रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर मायावती ने साधा निशाना
लखनऊ:
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने पड़ोसी देश म्यांमा में अशान्ति व हिंसा के कारण भारत में शरणार्थी बनकर पनाह लेने वाले हजारों अत्यन्त गरीब और असहाय रोहिंग्या मुसलमान परिवारों के प्रति संवेदना एवं सहानुभूति व्यक्त करते हुए भारत सरकार से कहा कि उनके प्रति मानवता एवं इंसानियत के नाते सख्त रवैया नहीं अपनाना चाहिए और न ही राज्यों को इसके लिए मजबूर किया जाना चाहिए.
दुनिया के ऐसे लोग जो किसी देश के नागरिक नहीं, जानें- कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान?
मायावती ने एक बयान में कहा कि म्यांमा के सीमावर्ती राज्य में अशान्ति के कारण लाखों रोहिंग्या मुसलमानों ने बंगलादेश में शरण ली है तथा कई हजार भारत के विभिन्न राज्यों में भी शरणार्थी बनकर रह रहे हैं. उनके प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार का रवैया पूरी तरह से स्पष्ट नहीं होने के कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
'रोहिंग्या मुसलमानों पर म्यांमार में ज़ुल्म' रवीश कुमार के साथ प्राइम टाइम
उन्होंने कहा कि भारत सरकार को इन शरणार्थियों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपना चाहिये जैसा कि भारत की परम्परा रही है. साथ ही, म्यांमा एवं बांगलादेश की सरकार से वार्ता करके रोहिंग्या मुसलमानों के मामले को सुलझाने का प्रयास करना चाहिये ताकि उनका पलायन रुक सके.
रोहिंग्या मुसलामानों को शरण नहीं देगा भारत
गृह मंत्रालय कह चुका है कि वह रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में शरण नहीं देगा, बल्कि उन्हें वापस लौटा देगा. इसके साथ ही भारत-म्यांमार सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है. सीमा पर सरकार ने रेड अलर्ट जारी किया है.
क्या है विवाद
रोहिंग्या समुदाय 12वीं सदी के शुरुआती दशक में म्यांमार के रखाइन इलाके में आकर बस तो गया, लेकिन स्थानीय बौद्ध बहुसंख्यक समुदाय ने उन्हें आज तक नहीं अपनाया है. 2012 में रखाइन में कुछ सुरक्षाकर्मियों की हत्या के बाद रोहिंग्या और सुरक्षाकर्मियों के बीच व्यापक हिंसा भड़क गई. तब से म्यांमार में रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ हिंसा जारी है. रोहिंग्या और म्यांमार के सुरक्षा बल एक-दूसरे पर अत्याचार करने का आरोप लगा रहे हैं. ताजा मामला 25 अगस्त को हुआ, जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों ने पुलिस वालों पर हमला कर दिया. इस लड़ाई में कई पुलिस वाले घायल हुए, इस हिंसा से म्यांमार के हालात और भी खराब हो गए.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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मायावती ने एक बयान में कहा कि म्यांमा के सीमावर्ती राज्य में अशान्ति के कारण लाखों रोहिंग्या मुसलमानों ने बंगलादेश में शरण ली है तथा कई हजार भारत के विभिन्न राज्यों में भी शरणार्थी बनकर रह रहे हैं. उनके प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार का रवैया पूरी तरह से स्पष्ट नहीं होने के कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
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उन्होंने कहा कि भारत सरकार को इन शरणार्थियों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपना चाहिये जैसा कि भारत की परम्परा रही है. साथ ही, म्यांमा एवं बांगलादेश की सरकार से वार्ता करके रोहिंग्या मुसलमानों के मामले को सुलझाने का प्रयास करना चाहिये ताकि उनका पलायन रुक सके.
रोहिंग्या मुसलामानों को शरण नहीं देगा भारत
गृह मंत्रालय कह चुका है कि वह रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में शरण नहीं देगा, बल्कि उन्हें वापस लौटा देगा. इसके साथ ही भारत-म्यांमार सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है. सीमा पर सरकार ने रेड अलर्ट जारी किया है.
क्या है विवाद
रोहिंग्या समुदाय 12वीं सदी के शुरुआती दशक में म्यांमार के रखाइन इलाके में आकर बस तो गया, लेकिन स्थानीय बौद्ध बहुसंख्यक समुदाय ने उन्हें आज तक नहीं अपनाया है. 2012 में रखाइन में कुछ सुरक्षाकर्मियों की हत्या के बाद रोहिंग्या और सुरक्षाकर्मियों के बीच व्यापक हिंसा भड़क गई. तब से म्यांमार में रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ हिंसा जारी है. रोहिंग्या और म्यांमार के सुरक्षा बल एक-दूसरे पर अत्याचार करने का आरोप लगा रहे हैं. ताजा मामला 25 अगस्त को हुआ, जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों ने पुलिस वालों पर हमला कर दिया. इस लड़ाई में कई पुलिस वाले घायल हुए, इस हिंसा से म्यांमार के हालात और भी खराब हो गए.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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