प्रतीकात्मक तस्वीर
इम्फाल:
मणिपुर के एक पत्रकार को सोशल मीडिया पर कथिततौर पर सत्तारूढ़ भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने को लेकर कस्टडी में लिए जाने के करीब एक महीने बाद मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत उसे एक साल तक हिरासत में रखने की सजा सुनाई गई. सरकार के मुताबिक, स39 वर्षीय किशोरचंद्र वांगखेम को शुरू में 27 नवंबर को हिरासत में लिया गया था. फेसबुक पर एक वीडियो के माध्यम से मुख्यमंत्री बीरेन सिंह और साथ ही पीएम मोदी की कथित तौर पर आलोचना करने के लिए उन्हें हिरासत में लिया गया था.
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इस वीडियो में कथिततौर पर किशोरचंद्र वांगखेम ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का मणिपुर से कोई संबंध न होने के बावजूद उनकी जयंती को चिह्नित करने के लिए कार्यक्रम के आयोजन को लेकर बीरेने सिंह को प्रधानमंत्री मोदी और आरएसएस की कठपुतली कहा था. सूत्रों के मुताबिक, वीडियो क्लिप में उन्होंने सरकार को गिरफ्तार करने की भी चेतावनी दी थी.
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हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि उनका परिवार राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत 12 महीने के हिरासत की सजा को चुनौती देने देने वाले हैं. बता दें कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत अधिकतम हिरासत की अवधि 12 महीने ही होती है.
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किशोरचंद्र वांगखेम ने फेसबुक पर विवादास्पद पोस्ट करने से पहले एक स्थानीय समाचार चैनल आईएसटीवी के साथ अपनी नौकरी छोड़ दी थी. जबकि भारतीय पत्रकार संघ और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने गिरफ्तारी की निंदा की. उन्हें अखिल मणिपुर कार्यकारी पत्रकार संघ से थोड़ा समर्थन मिला. क्योंकि उन्हें लगता है कि सोशल मीडिया पर शेखी बघारना पत्रकारिता नहीं है.
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हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि उनका परिवार राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत 12 महीने के हिरासत की सजा को चुनौती देने देने वाले हैं. बता दें कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत अधिकतम हिरासत की अवधि 12 महीने ही होती है.
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