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This Article is From Jun 29, 2015

मणिपुर में सेना पर हमले का मुख्य आरोपी गिरफ्तार

मणिपुर में सेना पर हमले का मुख्य आरोपी गिरफ्तार
मणिपुर में सेना के काफिले पर उग्रवादी हमले की फाइल फोटो
नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने नगा उग्रवादी समूह एनएससीएन-के के एक मुख्य सदस्य को गिरफ्तार किया है, जिस पर 4 जून को मणिपुर में हमला कर 18 सैनिकों की हत्या का षड्यंत्र करने का आरोप है। घटना की जांच में यह पहली सफलता है।

एनआईए ने बताया कि एनएससीएन-के का क्षेत्रीय कमांडर खुमलो अबी अनल मणिपुर के चंदेल इलाके में 4 जून को सेना पर हमले का षड्यंत्र करने वालों में शामिल था।

आरोपी को एनआईए के विशेष न्यायाधीश के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने उसे 7 जुलाई तक एजेंसी के रिमांड में भेज दिया।

हमले के कुछ ही दिनों के अंदर मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई थी, जिसे इसमें पहली सफलता मिली है। जांच एजेंसी ने घटनास्थल पर उप-महानिरीक्षक के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम तैनात की थी।

अनल के बारे में अधिकारियों ने कहा कि हमले के बाद 4 जून की हत्या में अपनी भूमिका से बचने के लिए उसने दूसरे मामले में खुद को गिरफ्तार करा लिया।

उन्होंने कहा कि जांच के दौरान उसकी भूमिका सामने आने लगी, जिसके बाद एनआईए के अधिकारियों ने उससे लगातार पूछताछ की और आखिरकार वह टूट गया और षड्यंत्र का हिस्सा होने की बात उसने स्वीकार कर ली।

एनआईए अधिकारियों ने कहा कि हमले में एनएससीएन-के के 23 सदस्यों ने शिरकत की, जिसमें दो घटना में मारे गए थे। एनआईए ने शेष 21 में से 14 एनएससीएन-के सदस्यों की पहचान की है, जिन्होंने घात लगाकर हमला किया था।

उन्होंने कहा कि उग्रवादी तीन समूहों में आए थे और हमले को अंजाम दिया। जांच के दौरान एनआईए ने एनएससीएन-के के आत्मसमर्पण कर चुके कई उग्रवादियों से पूछताछ की, जिन्होंने मामले में आरोपी की पहचान में मदद की।

इसके जवाब में सटीक हमले में भारतीय सेना के कमांडो ने नगालैंड और मणिपुर की म्यामांर की सीमा के साथ लगते दो स्थानों पर उग्रवादियों के दो शिविरों पर हमले किए, जिसमें उग्रवादियों को काफी क्षति उठानी पड़ी। 4 जून के हमले के बाद सेना ने भारत-म्यामांर की सीमा पर स्थित एनएससीएन-के के शिविरों पर सटीक हमले किए थे।

उन्होंने कहा कि यह गौर किया गया कि उग्रवादी हमले के लिए सीमा पार कर आते हैं और हमला कर वापस लौट जाते हैं।

एनएससीएन-के ने मार्च में संघर्ष विराम संधि से अलग होने के बाद कुछ अन्य उग्रवादी समूहों के साथ मिलकर ‘यूनाईटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ साउथ-ईस्ट एशिया’ के बैनर तले कई हमले किए हैं।

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