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This Article is From Jan 03, 2020

बच्चों की मौत पर बरसीं मायावती, कहा-अशोक गहलोत सरकार की उदासीनता असंवेदनशील और गैर-जिम्मेदाराना

मायावती ने कहा, ‘यह अच्छा होता कि वह उत्तर प्रदेश की तरह कांग्रेस महासचिव (प्रियंका गांधी वाड्रा) राजस्थान के कोटा के उन गरीब पीड़ित मांओं से भी जाकर मिलती, जिनकी गोद उनकी पार्टी की सरकार की लापरवाही के कारण उजड़ गई हैं.'

बच्चों की मौत पर बरसीं मायावती, कहा-अशोक गहलोत सरकार की उदासीनता असंवेदनशील और गैर-जिम्मेदाराना
बसपा सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (फाइल फोटो)
लखनऊ:

बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने राजस्थान के अस्पताल में लगभग 100 मासूम बच्चों की मौत को अत्यंत दुःखद एवं दर्दनाक करार देते हुए कहा है कि इस मामले में राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार की उदासीनता असंवेदनशील और गैर-जिम्मेदाराना है. मायावती ने आरोप लगाया कि सबसे अधिक दुःखद कांग्रेस नेतृत्व, खासकर पार्टी की महिला राष्ट्रीय महासचिव (प्रियंका गांधी वाड्रा) की इस मामले में चुप्पी साधे रखना है. उन्होंने कहा, ‘यह अच्छा होता कि वह उत्तर प्रदेश की तरह कांग्रेस महासचिव (प्रियंका गांधी वाड्रा) राजस्थान के कोटा के उन गरीब पीड़ित मांओं से भी जाकर मिलती, जिनकी गोद उनकी पार्टी की सरकार की लापरवाही के कारण उजड़ गई हैं.'

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उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी मायावती ने गुरूवार को बयान जारी कर कहा, 'यदि कांग्रेस महासचिव राजस्थान के कोटा में जाकर मृत बच्चों की मां से नहीं मिलती हैं, तो फिर उत्तर प्रदेश में किसी भी मामले में यहां के पीड़ित परिवार से मिलना केवल इनका यह राजनैतिक स्वार्थ एवं कोरी नाटकबाजी ही मानी जाएगी और इससे प्रदेश जनता को सर्तक रहना है.' बयान में कहा गया है कि भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस शासित राज्यों के किसी न किसी भाग में दलितों और गरीबों के साथ जुल्म-ज्यादती, दुर्व्यवहार, बलात्कार, हिंसा और अन्य प्रकार के शोषण तथा उत्पीड़न की घटनाएं लगातार हो रही है जो किसी से भी छिपी नहीं है.

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उन्होंने कहा कि कांग्रेस की महिला राष्ट्रीय महासचिव उन पीड़ितों से कभी मिलकर उन्हें सांत्वना देने तथा घटनाओं की पुनरावृति रोकने के संबंध में प्रदर्शन कांग्रेस शासित राज्यों में क्यों नहीं करती हैं और वह केवल यूपी में ही ऐसा क्यों करती है यह सोचने वाली बात है. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी ने दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों एवं धार्मिक अल्पसंख्यको का सही संवैधानिक तौर पर देखभाल किया होता तो फिर इनको आज सत्ता से बाहर नहीं होना पड़ता और ना ही इतने बुरे दिन देखने पड़ते.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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