केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) बोर्ड परीक्षा में पूछे गए गणित के कठिन प्रश्नपत्र का मुद्दा गुरुवार को लोकसभा में गूंजा। कांग्रेस के एक वरिष्ठ सदस्य ने इस मुद्दे को उठाया और सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करने के लिए कहा।
केरल के एर्नाकुलम से कांग्रेस सांसद के.वी. थॉमस ने शून्यकाल के दौरान कहा कि इससे देश के कई छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने वाले 12वीं कक्षा के कई छात्रों ने पाया कि गणित के सवाल बेहद कठिन थे। उन्होंने कहा, "सरकार को इसे गंभीरतापूर्वक लेना चाहिए। भविष्य में जब प्रश्नपत्र सेट किए जाएं, तो प्रयास होना चाहिए कि उस वक्त अनुभवी व वरिष्ठ लोग मौजूद हों।"
गणित की परीक्षा की 'कठिनाई के स्तर' को लेकर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड :सीबीएसई: की 12वीं कक्षा के छात्रों की शिकायतों के बीच बोर्ड ने इस मामले पर चर्चा के लिए कुछ स्कूल के प्रधानाचार्यों की एक बैठक बुलाई है और इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि क्या प्रश्न-पत्र में अंक देने के मामले में कुछ ढील बरती जा सकती है ।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, एक 'सुधार परीक्षा' के विकल्प पर भी विचार हो सकता है जिसके लिए व्यापक सहमति बनानी होगी। बोर्ड अधिकारियों ने कहा कि प्रश्न-पत्र के स्वरूप में कुछ बदलाव किए गए हैं और हो सकता है कि स्कूलों को इस बारे में सूचित न किया गया हो।
कल हुई अखिल भारतीय परीक्षा के बाद छात्र निराश नजर आए। उन्हें गणित का प्रश्न-पत्र बहुत कठिन लगा । शिक्षकों का भी कहना है कि इस प्रश्न-पत्र के लिए उच्च स्तर के विचार कौशल की जरूरत थी जो परीक्षा के स्वरूप के मुताबिक प्रश्न-पत्र का 10 से 20 फीसदी होता है ।
सीबीएसई के एक अधिकारी ने कहा, 'प्रश्न-पत्र के स्वरूप में कुछ बदलाव हुए हैं और हो सकता है कि उस के अनुरूप कुछ स्कूलों को सूचित न किया गया हो। लिहाजा, हम चाहते हैं कि छात्रों को किसी तरह की परेशानी न हो।' उन्होंने कहा कि यह मुद्दा प्रधानाचार्यों की बैठक में उठाया जाएगा।
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