अर्जुन मेघवाल
नई दिल्ली:
नोटबंदी की घोषणा के बाद वित्त राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल राजस्थान के अपने निर्वाचन क्षेत्र में एटीएम की कतार में लगे दिखाई दिए. NDTV से बात करते हुए उन्होंने स्वीकार किया कि वह प्रधानमंत्री की नोटबंदी की घोषणा से पहले इससे संबंधित छोटी टीम की योजना का हिस्सा नहीं थे. लेकिन शुरुआती रुझानों को देखते हुए उनका मानना है कि काला धन के खिलाफ मुहिम में सुधार की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है.
अपनी बात को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, ''यहां तक कि एक मकान खरीदने के लिए आपको अधिकांश कैश में भुगतान करना होता था. अब एक साल के भीतर लोगों को इसमें बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. एक आदमी आज वित्त मंत्रालय आया और उसने बताया कि पुराने नोटों में जिस फ्लैट की कीमत 40 लाख रुपये थी, नए नोटों में उसकी कीमत 12 लाख रुपये रह गई है. स्पष्ट रूप से आप इसके परिणाम को देख सकते हैं.''
उल्लेखनीय है कि जब पीएम नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थी तब से 500-1000 के प्रचलित 86 प्रतिशत नोट चलन से बाहर हो गए. उसके बाद से बैंकों में कैश की किल्लत के चलते भारी भीड़ है. देश के दो लाख एटीएम में से तकरीबन आधे एटीएम में ही नई नोटों की आमद संभव हो सकी है. ग्रामीण भारत जोकि मोटेतौर पर अभी तक औपचारिक रूप से बैंकिंग तंत्र से बाहर ही है, वहां किसान सरकार की तमाम रियायती घोषणाओं के बावजूद रबी की फसल बोने के लिए संघर्ष करते दिख रहे हैं.
हालांकि सरकार को यकीन है कि भ्रष्ट लोगों पर लगाम लगाने की इस मुहिम में लोग इन दिक्कतों के बावजूद उसका समर्थन करेंगे. पिछले सप्ताह पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने नोटबंदी के फैसले को ''संगठित लूट और कानूनी लूट-खसोट'' करार दिया था. उनका जवाब देते हुए मेघवाल के बॉस वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कड़े शब्दों में पलटवार करते हुए कहा, "यह निराशाजनक है कि हमें उन लोगों से इस बारे में सुनना पड़ रहा है, जिनकी सरकार के दौरान सबसे ज़्यादा काला धन पैदा हुआ, सबसे ज़्यादा भ्रष्टाचार और घोटाले सामने आए.'' मनमोहन सिंह के कार्यकाल में घोटाले दर घोटाले उजागर होने को 2014 में बीजेपी के हाथों कांग्रेस की करारी हार के प्रमुख कारणों में से एक गिना जाता है.
इस संबंध में मेघवाल ने कहा, ''वह (पूर्व पीएम) अर्थशास्त्री हो सकते हैं लेकिन क्या सबसे अधिक लूट-खसोट उनके कार्यकाल के दौरान नहीं हुई? क्या 2जी घोटाला लूट नहीं था? क्या राष्ट्रमंडल घोटाला लूट नहीं था?'' यह कहते हुए मेघवाल यह भी स्वीकार करते हैं कि नोटबंदी के फैसले से लोगों को परेशानी हो रही है लेकिन जल्दी ही उनका समाधान हो जाएगा.
अपनी बात को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, ''यहां तक कि एक मकान खरीदने के लिए आपको अधिकांश कैश में भुगतान करना होता था. अब एक साल के भीतर लोगों को इसमें बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. एक आदमी आज वित्त मंत्रालय आया और उसने बताया कि पुराने नोटों में जिस फ्लैट की कीमत 40 लाख रुपये थी, नए नोटों में उसकी कीमत 12 लाख रुपये रह गई है. स्पष्ट रूप से आप इसके परिणाम को देख सकते हैं.''
उल्लेखनीय है कि जब पीएम नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थी तब से 500-1000 के प्रचलित 86 प्रतिशत नोट चलन से बाहर हो गए. उसके बाद से बैंकों में कैश की किल्लत के चलते भारी भीड़ है. देश के दो लाख एटीएम में से तकरीबन आधे एटीएम में ही नई नोटों की आमद संभव हो सकी है. ग्रामीण भारत जोकि मोटेतौर पर अभी तक औपचारिक रूप से बैंकिंग तंत्र से बाहर ही है, वहां किसान सरकार की तमाम रियायती घोषणाओं के बावजूद रबी की फसल बोने के लिए संघर्ष करते दिख रहे हैं.
हालांकि सरकार को यकीन है कि भ्रष्ट लोगों पर लगाम लगाने की इस मुहिम में लोग इन दिक्कतों के बावजूद उसका समर्थन करेंगे. पिछले सप्ताह पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने नोटबंदी के फैसले को ''संगठित लूट और कानूनी लूट-खसोट'' करार दिया था. उनका जवाब देते हुए मेघवाल के बॉस वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कड़े शब्दों में पलटवार करते हुए कहा, "यह निराशाजनक है कि हमें उन लोगों से इस बारे में सुनना पड़ रहा है, जिनकी सरकार के दौरान सबसे ज़्यादा काला धन पैदा हुआ, सबसे ज़्यादा भ्रष्टाचार और घोटाले सामने आए.'' मनमोहन सिंह के कार्यकाल में घोटाले दर घोटाले उजागर होने को 2014 में बीजेपी के हाथों कांग्रेस की करारी हार के प्रमुख कारणों में से एक गिना जाता है.
इस संबंध में मेघवाल ने कहा, ''वह (पूर्व पीएम) अर्थशास्त्री हो सकते हैं लेकिन क्या सबसे अधिक लूट-खसोट उनके कार्यकाल के दौरान नहीं हुई? क्या 2जी घोटाला लूट नहीं था? क्या राष्ट्रमंडल घोटाला लूट नहीं था?'' यह कहते हुए मेघवाल यह भी स्वीकार करते हैं कि नोटबंदी के फैसले से लोगों को परेशानी हो रही है लेकिन जल्दी ही उनका समाधान हो जाएगा.
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