महाराष्ट्र सरकार ने सेवा से मुक्त हो चुके विमानवाहक पोत आईएनएस विराट (INS Viraat) को मरम्मत के साथ संरक्षित करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है. शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी (Priyanka Chaturvedi ) ने इस बाबत रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखा है.रक्षा मंत्रालय से इसके लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) मांगी गई है. चतुर्वेदी ने कहा कि महाराष्ट्र (Maharashtra) को इस ऐतिहासिक युद्धपोत के पुनरोद्धार और संरक्षण करने में खुशी होगी. उन्होंने कहा, यह बेहद दुख और चिंता की बात है कि गुजरात के अलंग में INS Viraat को कबाड़ में तब्दील करने का कार्य शुरू किया जा चुका है. राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी का यह पत्र ऐसे वक्त आया है, जब सेवा से मुक्त विमानवाहक पोत आईएनएस विराट को गुजरात के अलंग ले जाया रहा है. शिप ब्रेकर कंपनी इस जहाज युद्धपोत को तोड़कर कबाड़ में तब्दील करेगी.
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वहीं एक निजी कंपनी एनवीटेक (Envitech) ने इस युद्धपोत को खरीदने और संरक्षित कर नौसेना (Navy) के स्मारक में तब्दील करने की याचिका लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा. एनवीटेक के प्रस्ताव को रक्षा मंत्रालय पहले ही खारिज कर चुका है. युद्धपोत 35.8 करोड़ रुपये में श्री राम शिपब्रेकर्स (Shri Ram ShipBreakers) को भेजा जा चुका है. समूह के प्रमुख मुकेश पटेल ने कहा कि केंद्र सरकार की एनओसी के बिना वह ऐसे किसी कार्य में शामिल नहीं होना चाहते. पटेल ने कहा कि अगर सरकार एनओसी देती है और एनवीटेक एक बार में पूरा भुगतान कर देती है तो ही ऐसा संभव है. युद्धपोत के लिए करीब 110 करोड़ रुपये की कीमत आंकी गई है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath singh) को संबोधित पत्र में चतुर्वेदी ने लिखा, हमें एक देश के तौर पर सेवा से मुक्त नौसेना के जहाज का इस्तेमाल नागरिकों को सैन्य इतिहास के बारे में बेहतर जानकारी देने के लिए करना चाहिए. यह दुख की बात है कि युद्धपोत को संग्रहालय का प्रस्ताव पहले ही दिया जा चुका है, लेकिन रक्षा मंत्रालय इसके लिए एनओसी नहीं दे रहा है. आईएनएस विराट को लेकर जारी प्रियंका चतुर्वेदी के पत्र एक प्रति एनडीटीवी के पास भी है. भारतीय नौसेना से जुड़ने से पहले आईएनएस विराट रॉयल नेवी में एचएमवी हर्मेस केन के नाम से सेवाएं दे चुका है. उसने साउथ अटलांटिक में 1982 में फॉकलैंड आईलैंड युद्ध में हिस्सा लिया था.
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