पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मंगलवार को जमकर निशाना साधा है. उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी पर मीडिया से बात न करने के आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें प्रेस से बात करने में कभी डर नहीं लगा. मैं ऐसा प्रधानमंत्री नहीं था जो प्रेस से बात करने में डरता हो. मैं लगातार प्रेस से मिलता रहता था और हर विदेश यात्रा के बाद प्रेस कांफ्रेंस करता था.' उन्होंने यह बात इसलिए कही कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने अबतक के कार्यकाल में कभी संवाददाता सम्मेलन आयोजित नहीं किया है. उल्लेखनीय है कि मनमोहन सिंह विदेश भी जाते थे तो विमान में पत्रकारों से बातचीत करते हुए जाते और आते थे. अखबारों में खबर के साथ छपता था--'प्रधानमंत्री के विशेष विमान से'. मई, 2014 के बाद से यह परंपरा बिल्कुल बंद है.
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मनमोहन ने अपनी किताब 'चेंजिंग इंडिया' के विमोचन के मौके पर यह भी कहा कि भारत एक प्रमुख आर्थिक वैश्विक शक्ति बनने वाला है. पांच खंडों में प्रकाशित इस पुस्तक, चेंजिंग इंडिया, में कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में उनके 10 वर्षो के कार्यकाल, तथा एक अर्थशास्त्री के रूप में उनके जीवन के विवरण शामिल हैं. मनमोहन ने कहा, "मैं कोई ऐसा प्रधानमंत्री नहीं था, जिसे प्रेस से बात करने में डर लगता हो. मैं नियमित तौर पर प्रेस से मिलता था, और जब भी मैं विदेश दौरे पर जाता था, लौटने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन जरूरी बुलाता था." उन्होंने कहा, "उन तमाम संवाददाता सम्मेलनों को इस पुस्तक में वर्णित किया गया है."
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वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा, "लोग कहते हैं कि मैं एक मौन प्रधानमंत्री था, लेकिन यह किताब उन्हें इसका जवाब देगी. मैं प्रधानमंत्री के रूप में अपनी उपलब्धियों का बखान नहीं करना चाहता, लेकिन जो चीजें हुई हैं, वे पांच खंडों की इस पुस्तक में मौजूद हैं." मनमोहन का बयान ऐसे समय में आया है, जब इसके पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री के अबतक के कार्यकाल के दौरान एक भी संवाददाता सम्मेलन आयोजित न करने के लिए मोदी का मजाक उड़ाया है. मनमोहन ने देश के भविष्य के बारे में कहा कि तमाम गड़बड़ियों के बावजूद भारत एक प्रमुख वैश्विक ताकत बनने वाला है.
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उन्होंने विक्टर ह्यूगो का उद्धरण देते हुए कहा, "एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के उदय एक ऐसा विचार है, जिसका समय आ गया है और धरती पर कोई भी ताकत इस विचार को रोक नहीं सकती." मनमोहन ने 1991 में तत्कालीन वित्तमंत्री के रूप में अपने बजट भाषण के दौरान भी विक्टर ह्यूगो का उद्धरण पेश किया था.मनमोहन सिंह ने केंद्रीय बैंक और केंद्र सरकार के संबंधों के बारे में कहा कि रिजर्व बैंक और सरकार का संबंध पति-पत्नी के संबंध की तरह है. दोनों के बीच मतभेदों को निपटाना जरूरी होता है ताकि दोनों सामंजस्य के साथ काम कर सकें.
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उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है जब रिजर्व बैंक के आरक्षित धन के स्तर तथा लघु एवं मझोले उद्यमों के लिए कर्ज के नियम आसान बनाने समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर केंद्रीय बैंक तथा वित्त मंत्रालय के बीच मतभेदों की चर्चा के बीच उर्जित पटेल ने आरबीआई के गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया.
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विमोचन समारोह में संवाददाताओं से अलग से बातचीत में मनमोहन सिंह ने कहा कि रिजर्व बैंक की स्वायत्तता तथा स्वतंत्रता का सम्मान होना चाहिए.
(इनपुट एजेंसी से)
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