श्रीनगर:
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर की जनता से हिंसा और संघर्ष के अंधकारमय दिनों को पीछे छोड़कर नई सुबह की शुरुआत करने का आह्वान किया। उन्होंने इस बात को सुनिश्चित करने का वादा किया कि हर कश्मीरी गरिमा के साथ रह सके।
दशकों तक हिंसा से पीड़ित रही कश्मीर की जनता को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने साफतौर पर माना कि उन लोगों की शिकायतें हैं।
उन्होंने कहा, अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों से कुशलतापूर्वक निपटने और तेज गति से समाधान किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें इस बात को सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध हैं कि कश्मीर की जनता गरिमा के साथ रहे और उन्हें समान अधिकार और समान अवसर मिलें।
राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार राज्य की यात्रा पर आए मुखर्जी ने ये टिप्पणियां कश्मीर विश्वविद्यालय के 18 वें दीक्षांत समारोह में की।
1990 से हिंसा की चपेट में आने के बाद अब इससे धीरे-धीरे उबर रही घाटी के नागरिकों को अपने सार्थक संबोधन में राष्ट्रपति ने समाज में बड़े पैमाने पर सहिष्णुता की आवश्यकता को रेखांकित किया।
दशकों तक हिंसा से पीड़ित रही कश्मीर की जनता को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने साफतौर पर माना कि उन लोगों की शिकायतें हैं।
उन्होंने कहा, अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों से कुशलतापूर्वक निपटने और तेज गति से समाधान किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें इस बात को सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध हैं कि कश्मीर की जनता गरिमा के साथ रहे और उन्हें समान अधिकार और समान अवसर मिलें।
राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार राज्य की यात्रा पर आए मुखर्जी ने ये टिप्पणियां कश्मीर विश्वविद्यालय के 18 वें दीक्षांत समारोह में की।
1990 से हिंसा की चपेट में आने के बाद अब इससे धीरे-धीरे उबर रही घाटी के नागरिकों को अपने सार्थक संबोधन में राष्ट्रपति ने समाज में बड़े पैमाने पर सहिष्णुता की आवश्यकता को रेखांकित किया।
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