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This Article is From Nov 12, 2019

महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिरोध : क्यों लगा राष्ट्रपति शासन? यह हैं 5 प्रमुख आधार

महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिरोध बरकरार, दावे के बावजूद शिवसेना समर्थन के पत्र नहीं दे सकी‬ तथा और अधिक समय मांगा

महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिरोध : क्यों लगा राष्ट्रपति शासन? यह हैं 5 प्रमुख आधार
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

महाराष्‍ट्र में राष्‍ट्रपति शासन के लिए राज्‍यपाल की सिफारिश को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. इसे मंजूरी के लिए राष्‍ट्रपति के पास भेजा गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जल्द ही इस सिफारिश को मंजूरी दे दी और महाराष्ट्र में आखिरकार राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. हालांकि राज्‍यपाल की राष्ट्रपति शासन की सिफारिश के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई है. सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने के पीछे मुख्य रूप से पांच आधार हैं. महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक गतिरोध के दौरान पांच प्रमुख तथ्यों को आधार बनाकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश केंद्र को भेजी थी.

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश के पीछे पांच आधार-

1. महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिरोध बरकरार

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2. दावे के बावजूद शिवसेना समर्थन के पत्र नहीं दे सकी‬ तथा और अधिक समय मांगा.

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3. नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने भी और समय मांगा‬.

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4. विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगने लगे.

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5.  कांग्रेस ऊहापोह की स्थिति में बनी रही.

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सूत्रों के अनुसार उक्त तथ्यों के आधार पर राज्यपाल ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए सिफारिश की थी. इसको केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी. बाद में राष्ट्रपति ने भी हरी झंडी दे दी और महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग गया.

उधर राज्‍यपाल की इस सिफारिश के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. शिवसेना का कहना है कि राज्‍यपाल ये सब बीजेपी के इशारे पर किया. शिवसेना का कहना है कि राज्‍यपाल ने पार्टी को सिर्फ 24 घंटे का समय दिया. बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री के विदेश दौरे से पहले हुई कैबिनेट बैठक में महाराष्‍ट्र के मुद्दे पर चर्चा हुई और राज्‍यपाल की सिफारिश को मान लिया गया.

बीजेपी को 48 घंटे दिए, शिवसेना को सिर्फ 24 घंटे; राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गुहार

शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में राज्यपाल द्वारा महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करने के फैसले को चुनौती दी है. शिवसेना ने कहा है कि उसने NCP और कांग्रेस से समर्थन पत्र हासिल करने के लिए तीन दिन का समय मांगा था, लेकिन राज्यपाल ने खारिज कर दिया. शिवसेना का कहना है कि राज्यपाल ने बीजेपी को यह बताने के लिए 48 घंटे का समय दिया कि क्या वह सरकार बना सकती है, लेकिन  समर्थन पत्र हासिल करने के लिए शिवसेना को सिर्फ 24 घंटे का समय दिया.

शिवसेना ने आरोप लगाया कि राज्यपाल ने सरकार बनाने के अवसर से इनकार करने के लिए बीजेपी के इशारे पर जल्दबाजी में काम किया.

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शिवसेना ने याचिका में कहा है कि राज्यपाल ने इस मामले में फास्ट फार्वड तरीके से काम किया है. राज्यपाल का शिवसेना को वक्त न देने का 11 नवंबर का फैसला अंसवैधानिक, मनमाना, अवैध और समानता के अधिकार का उल्लंघन है. शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह सरकार बनाने के लिए उसे वाजिब समय देने का निर्देश जारी करे.

VIDEO : महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश

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