पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार के साथ राजनीतिक दांवपेंच की तैयारी में हैं। ममता बनर्जी रविवार को दिल्ली पहुंच रही हैं और उनका कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का है। सोमवार को होने वाली इस मुलाकात को राजनीतिक तौर से काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ममता बनर्जी पहली बार मोदी से मिल रही हैं।
अब तक पश्चिम बंगाल और केंद्र के बीच टकराव दिखता रहा है, लेकिन माना जा रहा है कि इस मुलाकात में ममता बनर्ज़ी कर्ज़ से घिरे राज्य के लिए केंद्र की मदद मांगेंगी। राज्य के ऊपर अभी कोई दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ है। हालांकि वित्तमंत्री ने बजट में बंगाल के लिए पैकेज की घोषणा की है, लेकिन ममता बनर्जी उससे खुश नहीं और उसकी राजनीतिक वजह भी है।
वरिष्ठ पत्रकार जयंत घोषाल कहते हैं, 'ममता बनर्जी अपने राज्य के ऊपर इस कर्ज़ माफी चाहती हैं। वह इसे राजनीतिक मुद्दा बना रही हैं। वह कहती हैं कि ये लाखों करोड़ का कर्ज तो वामपंथी सरकार के दौरान जमा हुआ और एक एतिहासिक बोझ है। इसे वह क्यों चुकाएं? इसके पीछे ममता बनर्जी की सियासी समझ भी है। वह आने वाले बंगाल के कॉर्पोरेशन के चुनावों और फिर विधानसभा चुनावों से पहले इसे राजनीतिक मुद्दा बनाकर लोगों के सामने ले जाना चाहती हैं।'
नरेंद्र मोदी के साथ अपने वैचारिक टकराव को मुखर रखने वाली ममता अब तक प्रधानमंत्री से नहीं मिली। यहां तक कि पिछले दिनों पीएम के घर पर हुई नीति आयोग की बैठक में भी वह नहीं आईं, जबकि दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने पीएम के साथ शिष्टाचार के तहत मुलाकात कर ली है। राजनीतिक और वैचाकित विरोधी चाहे वह यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हों या फिर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मानिक सरकार सभी पीएम मोदी से मिल चुके हैं।
माना जा रहा है कि ममता बनर्जी सोमवार को अपने सांसदों के साथ प्रधानमंत्री से मिलेंगी। प्रधानमंत्री ने संसद में अपने हाल के भाषणों में विपक्ष पर तीखे हमले किए हैं, लेकिन टीएमसी पर नरम रहे हैं।
एक वरिष्ठ टीएमसी नेता ने कहा, 'पिछले दिनों टीएमसी और सीपीएम ने राज्यसभा में कई मुद्दों पर तालमेल किया और सरकार के खिलाफ मिलकर रणनीति बनाई। प्रधानमंत्री इस एकता को संसद के भीतर भी तोड़ना चाहते हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब के दौरान इसीलिए प्रधानमंत्री सीपीएम पर हमले कर रहे थे लेकिन हमारी पार्टी पर उन्होंने हमला नहीं किया।'
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए बीजेपी के लिए बंगाल काफी अहम है। अभी उसके पास यहां केवल एक विधायक है, लेकिन वह अपनी संख्या बढ़ाने की कोशिश कर रही है। 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने दो संसदीय सीटों पर जीत हासिल की और उसके हौसले बुलंद हैं।
उधर टीएमसी उम्मीद कर रही है कि ममता बनर्जी प्रधानमंत्री से मुलाकात में राज्य के हित में कुछ न कुछ राहत बटोर पाएंगी। वहीं प्रधानमंत्री राजनीतिक रूप से खुद पर किए जा रहे हमलों को कुंद करने की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन क्या दो लाख करोड़ के कर्ज़ को माफ करना केंद्र सरकार के लिए मुमकिन होगा। जानकार कहते हैं कि केंद्र सरकार किसी भी हाल में बंगाल को ये राहत नहीं दे सकती तो क्या ऐसे में ममता कि ये मुलाकात नए टकराव की इबारत लिखेगी।
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