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This Article is From Feb 02, 2015

मांझी की चाह, नीतीश नहीं कोई दलित ही बने बिहार का अगला सीएम

मांझी की चाह, नीतीश नहीं कोई दलित ही बने बिहार का अगला सीएम
फाइल फोटो
पटना:

बिहार में जनता दल यूनाइटेड के विधयाकों और मांझी मंत्रिमंडल में शामिल अधिकांश मंत्री भले यह चाहते हो कि पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर सत्ता की कमान संभाले, लेकिन जीतन राम मांझी उतनी आसानी से कुर्सी खाली करने वाले नहीं।

जिस मांझी को नीतीश कुमार ने विधयक दल की बैठक बुलाए बिना मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवा दी। वह इन दिनों खुलेआम कह रहे हैं कि अगर कोई उन्हें हटाना चाहता है तो विधयक दल की बैठक बुलाकर इस बात का फैसला कर ले।

मांझी ने यह बात पटना में सोमवार को जनता दरबार के बाद अपने संवाददाता सम्मलेन में कही। उन्होंने यहां तक कह डाला कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाते वक्त पार्टी ने भले प्रस्ताव दिया हो कि अगली बार उनकी पार्टी को बहुमत मिला तो नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए।

मांझी कहते हैं, 'यह मेरा कर्तव्य होगा कि नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव वह खुद करें, लेकिन जहां तक मेरी भावना है वह अगर आप सुनना चाहेंगे तो मैं चाहता हूं कि एक बार फिर दलित समुदाय का कोई व्यक्ति ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे।'

निश्चित रूप से मांझी के दोनों बयान नीतीश कुमार के लिए खुली चुनौती है और यह माना जा रहा है कि अपने खिलाफ सत्ता परिवर्तन की लड़ाई और नीतीश कुमार के यहां बैठकों की दौर से वह अवगत हैं और इसलिए उन्होंने अपने मन की बात कह डाली।

मांझी ने हाल के दिनों में कई विभागों के सचिवों को बदले जाने और कई मंत्रियों के विरोध पर साफ़ बोला कि उन विभागों के काम से वह खुश नहीं थे और अधिकारियों के तबादले के बाद उन विभागों के काम में अब सुधार हुआ है।

हाल ही में पथ निर्माण मंत्री ललन सिंह ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखा और पूछा था कि राज्य में तबादलों के आधार क्या हैं और मुख्यमंत्री के स्तर पर क्यों और कैसे विभागों के सचिव बदले जाते हैं और मंत्रियों को अखबारों से मालूम चलता है। मांझी ने तबादलों में खासकर नीतीश कुमार के करीबी मंत्रियों के सचिव बदले या उन सचिवों को बदला जो नितीश कुमार के करीब माने जाते हैं।

इस बीच केंद्रीय मंत्री उमा भारती जीतन राम मांझी से उनके आवास पर मिलीं और उनकी तारीफ की। मांझी और बीजेपी नेताओं के बीच हाल के दिनों में हुई मुलाकातों से इस बात के संकेत मिलते हैं कि अगर मांझी को उनके पद से हटाया गया तो बीजेपी के लिए वह एक तुरुप का पता साबित होंगे और उसी बहाने वह राज्य के महादलित वोटरों को लामबंद करने की कोशिश करेंगे।

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