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This Article is From Jul 11, 2020

Malabar Exercise: इस बार चीन की परवाह नहीं? जो फैसला साल 2017 नहीं हुआ उस पर भारत फिर कर रहा है विचार

समुद्र में अपनी बादशाहत और दादागिरी दिखाने के लिए हर रोज नए पैंतरे चलने वाला चालाक चीन के होश ठिकाने के लिए भारत के साथ तीन देश पूरी तरह तैयार हैं. यानी अब चार देशों का मोर्चा बिलकुल तैयार हो गया है.

Malabar Exercise: इस बार चीन की परवाह नहीं? जो फैसला साल 2017 नहीं हुआ उस पर भारत फिर कर रहा है विचार
Malabar Exercise: भारत-अमेरिका-जापान और आस्ट्रेलिया का समुद्र में बनेगा 'चतुर्भुज'
नई दिल्ली:

समुद्र में अपनी बादशाहत और दादागिरी दिखाने के लिए हर रोज नए पैंतरे चलने वाला चालाक चीन के होश ठिकाने के लिए भारत के साथ तीन देश पूरी तरह तैयार हैं. यानी अब चार देशों का मोर्चा बिलकुल तैयार हो गया है. दरअसल खबर है कि इस साल के अंत में होने वाले मालाबार नौसैनिक अभ्यास में भाग लेने में ऑस्ट्रेलिया की दिलचस्पी पर भारत गंभीरता से विचार कर रहा है.  मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.  अगर भारत ऑस्ट्रेलिया को अभ्यास में शामिल करने का निर्णय लेता है तो वह उस चतुर्भुज गठबंधन का हिस्सा होगा जिसकी स्थापना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थायित्व कायम करने और चीन के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से की गई थी.  नवंबर 2017 में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने दीर्घकाल से लंबित चतुर्भुज गठबंधन को आकार दिया था ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी के प्रभाव से मुक्त रखने के वास्ते नई रणनीति बनाई जा सके.  मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के अनुसार मालाबार नौसैनिक अभ्यास में भाग लेने के प्रति ऑस्ट्रेलिया की दिलचस्पी पर भारत गंभीरता से विचार कर रहा है और अगले कुछ सप्ताह में इस पर निर्णय लिया जा सकता है. 

सूत्रों का कहना है कि भारत आस्ट्रेलिया की दिलचस्पी को सकारात्मक तरीके से देख रहा है. अगर भारत इसमें अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को शामिल करने का फैसला करता है तो लद्दाख में हुई घटना के बाद भारत-चीन के संबंधों को बीच तनाव के बीच यह एक अहम कदम होगा. आपको बता दें कि मालाबार एक्सरसाइज में हिस्सा लेने वाले देशों की नेवी इसमें अपने-अपने फ्लीट के साथ-साथ अभ्यास  करती हैं. इसका मकसद हिंद महासागर  में अपना प्रभुत्व बनाए रखना है. 

साल 1992 में हुए इस अभ्यास में सबसे पहले भारत और अमेरिकन नेवी जुड़ी थीं. साल 2015 में जापान भी हिस्सा बन गया. बीते कुछ सालों में ऑस्ट्रेलिया ने भी इसमें रुचि दिखानी शुरू कर दी. क्योंकि इस समुद्री में इलाके में चीन इस देश को हमेशा धमकाने की कोशिश करता रहता है. यहीं हाल के कुछ सालों में आस्ट्रेलिया और भारत के बीच रक्षा संबंधों में काफी गाढ़े संबंध हुए हैं. बीते महीने में दोनों देशों के बीच इस लेकर ऑनलाइन शिखर सम्मेलन भी हुआ था और कई रणनीतिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए. जिसमें एक दूसरे सैन्य बेस और लॉजिस्टिक के इस्तेमाल पर सहमति बनी है. 

यहां ध्यान देने की बात ये है कि साल 2017 में भी आस्ट्रेलिया की ओर से इस मालाबार एक्सरसाइज में शामिल होने के लिए प्रस्ताव आया था. लेकिन उस समय भारत ने चीन के साथ अपने संबंधों को देखते हुए इसे अस्वीकार किया था. लेकिन लद्दाख में हुई घटना के बाद अब चीन को लेकर भारत ने अपनी सारी रणनीति बदल दी है. सेनाएं भले ही आपसी सहमति से पीछे हट रही हों और तनाव कम करने की कोशिश जारी है लेकिन भारत सरकार अब चीन के साथ अपने संबंधों को दूसरे देशों के साथ रिश्तों की कीमत पर कतई  नहीं बर्दाश्त नहीं करने के मूड में है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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