानूनी करवाई नहीं की थी।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया को बताया, 'लेकिन अब दुबारा इनके साथ ढिलाई बरती गयी तो ये दुबारा ऐसा करेंगे। पहली बार ग़लती करने वालों से तो नरमी बरती जा सकती है लेकिन बार बार करने वालों से नहीं, एक सख़्त संदेश भी जाना चाहिए तभी ऐसे नौजवान रुकेंगे।' बसीथ, हुस्सैनी और फ़ारूक़ - तीनों रिश्ते में भाई हैं और तीन 20-22 साल के हैं। इनको रविवार रात हैदराबाद भेजा गया, वहां उनसे पूछताछ के बाद गिरफ़्तार कर लिया गया है। इन तीनों को सोमवार को अदालत में पेश किया गया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। गृह मंत्रालय के मुताबिक़ इन तीनों के सीमी के लीडर के साथ भी रिश्ते हैं।
उधर हैदराबाद पुलिस इनकी दुबारा पुलिस रिमांड लेगी ताकि इनसे आगे पूछताछ की जा सके। सूत्रों के मुताबिक़ इन्होंने क़बूल किया है कि ये लोग अफगानिस्तान इराक़ और सीरिया जाना चाहते थे। कश्मीर में ये आएशा अंदराबी से मिलना चाहते थे और उसके ज़रिए पाकिस्तान में घुसने के रास्ते तलाशना चाहते थे।
ये तीनों कार के ज़रिए हैदराबाद से नागपुर पहुंचे थे जहां इन्हें धर दबोचा गया। महाराष्ट्र की एटीएस और तेलंगाना पुलिस ने इनको तब डिटेन किया जब ये कश्मीर जाने के लिए फ़्लाइट पकड़ने वाले थे।
तीन नौजवान - मोहम्मद अब्दुल्ला बसिथ, सईद उमर फ़ारूक़ हुस्सैन्नी और मांज हसन फ़ारूक़ - को नागपुर में गिरफ़्तार किया गया था। ये लोग हैदराबाद से नागपुर पहुंचे थे। गृह मंत्रालय ने तेलंगाना को साफ़ कहा है कि इस बार इन तीनों के ऊपर सख़्त कर्रवाई की जानी चाहिए।
इन तीनों को सितम्बर 2014 में पहले पकड़ा गया था। ये लोग तब अफ़ग़ानिस्तान, इराक़ और सीरिया जाना चाहते थे, वो भी बांग्लादेश के ज़रिए। तब इनके दो और साथी अबरार और ओमान भी इनके साथ थे। तब केंद्र सरकार ने इनके साथ नरमी दिखायी थी और इनके ख़िलाफ़ कोई क़ानूनी करवाई नहीं की थी।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया को बताया, 'लेकिन अब दुबारा इनके साथ ढिलाई बरती गयी तो ये दुबारा ऐसा करेंगे। पहली बार ग़लती करने वालों से तो नरमी बरती जा सकती है लेकिन बार बार करने वालों से नहीं, एक सख़्त संदेश भी जाना चाहिए तभी ऐसे नौजवान रुकेंगे।' बसीथ, हुस्सैनी और फ़ारूक़ - तीनों रिश्ते में भाई हैं और तीन 20-22 साल के हैं। इनको रविवार रात हैदराबाद भेजा गया, वहां उनसे पूछताछ के बाद गिरफ़्तार कर लिया गया है। इन तीनों को सोमवार को अदालत में पेश किया गया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। गृह मंत्रालय के मुताबिक़ इन तीनों के सीमी के लीडर के साथ भी रिश्ते हैं।
उधर हैदराबाद पुलिस इनकी दुबारा पुलिस रिमांड लेगी ताकि इनसे आगे पूछताछ की जा सके। सूत्रों के मुताबिक़ इन्होंने क़बूल किया है कि ये लोग अफगानिस्तान इराक़ और सीरिया जाना चाहते थे। कश्मीर में ये आएशा अंदराबी से मिलना चाहते थे और उसके ज़रिए पाकिस्तान में घुसने के रास्ते तलाशना चाहते थे।
ये तीनों कार के ज़रिए हैदराबाद से नागपुर पहुंचे थे जहां इन्हें धर दबोचा गया। महाराष्ट्र की एटीएस और तेलंगाना पुलिस ने इनको तब डिटेन किया जब ये कश्मीर जाने के लिए फ़्लाइट पकड़ने वाले थे।
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