नई दिल्ली:
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने रविवार को कहा कि यदि राज्य के लिए अलग और देश के लिए अलग कानून के बजाय पूरे देश के लिए एक ही कानून चाहिए तो जम्मू एवं कश्मीर में संविधान की धारा 370 के तहत दिया गया विशेष दर्जा समाप्त करना होगा।
आडवाणी ने पूर्ववर्ती जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 60वीं पुण्यतिथि के अवसर पर अपने ब्लॉग पर लिखा है, "देश उस दिन का इंतजार कर रहा है, जब संविधान की धारा 370 समाप्त कर दी जाएगी और दो संविधान एक हो जाएंगे।"
श्यामा प्रसाद ने कश्मीर को विशेष दर्जा के साथ-साथ इसे अपना ध्वज व प्रधानमंत्री देने के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के फैसले का विरोध किया था।
जम्मू एवं कश्मीर पुलिस की हिरासत में 23 जून, 1953 को संदेहास्पद परिस्थितियों में श्यामा प्रसाद की हुई मौत का जिक्र करते हुए आडवाणी ने 'राष्ट्रीय एकीकरण के लिए शहादत देने वाला स्वतंत्र भारत का पहला शहीद' शीर्षक से अपने ब्लॉग में लिखा कि जम्मू एवं कश्मीर में प्रवेश के लिए परमिट व्यवस्था की समाप्ति के अतिरिक्त दो प्रधानमंत्रियों का एक होना, दो सर्वोच्च न्यायालयों का एक होना, दो निर्वाचन प्राधिकरणों का एक होना, दो मुख्य अंकेक्षणों का एक होना.. सब डॉ. श्यामा प्रसाद के बलिदान से संभव हुआ।
आडवाणी ने कानपुर में भारतीय जनसंघ के पहले सत्र को भी याद किया, जहां श्यामा प्रसाद ने 'एक देश में दो प्रधान, दो निशान, दो विधान नहीं चलेंगे' का नारा दिया था।
श्यामा प्रसाद की शहादत का जिक्र करते हुए आडवाणी ने लिखा, "इस वक्त तक न तो सर्वोच्च न्यायालय, न निर्वाचन आयोग और न ही नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को जम्मू एवं कश्मीर पर कोई अधिकार था।" उन्होंने लिखा, "तब तक राज्य के मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री और राज्य के प्रमुख को सदर-ए-रियासत कहा जाता था। न तो राष्ट्रपति और न ही प्रधानमंत्री को जम्मू एवं कश्मीर पर कोई अधिकार था।"
आडवाणी ने लिखा कि श्यामा प्रसाद की शहादत से परिवर्तन आया। जम्मू एवं कश्मीर में प्रधानमंत्री का पद मुख्यमंत्री का हो गया और सदर-ए-रियासत का पद राज्यपाल का हो गया। साथ ही देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का अधिकार भी राज्य तक पहुंच गया।
आडवाणी ने पूर्ववर्ती जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 60वीं पुण्यतिथि के अवसर पर अपने ब्लॉग पर लिखा है, "देश उस दिन का इंतजार कर रहा है, जब संविधान की धारा 370 समाप्त कर दी जाएगी और दो संविधान एक हो जाएंगे।"
श्यामा प्रसाद ने कश्मीर को विशेष दर्जा के साथ-साथ इसे अपना ध्वज व प्रधानमंत्री देने के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के फैसले का विरोध किया था।
जम्मू एवं कश्मीर पुलिस की हिरासत में 23 जून, 1953 को संदेहास्पद परिस्थितियों में श्यामा प्रसाद की हुई मौत का जिक्र करते हुए आडवाणी ने 'राष्ट्रीय एकीकरण के लिए शहादत देने वाला स्वतंत्र भारत का पहला शहीद' शीर्षक से अपने ब्लॉग में लिखा कि जम्मू एवं कश्मीर में प्रवेश के लिए परमिट व्यवस्था की समाप्ति के अतिरिक्त दो प्रधानमंत्रियों का एक होना, दो सर्वोच्च न्यायालयों का एक होना, दो निर्वाचन प्राधिकरणों का एक होना, दो मुख्य अंकेक्षणों का एक होना.. सब डॉ. श्यामा प्रसाद के बलिदान से संभव हुआ।
आडवाणी ने कानपुर में भारतीय जनसंघ के पहले सत्र को भी याद किया, जहां श्यामा प्रसाद ने 'एक देश में दो प्रधान, दो निशान, दो विधान नहीं चलेंगे' का नारा दिया था।
श्यामा प्रसाद की शहादत का जिक्र करते हुए आडवाणी ने लिखा, "इस वक्त तक न तो सर्वोच्च न्यायालय, न निर्वाचन आयोग और न ही नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को जम्मू एवं कश्मीर पर कोई अधिकार था।" उन्होंने लिखा, "तब तक राज्य के मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री और राज्य के प्रमुख को सदर-ए-रियासत कहा जाता था। न तो राष्ट्रपति और न ही प्रधानमंत्री को जम्मू एवं कश्मीर पर कोई अधिकार था।"
आडवाणी ने लिखा कि श्यामा प्रसाद की शहादत से परिवर्तन आया। जम्मू एवं कश्मीर में प्रधानमंत्री का पद मुख्यमंत्री का हो गया और सदर-ए-रियासत का पद राज्यपाल का हो गया। साथ ही देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का अधिकार भी राज्य तक पहुंच गया।