पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक यहां शनिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिले और उनसे पाकिस्तान व अपने पैतृक गांव का दौरा करने का आग्रह किया।
मलिक ने कहा कि 26/11 हमलों की जांच के सिलसिले में भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) जनवरी के मध्य में पाकिस्तान जाने को है जबकि पाकिस्तानी न्यायिक आयोग अगले हफ्ते भारत का दौरा कर सकता है। उन्होंने भारतीय नेताओं के साथ हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा, "विश्वास में जो कमी आई थी, वह दूर हो गई।"
मलिक भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन से भी मिले और मांग की कि उनके बारे में यह दुष्प्रचार बंद किया जाए कि 26/11 हमले की तुलना उन्होंने कथित तौर पर बाबरी मस्जिद विध्वंस से की थी।
मलिक ने कारगिल शहीद कैप्टन सौरभ कालिया की मौत के मामले की जांच की पेशकश भी की।
एनडीटीवी को दिए एक साक्षात्कार में मलिक ने कहा कि शुक्रवार शाम भारतीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के साथ बैठक के दौरान इस मसले पर चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा, "और कल हमने इस मसले पर चर्चा की जिससे पाकिस्तान का न्यायिक आयोग अगले हफ्ते भारत का दौरा कर सके।"
मलिक ने कहा, "मैंने आयोग से पेशकश भी की थी कि वह मेरे साथ ही चले। मैंने एनआईए को बीच जनवरी में आने का न्योता दिया है।"
शुक्रवार शाम यहां पहुंचे पाकिस्तान के गृह मंत्री ने कहा, "एफआईए (पाकिस्तान की केंद्रीय जांच एजेंसी) के महानिदेशक और एनआईए मिल-बैठकर मुद्दों का हल निकालें।"
शिंदे ने सितम्बर में मालदीव में हुए सार्क शिखर सम्मेलन से इतर मलिक के साथ बैठक के दौरान एनआईए टीम के दौरे का मुद्दा उठाया था।
एनआईए पाकिस्तान जाकर 2008 में हुए हमलों के प्रमुख षडयंत्रकारियों और आरोपियों के खिलाफ सबूतों की जांच करना चाहती है। मुम्बई में हुए हमलों में 166 लोगों की मौत हुई थी।
गौरतलब है कि द्विपक्षीय समझौते के तहत आठ सदस्यीय पाकिस्तानी न्यायिक आयोग इस वर्ष मार्च में भारत का दौरा कर चुका है।
आयोग में सरकारी वकील और बचाव पक्ष के वकील शामिल थे। उन्होंने मुम्बई का दौरा किया था और हमला मामले की सुनवाई के दौरान आतंकवादी अजमल आमिर कसाब का बयान दर्ज करने वाले एक न्यायाधीश से तथा एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और मारे गए हमलावरों के शवों का पोस्टमार्टम करने वाले दो चिकित्सकों से बातचीत की थी।
मलिक ने कहा कि शिंदे ने 26/11 के षड्यंत्रकारियों की आवाज के नमूनों का मुद्दा उठाया था। भारत को उम्मीद है कि 2008 के हमलों के दौरान आतंकवादियों की बातचीत के टेप में रिकार्ड आवाज से पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादियों की आवाज से मेल खाएगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कानून के मुताबिक आवाज के नमूने तब तक नहीं दिए जा सकते जब तक आरोपी स्वयं इसकी अनुमति नहीं दे देते।
मलिक ने कहा, "हम लखवी (लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकीउर रहमान) की आवाज के नमूने के मसले को लेकर उच्च न्यायालय गए थे। यह मामला वहां लम्बित है।" उन्होंने कहा कि दो हफ्ते पहले उच्च न्यायालय को इस मामले की याद दिलाई गई थी।
मलिक ने कहा, "जांचकर्ता और सरकारी वकील इस मसले को अदालत के समक्ष ले जाने वाले हैं।"
लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद के बारे में पूछे जाने पर मलिक ने कहा कि मुम्बई हमलों के षडयंत्रकारियों को अदालत सबूतों के अभाव में तीन बार जमानत दे चुकी है। "हमें उसे गिरफ्तार करवाने से रोका गया है, यह उच्च न्यायालय का आदेश है।" उन्होंने कहा कि मुम्बई हमला मामले की सुनवाई पाकिस्तान की न्यायिक प्रणाली के मुताबिक होगी। जब कसाब को फांसी दी गई तब हमने भारत से कुछ नहीं कहा था।
मलिक ने कहा, "हमने सईद की गिरफ्तारी के लिए जो बेहतर हो सकता था वह किया। क्या आप चाहते हैं कि मैं अदालत की अवमानना करूं? जब हम आपकी अदालतों का सम्मान करते हैं तब हम उम्मीद रखते हैं कि आप भी हमारी अदालतों का सम्मान करेंगे।" उन्होंने कहा, "मैं कह चुका हूं कि अगर आपके पास सईद के खिलाफ कोई ठोस सबूत है तो मेरे रवाना होने से पहले मुझे दीजिए और वादा करता हूं कि मेरे पाकिस्तान पहुंचते ही उसकी गिरफ्तारी होगी..अगर मैं अफवाह पर उसे गिरफ्तार करवाऊंगा तो अदालत इसे सही नहीं मानेगी।"
मलिक ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने बाबरी विध्वंस की तुलना आतंकवादी हमलों से की थी। उन्होंने कहा, "मैंने कभी बाबरी विध्वंस की तुलना आतंकवादी हमलों से नहीं की। मैंने यह कहा था कि मैं नहीं चाहता कि ऐसी घिनौनी घटनाएं फिर हों..मैंने तुलना कभी नहीं की।"
मलिक ने कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन बार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भी शिरकत की। कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा भारत-पाकिस्तान फ्रेंडशिप सोसाइटी के गठन की घोषणा किए जाने पर मलिक ने 'भारत-पाकिस्तान दोस्ती जिंदाबाद' का नारा भी लगाया।
मलिक ने कहा कि 26/11 हमलों की जांच के सिलसिले में भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) जनवरी के मध्य में पाकिस्तान जाने को है जबकि पाकिस्तानी न्यायिक आयोग अगले हफ्ते भारत का दौरा कर सकता है। उन्होंने भारतीय नेताओं के साथ हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा, "विश्वास में जो कमी आई थी, वह दूर हो गई।"
मलिक भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन से भी मिले और मांग की कि उनके बारे में यह दुष्प्रचार बंद किया जाए कि 26/11 हमले की तुलना उन्होंने कथित तौर पर बाबरी मस्जिद विध्वंस से की थी।
मलिक ने कारगिल शहीद कैप्टन सौरभ कालिया की मौत के मामले की जांच की पेशकश भी की।
एनडीटीवी को दिए एक साक्षात्कार में मलिक ने कहा कि शुक्रवार शाम भारतीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के साथ बैठक के दौरान इस मसले पर चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा, "और कल हमने इस मसले पर चर्चा की जिससे पाकिस्तान का न्यायिक आयोग अगले हफ्ते भारत का दौरा कर सके।"
मलिक ने कहा, "मैंने आयोग से पेशकश भी की थी कि वह मेरे साथ ही चले। मैंने एनआईए को बीच जनवरी में आने का न्योता दिया है।"
शुक्रवार शाम यहां पहुंचे पाकिस्तान के गृह मंत्री ने कहा, "एफआईए (पाकिस्तान की केंद्रीय जांच एजेंसी) के महानिदेशक और एनआईए मिल-बैठकर मुद्दों का हल निकालें।"
शिंदे ने सितम्बर में मालदीव में हुए सार्क शिखर सम्मेलन से इतर मलिक के साथ बैठक के दौरान एनआईए टीम के दौरे का मुद्दा उठाया था।
एनआईए पाकिस्तान जाकर 2008 में हुए हमलों के प्रमुख षडयंत्रकारियों और आरोपियों के खिलाफ सबूतों की जांच करना चाहती है। मुम्बई में हुए हमलों में 166 लोगों की मौत हुई थी।
गौरतलब है कि द्विपक्षीय समझौते के तहत आठ सदस्यीय पाकिस्तानी न्यायिक आयोग इस वर्ष मार्च में भारत का दौरा कर चुका है।
आयोग में सरकारी वकील और बचाव पक्ष के वकील शामिल थे। उन्होंने मुम्बई का दौरा किया था और हमला मामले की सुनवाई के दौरान आतंकवादी अजमल आमिर कसाब का बयान दर्ज करने वाले एक न्यायाधीश से तथा एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और मारे गए हमलावरों के शवों का पोस्टमार्टम करने वाले दो चिकित्सकों से बातचीत की थी।
मलिक ने कहा कि शिंदे ने 26/11 के षड्यंत्रकारियों की आवाज के नमूनों का मुद्दा उठाया था। भारत को उम्मीद है कि 2008 के हमलों के दौरान आतंकवादियों की बातचीत के टेप में रिकार्ड आवाज से पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादियों की आवाज से मेल खाएगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कानून के मुताबिक आवाज के नमूने तब तक नहीं दिए जा सकते जब तक आरोपी स्वयं इसकी अनुमति नहीं दे देते।
मलिक ने कहा, "हम लखवी (लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकीउर रहमान) की आवाज के नमूने के मसले को लेकर उच्च न्यायालय गए थे। यह मामला वहां लम्बित है।" उन्होंने कहा कि दो हफ्ते पहले उच्च न्यायालय को इस मामले की याद दिलाई गई थी।
मलिक ने कहा, "जांचकर्ता और सरकारी वकील इस मसले को अदालत के समक्ष ले जाने वाले हैं।"
लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद के बारे में पूछे जाने पर मलिक ने कहा कि मुम्बई हमलों के षडयंत्रकारियों को अदालत सबूतों के अभाव में तीन बार जमानत दे चुकी है। "हमें उसे गिरफ्तार करवाने से रोका गया है, यह उच्च न्यायालय का आदेश है।" उन्होंने कहा कि मुम्बई हमला मामले की सुनवाई पाकिस्तान की न्यायिक प्रणाली के मुताबिक होगी। जब कसाब को फांसी दी गई तब हमने भारत से कुछ नहीं कहा था।
मलिक ने कहा, "हमने सईद की गिरफ्तारी के लिए जो बेहतर हो सकता था वह किया। क्या आप चाहते हैं कि मैं अदालत की अवमानना करूं? जब हम आपकी अदालतों का सम्मान करते हैं तब हम उम्मीद रखते हैं कि आप भी हमारी अदालतों का सम्मान करेंगे।" उन्होंने कहा, "मैं कह चुका हूं कि अगर आपके पास सईद के खिलाफ कोई ठोस सबूत है तो मेरे रवाना होने से पहले मुझे दीजिए और वादा करता हूं कि मेरे पाकिस्तान पहुंचते ही उसकी गिरफ्तारी होगी..अगर मैं अफवाह पर उसे गिरफ्तार करवाऊंगा तो अदालत इसे सही नहीं मानेगी।"
मलिक ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने बाबरी विध्वंस की तुलना आतंकवादी हमलों से की थी। उन्होंने कहा, "मैंने कभी बाबरी विध्वंस की तुलना आतंकवादी हमलों से नहीं की। मैंने यह कहा था कि मैं नहीं चाहता कि ऐसी घिनौनी घटनाएं फिर हों..मैंने तुलना कभी नहीं की।"
मलिक ने कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन बार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भी शिरकत की। कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा भारत-पाकिस्तान फ्रेंडशिप सोसाइटी के गठन की घोषणा किए जाने पर मलिक ने 'भारत-पाकिस्तान दोस्ती जिंदाबाद' का नारा भी लगाया।
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