यह ख़बर 03 जनवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो देश के लिए घातक होगा : मनमोहन सिंह

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने पिछले तीन साल में अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वर्ष 2014 के आम चुनाव के बाद वह लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री का पदभार नहीं संभालेंगे, और समय आने पर कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए नए प्रत्याशी की घोषणा कर दी जाएगी। भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किए गए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी वार करते हुए उन्होंने देश की जनता को चेताया कि यदि वह (नरेंद्र मोदी) भारत के प्रधानमंत्री पद तक पहुंच गए तो यह देश के लिए घातक सिद्ध होगा। मनमोहन सिंह ने कहा, "अगर आप अहमदाबाद की गलियों में बेगुनाह लोगों के नरसंहार को प्रधानमंत्री बनने की क्षमता नापने का पैमाना मानते हैं तो मैं इसमें विश्वास नहीं करता..."

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा, "लोकसभा चुनाव के बाद मैं प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी नए प्रधानमंत्री को सौंप दूंगा... मुझे उम्मीद है कि अगला प्रधानमंत्री संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) का ही चुना हुआ होगा और हमारी पार्टी अगले आम चुनाव के प्रचार के लिए काम करेगी..."

उन्होंने कहा, "मुझे विश्वास है कि हमारी नई पीढ़ी के नेता अपरिचित व अस्थिर वैश्विक बदलाव की लहर के साथ हमारे महान देश को सफलतापूर्वक दिशा देंगे... लेकिन अगर यूपीए दोबारा सत्ता में आता है तो मैं प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं होऊंगा..." उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में स्पष्ट कहा कि राहुल गांधी में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने की उल्लेखनीय क्षमताएं हैं, लेकिन इसका फैसला पार्टी करेगी।

डॉ मनमोहन सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि हालिया विधानसभा चुनाव ने भारतीय लोकतंत्र की मजबूती को प्रदर्शित किया है, और हमारी जनता ने हाल के विधानसभा चुनाव में रिकार्ड मतदान किया। हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया, "कांग्रेस ने इन चुनावों में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन हम चुनाव में भागीदारी के विस्तार का स्वागत करते हैं और हम परिणाम पर विचार करेंगे और उचित सबक सीखेंगे..."

प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र आधुनिक भारत की आधारशिला है, और इसके साथ ही उन्होंने सभी से लोकतंत्र का आदर करने की अपील की। उन्होंने कहा, "हम सभी, जो बेहतरीन भारत बनाना चाहते हैं, उन्हें इस संस्था का आदर करना चाहिए..."

उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपने 10 साल के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए कहा कि यूपीए-1 सरकार के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के आरोप थे, लेकिन देश की जनता ने उन्हें स्वीकार नहीं किया और हमें दूसरा कार्यकाल सौंपा, हालांकि अर्थव्यवस्था पर बोलते हुए मनमोहन ने स्वीकार किया कि वह लगातार उच्च स्तर पर बरकरार मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में कामयाब नहीं रहे, क्योंकि खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ी, लेकिन वह वृद्धि में सुधार, उद्यम को प्रोत्साहित करने, रोजगार बढ़ाने और गरीबी दूर के लिए अपनी नीतियों लागू करना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि दुनिया की अर्थव्यवस्था सुधर रही है, और अब अच्छे दिन आने वाले हैं। उन्होंने दावा किया कि पिछले नौ सालों में सबसे तेज विकास हुआ है।

खुद की सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर जवाब देते हुए मनमोहन सिंह ने दावा किया कि जब इतिहास लिखा जाएगा तो वह पाक-साफ साबित होंगे। उन्होंने कहा, "तथ्य यह है कि मैं ही वह व्यक्ति था, जिसने बात पर जोर दिया था कि स्पेक्ट्रम आवंटन पारदर्शी, निष्पक्ष होना चाहिए और कोयला खानों का आवंटन नीलामी पर आधारित होना चाहिए... 2-जी और कोल ब्लॉक मामले में उचित कार्रवाई हुई है..."

वहीं हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ लगे आरोपों पर विचार करने का मुझे अभी समय नहीं मिला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों पर विपक्ष के निजी स्वार्थ थे और मीडिया, कैग तथा अन्य पक्षों ने कई मौकों पर इसे हवा दी। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि लोग आर्थिक और सामाजिक क्रांति को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन की जरूरत को समझेंगे।

पीएम ने कहा कि उन्होंने पूरी प्रतिबद्धता और ईमानदारी से देश की सेवा की है। उन्होंने कभी अपने मित्रों अथवा रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए अपने पद का इस्तेमाल नहीं किया।

मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकारी फैसलों में किसी तरह की गलती को कानून की स्थापित प्रक्रिया के तहत दंडित किया जाएगा। अपने दोनों कार्यकालों के दौरान इस्तीफा देने का विचार मन में आने को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें कभी नहीं लगा कि वह इस्तीफा दें। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति अथवा प्राधिकार लोकतांत्रिक शासन की स्थापित प्रक्रिया का विकल्प नहीं हो सकता।

अर्थव्यवस्था के बारे में बात करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा, भारत सहित सभी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में पिछले दो-एक साल से नरमी का दौर चल रहा है, लेकिन पिछले नौ वर्षों में हासिल हुए उच्चतम वृद्धि दर का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हम बेहतर दौर की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या घटी है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के बारे में चिंता वाजिब है, लेकिन ज्यादातर लोगों की आय मुद्रास्फीति के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ी है। उन्होंने स्वीकार किया कि मुद्रास्फीति पर नियंत्रण में वह कामयाब नहीं रहे, और खाद्य कीमतों पर लगाम लगाने के लिए आपूर्ति बढ़ाने की जरूरत है।

उन्होंने यह भी दावा किया कि संसद में अभूतपूर्व व्यवधानों के बावजूद यूपीए सरकार ने कई महत्वपूर्ण कानून पारित किए। उन्होंने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार के अवसर न बढ़ने से चिंता होती है, तथा मध्यम एवं छोटे उद्यमों की मदद करने की जरूरत है।

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अल्पसंख्यकों के लिए सच्चर समिति की सिफारिशों को लागू करने और उन योजनाओं के अवाम तक न पहुंचने पर मनमोहन सिंह ने कहा कि मुझे इस बात का खेद है कि सच्चर समिति की सिफारिशों के कार्यान्वयन का लाभ सभी लोगों तक नहीं पहुंच पाया।