मध्य प्रदेश के दतिया जिले के रतनगढ़ माता के मंदिर में रविवार को दर्शन करने जा रहे श्रद्धालुओं के बीच भगदड़ मच गई, उसके बाद लोग जान बचाने के लिए पास में बहती सिंध नदी में कूद गए, जिस कारण 109 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में ज्यादातर बच्चे और महिलाएं हैं।
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने देर रात बताया कि अभी तक 109 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गहरा दुख व्यक्त किया है। इस हादसे में 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। राज्य सरकार ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं।
नवरात्र के अंतिम दिन रविवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु रतनगढ़ की माता के मंदिर में दर्शन करने पहुंचे थे। मंदिर से पहले सिंध नदी पुल पर भारी भीड़ थी। पुल के संकरा होने और उस पर बड़ी संख्या में टैक्टरों के पहुंचने से जाम की स्थिति बन गई। जाम के कारण भीड़ बेकाबू हो गई और पुलिस ने वहां हल्का बल प्रयोग कर दिया जिससे भगदड़ मच गई। एक तरफ श्रद्धालु जहां एक-दूसरे को कुचलते हुए भागने की कोशिश में लगे थे तो कई लोग जान बचाने के लिए नदी में कूद गए।
राज्य के मुख्य सचिव एंटोनी डिसा ने दतिया में संवाददाताओं को बताया कि इस हादसे मरने वालों की संख्या 109 हो गई है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे के साथ दतिया पहुंचे डिसा हालात का जायजा लेने रतनगढ़ भी गए। हादसे की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
चंबल परिक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक डीके आर्य ने बताया कि घायलों की संख्या 100 है। राहत व बचाव कार्य जारी है। गोताखोर नदी में तलाशी अभियान चलाए हुए हैं।
जानकारी के अनुसार हादसे के तीन से चार घंटे बाद प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और उसके बाद ही राहत व बचाव कार्य शुरू हुआ। देर रात तक शवों की तलाश का काम जारी था। नदी के पानी का बहाव अधिक होने के कारण मरने वालों की संख्या 100 से ऊपर पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बड़ी संख्या में लोग नदी में कूद रहे थे तो कई भगदड़ में दब गए थे।
दतिया के विधायक और सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने रतनगढ़ पुलिस व प्रशासन का बचाव करते नजर आए। उन्होंने कहा कि भगदड़ मचने की वजह पुलिस लाठीचार्ज नहीं है, बल्कि पुल टूटने की अफवाह के चलते लोगों का जान बचाने के लिए भागना है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए निर्वाचन आयोग की अनुमति से मृतकों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपये मुआवजे देने का ऐलान किया है। राज्यपाल रामनरेश यादव ने भी हादसे पर दुख व्यक्त किया है।
बताया गया है कि रतनगढ़ में हर वर्ष नवरात्र में महानवमी के दिन लाखों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। रविवार को भी मंदिर में भारी भीड़ उमड़ी।
सबसे ज्यादा दिक्कत घायलों को अस्पताल पहुंचाने में हुई। हर तरफ वाहनों की लंबी कतार होने और जाम के कारण घायलों को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो रहा था।
हादसे के बाद गुस्साई भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया। पथराव में दो पुलिस अफसरों सहित 12 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं।
मृतकों का मौके पर ही पोस्टमार्टम कराए जाने की तैयारी चल रही है। कई शवों को दतिया जिला चिकित्सालय भी लाया गया है। प्रशासन तनाव कम करने का हर संभव प्रयास कर रहा है। भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और घायलों को अस्पताल ले जाने के लिए आसपास के जिलों से एंबुलेंस बुलाया गया है।
रतनगढ़ में हादसा होने की जानकारी मिलते ही ग्वालियर के जयारोग्य चिकित्सालय के ट्रॉमा सेंटर को खाली करा लिया गया और चिकित्सकों की तैनात कर दिया गया, ताकि घायलों का ठीक तरह से इलाज हो सके। इसके अलावा चिकित्सकों का दल रतनगढ़ भी भेजा गया है।
इस हादसे के के लिए कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और माकपा के प्रदेश सचिव बादल सरोज ने राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
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