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This Article is From Mar 11, 2018

दो बार असफल होने के बावजूद भी नहीं हारी हिम्मत, बनीं 'उत्तराखंड पीसीएस जे 2016' की टॉपर

उन्होंने हिंदी मीडियम की छात्रा होने के बावजूद इंग्लिश के डर को कभी अपने मन में नहीं आने दिया.

दो बार असफल होने के बावजूद भी नहीं हारी हिम्मत, बनीं 'उत्तराखंड पीसीएस जे 2016' की टॉपर
परिवार के साथ पूनम टोडी
नई दिल्ली: हरिवंश राय बच्चन की एक कविता है की कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती , जिसकी कुछ पक्तियां है-

असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

इस कविता को हकीकत का रूप दिया है देहरादून की रहने वाली पूनम टोडी ने जिन्होंने दो बार असफल होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और अपनी लगन और  मेहनत के बल पर अपना जज बनने का सपना पूरा किया. पूनम वैसे तो वाणिज्य की विद्यार्थी थीं परन्तु एक जज बनने के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने कानून की पढ़ाई की और उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के न्यायिक सेवा सिविल जज जूनियर डिविजन 2016 परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया.

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पूनम उन सब विद्यार्थियों के लिए मिसाल है जो खुद को इंग्लिश मीडियम के छात्रों के आगे कम आंकते है. पूनम से शुरुवात से हिंदी मीडियम में ही पढ़ाई की और उनका मानना है जब वो ऐसा कर सकती है तो हर हिंदी मीडियम का छात्र ऐसा कर सकता है. पूनम ने बताया की हिंदी मीडियम के छात्रों के पास तैयारी के साधानों की कमी होती है इसलिए उन छात्रों को अपनी पाठ्क्रम की किताबे अच्छे से पड़नी चाहिए और सारे टॉपिक्स की बारीकियों में जाना चाहिए. पूनम का मानना है की अगर आपने अपने मन में ठान लिया है की आपको सफलता हासिल करनी है तो फिर आपको सारी बाधाएं छोटी लगेगी उस लक्ष्य के आगे.

जब उनसे उनकी रणनीति के बारे में NDTV ने पूछा तो उन्होंने बताया की ये परीक्षा तीन चरणों में होती है. सबसे पहले प्रीलिम्स, फिर मैन्स और आखिर में साक्षात्कार. उन्होंने प्रीलिम्स और मैन्स की तैयारी साथ- साथ की और कोचिंग के अलावा स्वयं अध्ययन पर ध्यान दिया और सफलता हासिल की. उन्होंने हिंदी मीडियम की छात्रा होने के बावजूद इंग्लिश के डर को कभी अपने मन में नहीं आने दिया और उनका कहना है की हिंदी मीडियम के विद्यार्थियों को अंग्रेजी की मैगज़ीन और किताबे पड़ने की कोशिश अवश्य करनी चाहिए जिससे धीरे- धीरे उनकी अंग्रेजी अच्छी हो जाएगी और वो किताबे और मागज़ीने भी समझ आने लगेगी.

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दो बार वो साक्षात्कार को पास करने  में असफल रही परन्तु हर बार उन्होंने असफलता को एक चुनौती समझा और पूरी तैयारी के साथ दोबारा प्रयास किया और अंत में असफलता को घुटने टेकने पड़े और वो अपने जज बनने के मिशन को पूरा कर पाई. पूनम जज बनकर समाज की सेवा करना चाहती है और, औरों को भी ये ही सलाह देना चाहती है की लगन और मेहनत से सारे मुकाम हासिल किए जा सकते है और ये याद रखें की डर और हार के आगे हमेशा जीत है इसलिए कभी प्रयास करना न छोड़े और आखिरकार जय-जय कार आपकी ही होगी.

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