देश के शीर्ष अर्थशास्त्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब देश की अर्थव्यवस्था पिछले पांच साल के दौरान वृद्धि की सबसे खराब गति को निहार रही है. राजीव कुमार ने कहा, "सरकार बिल्कुल समझती है कि समस्या वित्तीय क्षेत्र में है... तरलता (लिक्विडिटी) इस वक्त दिवालियापन में तब्दील हो रही है... इसलिए आपको इसे रोकना ही होगा..."
बिस्किट कंपनी पारले के 10,000 कर्मचारियों पर लटकी छंटनी की तलवार
लिक्विडिटी की हालत पर बोलते हुए नीति आयोग उपाध्यक्ष ने यह भी कहा, "कोई भी किसी पर भी भरोसा नहीं कर रहा है... यह स्थिति सिर्फ सरकार और प्राइवेट सेक्टर के बीच नहीं है, बल्कि प्राइवेट सेक्टर के भीतर भी है, जहां कोई भी किसी को भी उधार देना नहीं चाहता..."
उन्होंने कहा, "दो मुद्दे हैं... एक, आपको ऐसे कदम उठाने होंगे, जो सामान्य से अलग हों... दूसरे, मुझे लगता है कि सरकार को हर वह कदम उठाना चाहिए, जिससे प्राइवेट सेक्टर की चिंताओं में से कम से कम कुछ को तो दूर किया जा सके..."
ऑटो के बाद अब टेक्सटाइल सेक्टर में मंदी की मार, बड़ी तादाद में गईं नौकरियां
भारत का सकल घरेलू उत्पाद, यानी GDP जनवरी-मार्च के दौरान 5.8 फीसदी की दर से बढ़ा. 31 मार्च को खत्म हुए वित्तवर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.8 फीसदी रही थी.
जापानी ब्रोकरेज फर्म Nomura की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में मौजूदा वित्तवर्ष की पहली तिमाही के दौरान GDP में वृद्धि के 5.7 फीसदी तक गिर जाने का अनुमान है, क्योंकि खपत घटी है, निवेश कमज़ोर हुआ है तथा सर्विस सेक्टर का प्रदर्शन खराब हुआ है. हालांकि Nomura ने यह भी कहा है कि जुलाई-सितंबर की तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार होने की उम्मीद है.
रवीश कुमार का ब्लॉग: भारत की अर्थव्यवस्था में मंदी जैसे हालात क्यों?
Nomura की रिपोर्ट में इस मंदी की वजह कमज़ोर होती वैश्विक वृद्धि और उसके परिणामस्वरूप पैदा हुई मांग में कमी के साथ-साथ शैडो बैंकों, यानी गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (NBFC) में जारी संकट को बताया गया है, जो पिछले साल सितंबर में लिक्विडिटी संकट की करारी चोट पड़ने से पहले तक मांग से ज़्यादा कर्ज़े देते चले जा रहे थे.
VIDEO: रवीश कुमार का प्राइम टाइम: पचास लाख नौकरियां गईं हैं टेक्सटाइल में ?