प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
आखिरकार संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त हो गया। कामकाज के लिहाज से लोकसभा में 102 फिसदी तो राज्यसभा में 46 फिसदी ही काम हुआ। वहीं लोकसभा में 87 फिसदी प्रश्नकाल हुआ तो राज्यसभा में महज 14 फीसदी। दोनों सदनों मे कुल नौ बिल पास हुए। लोकसभा में छह और बिल पास हुए। राज्यसभा के ढंग से न चलने की वजह से सरकार के दस करोड़ रुपए बरबाद हो गए । राज्यसभा में 112 घंटे काम होना था, लेकिन 55 घंटे हंगामे की वजह से बर्बाद हो गए।
सत्र की खास बात रही कि पिछले चार सत्र से लोकसभा में राज्यसभा की तुलना में ज्यादा काम हुआ। राज्यसभा ने बिल के बहस में कम वक्त दिया और छह बिल तो बिना बहस के पास कर दिए गए। प्रश्नकाल के दौरान 14 मंत्रियों ने तारांकित सवाल का जबाब बोलकर नहीं दिए। वैसे तो शीतकालीन सत्र में 14 बिल पेश किए जाने थे लेकिन आठ ही पेश हुए। इतना ही नहीं 20 बिल पास कराने की योजना थी पर हुए केवल आठ ही।
सत्र की खास बात रही कि पिछले चार सत्र से लोकसभा में राज्यसभा की तुलना में ज्यादा काम हुआ। राज्यसभा ने बिल के बहस में कम वक्त दिया और छह बिल तो बिना बहस के पास कर दिए गए। प्रश्नकाल के दौरान 14 मंत्रियों ने तारांकित सवाल का जबाब बोलकर नहीं दिए। वैसे तो शीतकालीन सत्र में 14 बिल पेश किए जाने थे लेकिन आठ ही पेश हुए। इतना ही नहीं 20 बिल पास कराने की योजना थी पर हुए केवल आठ ही।
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