नई दिल्ली:
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से एक रैली में सवाल पूछने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार किए जाने पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू की टिप्पणी के बीच विभिन्न राजनीतिक दलों ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख की तीखी आलोचना की।
गौरतलब है कि काटजू ने ममता को तानाशाह, असहिष्णु और मनमौजी बर्ताव वाला बताया है।
भाजपा ने कहा कि जवाब देना नेताओं का कर्तव्य है और वे इससे भाग नहीं सकते, वहीं ममता की चिर प्रतिद्वंद्वी माकपा ने शिलादित्य चौधरी नाम के इस व्यक्ति की गिरफ्तारी को ‘दुर्भाग्यपूर्ण और भयावह’ करार दिया।
दरअसल, चौधरी ने एक रैली में मुख्यमंत्री से कहा था कि किसान मर रहे हैं और खोखले वादे से काम नहीं चलेगा।
इस पर, मुख्यमंत्री ने हैरानी जताई थी और चौधरी को माओवादी करार देते हुए पुलिस से उसे गिरफ्तार करने को कहा था।
भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने कहा, ‘राजनीतिक स्तर पर पार्टियां सवाल पूछे जाने पर भाग नहीं सकती और जवाब देना उसका कर्तव्य है। उन्हें जवाब देना होगा। लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना अनुचित है। जनता जब सवाल पूछती है तो जवाब दिया जाना चाहिए।’
माकपा सांसद नीलोत्पल बसु ने कहा है कि यह गिरफ्तारी तानाशाही जैसी है। उन्होंने कोई आलोचना या सवाल नहीं सुनने को लेकर ममता की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल सरकार एक छोटी सी आलोचना को बर्दाश्त करने तक के मूड में नहीं है।’
गौरतलब है कि काटजू ने ममता को तानाशाह, असहिष्णु और मनमौजी बर्ताव वाला बताया है।
भाजपा ने कहा कि जवाब देना नेताओं का कर्तव्य है और वे इससे भाग नहीं सकते, वहीं ममता की चिर प्रतिद्वंद्वी माकपा ने शिलादित्य चौधरी नाम के इस व्यक्ति की गिरफ्तारी को ‘दुर्भाग्यपूर्ण और भयावह’ करार दिया।
दरअसल, चौधरी ने एक रैली में मुख्यमंत्री से कहा था कि किसान मर रहे हैं और खोखले वादे से काम नहीं चलेगा।
इस पर, मुख्यमंत्री ने हैरानी जताई थी और चौधरी को माओवादी करार देते हुए पुलिस से उसे गिरफ्तार करने को कहा था।
भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने कहा, ‘राजनीतिक स्तर पर पार्टियां सवाल पूछे जाने पर भाग नहीं सकती और जवाब देना उसका कर्तव्य है। उन्हें जवाब देना होगा। लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना अनुचित है। जनता जब सवाल पूछती है तो जवाब दिया जाना चाहिए।’
माकपा सांसद नीलोत्पल बसु ने कहा है कि यह गिरफ्तारी तानाशाही जैसी है। उन्होंने कोई आलोचना या सवाल नहीं सुनने को लेकर ममता की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल सरकार एक छोटी सी आलोचना को बर्दाश्त करने तक के मूड में नहीं है।’
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