चेन्नई:
एक मानवाधिकार संगठन ने कहा कि वर्ष 1993 के बारूदी सुरंग विस्फोट में अदालत से मौत की सजा पाए चंदन तस्कर के चार सहयोगियों की दया याचिकाएं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अस्वीकार कर दी हैं।
पीपुल्स यूनियन फोर सिविल लिबर्टीज के तमिलनाडु के महासचिव बालागुरुगन ने कहा, ‘परिवार के सदस्यों को बेलगांव जेल प्रशासन से सूचना मिली है कि चारों की दया याचिकाएं राष्ट्रपति ने अस्वीकार कर दी हैं।’ उन्होंने बताया कि बेलगांव जेल में बंद इन चारों के परिवारों ने उन्हें राष्ट्रपति के फैसले से अवगत कराया। राष्ट्रपति का यह फैसला संसद हमले के अभियुक्त अफजल गुरु की दया याचिका अस्वीकार करने और उसे फांसी पर चढ़ाने के कुछ समय बाद आया है।
वर्ष 1993 में कर्नाटक के पलार में वीरप्पन गिरोह ने बारूदी सुरंग विस्फोट किया था जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए थे। उच्चतम न्यायालय ने इस कांड में ज्ञानप्रकाश, सिमोन, मीसाई मादियान और पीलावेंद्रन को मौत की सजा सुनाई थी।
पीपुल्स यूनियन फोर सिविल लिबर्टीज के तमिलनाडु के महासचिव बालागुरुगन ने कहा, ‘परिवार के सदस्यों को बेलगांव जेल प्रशासन से सूचना मिली है कि चारों की दया याचिकाएं राष्ट्रपति ने अस्वीकार कर दी हैं।’ उन्होंने बताया कि बेलगांव जेल में बंद इन चारों के परिवारों ने उन्हें राष्ट्रपति के फैसले से अवगत कराया। राष्ट्रपति का यह फैसला संसद हमले के अभियुक्त अफजल गुरु की दया याचिका अस्वीकार करने और उसे फांसी पर चढ़ाने के कुछ समय बाद आया है।
वर्ष 1993 में कर्नाटक के पलार में वीरप्पन गिरोह ने बारूदी सुरंग विस्फोट किया था जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए थे। उच्चतम न्यायालय ने इस कांड में ज्ञानप्रकाश, सिमोन, मीसाई मादियान और पीलावेंद्रन को मौत की सजा सुनाई थी।
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