नई दिल्ली:
कुपवाड़ा का माछिल सेक्टर एक बार फिर से चर्चा में है. एक महीने के भीतर दूसरी बार इसी इलाके में एक भारतीय सैनिक के शव को क्षत-विक्षत कर दिया गया. दरअसल पहले से ही माछिल सेक्टर भारतीय सेना के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है.
याद रहे पिछले साल दिसंबर में माछिल में ही 41 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष महादिक आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे. अगस्त में बीएसएफ के तीन जवान इस इलाके में शहीद हो गए थे. भारत के आखिरी गांव से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर एलओसी है और दूसरी तरफ सीमा पार केल है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह आतंकियों का सबसे बड़ा लांचिंग पैड है जहां आतंकियों को मैप रीडिंग और हथियारों को चलाना सिखाया जाता है.
आपको याद दिला दें कि इससे पहले 2013 में पुंछ के मेंढ़र सेना के जवान हेमराज का सिर पाक से आये आतंकियों ने काटा था. समुद्र तल से करीब 6500 फुट से ज्यादा ऊंचाई पर ये इलाका कुपवाड़ा शहर से करीब 80 किमी की दूरी पर है. गौरतलब है कि लाइन ऑफ कंट्रोल के पास ये घने जंगलों का इलाका आतंकियों के घुसपैठ के लिए मुफीद माना जाता है. वे यहां आसानी से छिप जाते हैं.
इसके अलावा यहां का मौसम और इलाके की बनावट भी आतंकियों के पक्ष में जाती है. यहां पर एक तो घना जंगल है तो दूसरे यहां मौसम हमेशा खराब रहता है. साथ में घने जंगल में जंगली जानवर भी पाए जाते हैं. पाक से आने वाले आतंकी इसी रास्ते का इस्तेमाल जम्मू कश्मीर में घुसपैठ के लिए करते हैं. यहां से अगर आतंकी घुसपैठ करते हैं तो आसानी से घाटी में जा सकते हैं. यहां के घने जंगल का इस्तेमाल आतंकी अपने छिपने के लिए करते हैं.
काउबोल गली, सरदारी, सोनार, केल, राट्टा पानी, शार्दी, तेजियान, दुधीनियाल, काटवाड़ा, जूरा और लिपा घाटी आतंकियों के लिए सबसे सक्रिय रास्ते हैं. इनका प्रयोग कुपवाड़ा, बांदीपुरा और बारामुला जिले में दाखिल होने के लिए करते हैं. यहां पर भारत और पाकिस्तान के पोस्ट एक-दूसरे के काफी करीब हैं. दोनों एक दूसरे की हर हरकत पर आसानी से नजर रख सकते है. थोड़ी सी भी चूक भारी पड़ सकती है.
वैसे तो 28-29 सितंबर को सेना के एलओसी पार आतंकियों के लांचिग पैड पर सर्जिकल स्ट्राइक से युद्धविराम के उल्लंघन के मामले काफी बढ़ गए हैं. यही पर 29 अक्टूबर को भी भारत का एक जवान शहीद हो गया था और मंगलवार को एक साथ तीन सेना के जवान पाक कमांडो के हमले में शहीद हो गए. पिछले तीन महीने में इस इलाके से दर्जनों बार से ज्यादा घुसपैठ के प्रयास हुए हैं.
वैसे 2010 में माछिल उस समय चर्चा में आया था, जब एक मुठभेड़ में सेना ने तीन गांव वालों को मार दिया था. इसके बाद कश्मीर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ था और सेना ने मुठभेड़ की जांच के आदेश दिए थे. जांच में मुठभेड़ फर्जी निकली थी और एक पूर्व कमांडिंग ऑफिसर समेत छह जवानों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
याद रहे पिछले साल दिसंबर में माछिल में ही 41 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष महादिक आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे. अगस्त में बीएसएफ के तीन जवान इस इलाके में शहीद हो गए थे. भारत के आखिरी गांव से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर एलओसी है और दूसरी तरफ सीमा पार केल है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह आतंकियों का सबसे बड़ा लांचिंग पैड है जहां आतंकियों को मैप रीडिंग और हथियारों को चलाना सिखाया जाता है.
आपको याद दिला दें कि इससे पहले 2013 में पुंछ के मेंढ़र सेना के जवान हेमराज का सिर पाक से आये आतंकियों ने काटा था. समुद्र तल से करीब 6500 फुट से ज्यादा ऊंचाई पर ये इलाका कुपवाड़ा शहर से करीब 80 किमी की दूरी पर है. गौरतलब है कि लाइन ऑफ कंट्रोल के पास ये घने जंगलों का इलाका आतंकियों के घुसपैठ के लिए मुफीद माना जाता है. वे यहां आसानी से छिप जाते हैं.
इसके अलावा यहां का मौसम और इलाके की बनावट भी आतंकियों के पक्ष में जाती है. यहां पर एक तो घना जंगल है तो दूसरे यहां मौसम हमेशा खराब रहता है. साथ में घने जंगल में जंगली जानवर भी पाए जाते हैं. पाक से आने वाले आतंकी इसी रास्ते का इस्तेमाल जम्मू कश्मीर में घुसपैठ के लिए करते हैं. यहां से अगर आतंकी घुसपैठ करते हैं तो आसानी से घाटी में जा सकते हैं. यहां के घने जंगल का इस्तेमाल आतंकी अपने छिपने के लिए करते हैं.
काउबोल गली, सरदारी, सोनार, केल, राट्टा पानी, शार्दी, तेजियान, दुधीनियाल, काटवाड़ा, जूरा और लिपा घाटी आतंकियों के लिए सबसे सक्रिय रास्ते हैं. इनका प्रयोग कुपवाड़ा, बांदीपुरा और बारामुला जिले में दाखिल होने के लिए करते हैं. यहां पर भारत और पाकिस्तान के पोस्ट एक-दूसरे के काफी करीब हैं. दोनों एक दूसरे की हर हरकत पर आसानी से नजर रख सकते है. थोड़ी सी भी चूक भारी पड़ सकती है.
वैसे तो 28-29 सितंबर को सेना के एलओसी पार आतंकियों के लांचिग पैड पर सर्जिकल स्ट्राइक से युद्धविराम के उल्लंघन के मामले काफी बढ़ गए हैं. यही पर 29 अक्टूबर को भी भारत का एक जवान शहीद हो गया था और मंगलवार को एक साथ तीन सेना के जवान पाक कमांडो के हमले में शहीद हो गए. पिछले तीन महीने में इस इलाके से दर्जनों बार से ज्यादा घुसपैठ के प्रयास हुए हैं.
वैसे 2010 में माछिल उस समय चर्चा में आया था, जब एक मुठभेड़ में सेना ने तीन गांव वालों को मार दिया था. इसके बाद कश्मीर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ था और सेना ने मुठभेड़ की जांच के आदेश दिए थे. जांच में मुठभेड़ फर्जी निकली थी और एक पूर्व कमांडिंग ऑफिसर समेत छह जवानों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
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