देश में ऐसे हजारों बच्चे हैं, जिन्होंने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अपने मां या पिता या दोनों को खो दिया है. कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र भी इससे अछूता नहीं है. महाराष्ट्र में कोरोना ने 195 बच्चों की जिंदगी पर असर डाला है, जिनके माता या पिता इस महामारी के चपेट में आने से अनाथ हो चुके हैं. 195 में 108 ऐसे बच्चे हैं जिनके माता-पिता दोनों की मौत हो गई है. अनाथ बच्चों की देखभाल और उनके शोषण और अवैध एडॉप्शन को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने टास्क फोर्स बनाया है.
जो ऐसे बच्चों की जानकारी इकट्ठा करने के साथ उनकी देखभाल और सुरक्षा का भी खयाल रखेगी.महिला और बाल कल्याण मंत्री यशोमति ठाकुर के मुताबिक इसके लिए बाल आश्रम में रहने की उम्र भी अब 18 से बढ़ाकर 23 कर दी गई है. 18 से 23 के उम्र के बच्चों के स्किल डेवलपमेंट पर भी जोर दिया जाएगा.कोविड महामारी से अनाथ होने वाले सबसे ज्यादा बच्चे नंदुरबार के हैं. यहां 93 बच्चे ऐसे हैं जिनके माता या पिता की या फिर दोनों की मौत हुई है.
गौरतलब है कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की जिम्मेदारी उठाने का फैसला किया था. इसके बाद कई अन्य राज्यों ने ऐसा ही कदम उठाने का निर्णय़ किया है. बीजेपीशासित राज्य 30 मई को ऐसे बच्चों के लिए कल्याणकारी योजना का ऐलान कर सकते हैं. 30 मई को एनडीए के केंद्र सरकार में 7 साल पूरे हो रहे हैं.
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