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This Article is From Mar 06, 2019

मिलिए ऐसे सांसद से, जिन्होंने पत्रकारिता के लिए राजनीति से संन्यास लेकर चौंकाया

तथागत सत्पथी (Tathagata Satpathy): जिस दौर में पत्रकारिता को सीढ़ी बनाकर तमाम लोग विधायक-सांसद और मंत्री बनकर सत्ता का सुख लेने की कोशिश करते हैं, जिसके ढेरों उदाहरण भी हैं, उस दौर में इस सांसद ने पत्रकारिता के लिए राजनीति से संन्यास लेकर नजीर पेश की है.

मिलिए ऐसे सांसद से, जिन्होंने पत्रकारिता के लिए राजनीति से संन्यास लेकर चौंकाया
तथागत सत्पति (Tathagata Satpathy), ओडिशा के BJD सांसद, ने पत्रकारिता के लिए राजनीति से लिया संन्यास...
नई दिल्ली:

तथागत सत्पति (Tathagata Satpathy) ऐसा नाम है, जिन्होंने विरला ही काम कर दिखाया है. दरअसल, देश में पत्रकार से नेता बनने के अतीत और वर्तमान में बहुत से उदाहरण हैं. मगर कोई नेता अगर पत्रकारिता में आने के लिए राजनीति से तौबा कर ले, तो बात मायने रखती है. यह बात, तब और भी खास हो जाती है, जब ऐसा फैसला लेने वाला शख्स कोई हाशिये पर पहुंचा नेता होने की जगह पार्टी और इलाके का एक सक्रिय सांसद हो और पूर्व मुख्यमंत्री का बेटा भी. 80 और 90 साल की उम्र में भी जब कई नेता राजनीति से संन्यास नहीं लेते, तब 62 साल की उम्र मे ही इस सांसद ने राजनीति को अलविदा कह दिया है. बात हो रही है ओडिशा के सत्ताधारी BJD के सांसद की. चार बार के सांसद तथागत सत्पति (Tathagata Satpathy) ने पत्रकारिता की दुनिया में फिर लौटने के लिए राजनीति से संन्यास लेने का मंगलवार को ऐलान कर सबको चौंका दिया है.

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काबिलेगौर है कि सांसद तथागत सत्पति (Tathagata Satpathy) की मां नंदिनी सत्पथी प्रख्यात लेखिका के साथ ओडिशा की मुख्यमंत्री रह चुकीं हैं. वे 14 जून, 1972 से 16 दिसम्बर, 1976 तक राज्य की मुख्यमंत्री रहीं. चार अगस्त 2006 को भुवनेश्वर में नंदिनी का  निधन हो गया था. तथागत सूबे के ढेंकनाल निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद हैं. उन्होंने टि्वटर पर कहा, ‘‘अब पत्रकारिता में और निडर आवाजों की जरुरत है. पत्रकारिता पर फिर से ध्यान केंद्रित करने के लिए अपने आप को राजनीति से दूर कर रहा हूं. इतने वर्षों में सहयोग के लिए अपने नेता नवीन पटनायक का आभारी हूं. यह अहसास हुआ कि लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति एकमात्र जरिया नहीं है.'

एक अन्य ट्वीट में तथागत ने अपने उन वोटर्स का भी आभार जताया, जिन्होंने उन्हें हमेशा समर्थन और प्यार दिया. उन्होंने कहा कि देश में सामाजिक नेतृत्व का अभाव है और यह समय है युवा नेतृत्व को भी मौका देने का. (इनपुट-भाषा)

वीडियो- 'सक्रिय राजनीति से संन्यास लें बुजुर्ग नेता' 

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