बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सोमवार को कहा कि वह इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए नई पार्टी गठित करने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं और वह किसी से चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं करेंगे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या राजद प्रमुख लालू प्रसाद की अगुवाई वाले किसी संगठन में किसी भी सूरत में शामिल होने से पूरी तरह इंकार करते हुए मांझी ने कहा कि जरूरत पड़ने पर वह भाजपा से समर्थन लेने या देने के खिलाफ नहीं हैं। चुनाव पूर्व किसी पार्टी के साथ गठबंधन बनाने की संभावनाओं से इंकार करते हुए मांझी ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि हो सकता है कि वह अकेले ही बिहार चुनाव लड़ें।
मांझी ने कहा, ‘‘हमने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (एचएएम) नामक सामाजिक संगठन का गठन किया है जो आगे की कार्रवाई का फैसला करने के लिए 20 अप्रैल को पटना में रैली करने जा रहा है। इसमें करीब पांच लाख लोगों के शामिल होने की संभावना है और यदि अच्छी प्रतिक्रिया मिलती है तो मैं एक नई पार्टी गठित कर सकता हूं और अपने बूते पर चुनाव लड़ूंगा।’’
हालांकि उन्होंने अगली सरकार बनाने के लिए भाजपा को समर्थन देने या लेने से इंकार नहीं किया लेकिन उन्होंने नीतीश या लालू वाले किसी भी संगठन के साथ करार करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि लालू, नीतीश और मुलायम सिंह के नए गठबंधन में कोई विचारधारा नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये पार्टियां ‘‘मौकापरस्त’’ हैं।
मांझी ने आरोप लगाया, ‘‘नीतीश ने लालू के राज को जंगलराज कहा था और लालू को जेल भेजने वाले नीतीश ने मुझ जैसे दलितों का तारणहार बनने की प्रतिबद्धता जताई थी, इसके बावजूद उन्होंने मुझे धोखा दिया।’’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उन्होंने धर्मनिरपेक्ष छवि वाला इंसान बताते हुए कहा, ‘‘मोदी को सांप्रदायिक नहीं कहा जा सकता। मुझे उनकी धर्मनिरपेक्षता में कुछ गलत नजर नहीं आता क्योंकि वह सभी वर्गो के लोगों को अपने साथ लेकर चलने का प्रयास कर रहे हैं।’’
राज्य विधानसभा में महत्वपूर्ण विश्वास मत से पूर्व मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से पहले जेडीयू से निष्कासित मांझी ने दावा किया था कि वह नीतीश और पार्टी को बेनकाब करने के लिए नया मोर्चा गठित करेंगें। बाद में उन्हें बिहार विधानसभा में असंबद्ध सदस्य घोषित कर दिया गया।
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