नई दिल्ली:
दिल्ली की एक अदालत ने तलाकशुदा महिला के साथ बलात्कार करने के आरोपी वकील को बरी करते हुए कहा कि कई मामलों में सहमति से बना संबंध टूटने पर महिलाएं कानून को 'बदले के हथियार' के रूप में इस्तेमाल करती हैं.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव जैन ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत बलात्कार के आरोप से मुक्त करते हुए कहा कि महिला 'परिपक्व' है और वह सहमति देने की क्षमता रखती है.
न्यायाधीश ने कहा, 'कई ऐसे मामले आ रहे हैं, जहां महिलाएं सहमति से शारिरीक संबंध बनाती हैं, लेकिन जब किसी वजह से रिश्ता टूट जाता है तो, महिला कानून को बदला लेने या व्यक्तिगत रंजिश का हथियार बना लेती हैं.' उन्होंने कहा, 'शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच शारिरीक संबंध शिकायतकर्ता की सहमति से थे. इसलिए मैं आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत दंडनीय अपराध के आरोप से बरी करता हूं.'
महिला ने मुकदमा दर्ज कराया था कि उसने आरोपी को दुर्घटना के एक मामले में अपना वकील नियुक्त किया था. उसने आरोप लगाया था कि वकील ने उसके घर में उसके साथ गलत व्यवहार किया और उसके साथ बलात्कार किया. अदालत ने इसी मामले पर सुनवायी करते हुए शुक्रवार को फैसला सुनाया.
अदालत ने कहा, 'शिकायतकर्ता की उम्र घटना के वक्त 38 साल थी, यह सहमति देने के लिए परिपक्व उम्र है. यह ऐसा मामला नहीं है जहां आरोपी ने शिकायतकर्ता से झूठ बोला हो, या फिर झूठे वादे करके शारीरिक संबंध बनाने के लिए उसे फंसाया हो.' उन्होंने कहा, 'दोनों एक-दूसरे को काफी समय से जानते थे. आरोपी उनके घर जाया करता था. दोनों एक-दूसरे से प्रेम करते थे. जब महिला और आरोपी के बीच झगड़ा हुआ, तो उसने बलात्कार का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज करायी, हालांकि दोनों के बीच शारीरिक संबंध सहमति से बने थे.'
अभियोजन पक्ष के अनुसार, दक्षिणी दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके की रहने वाली महिला ने करीब एक दशक पहले तलाक लिया था. कुछ साल बाद उसके साथ एक सड़क दुर्घटना हुई. इस मामले में उसने आरोपी को बतौर वकील नियुक्त किया. इस कारण से वकील उसके घर जाया करता था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव जैन ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत बलात्कार के आरोप से मुक्त करते हुए कहा कि महिला 'परिपक्व' है और वह सहमति देने की क्षमता रखती है.
न्यायाधीश ने कहा, 'कई ऐसे मामले आ रहे हैं, जहां महिलाएं सहमति से शारिरीक संबंध बनाती हैं, लेकिन जब किसी वजह से रिश्ता टूट जाता है तो, महिला कानून को बदला लेने या व्यक्तिगत रंजिश का हथियार बना लेती हैं.' उन्होंने कहा, 'शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच शारिरीक संबंध शिकायतकर्ता की सहमति से थे. इसलिए मैं आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत दंडनीय अपराध के आरोप से बरी करता हूं.'
महिला ने मुकदमा दर्ज कराया था कि उसने आरोपी को दुर्घटना के एक मामले में अपना वकील नियुक्त किया था. उसने आरोप लगाया था कि वकील ने उसके घर में उसके साथ गलत व्यवहार किया और उसके साथ बलात्कार किया. अदालत ने इसी मामले पर सुनवायी करते हुए शुक्रवार को फैसला सुनाया.
अदालत ने कहा, 'शिकायतकर्ता की उम्र घटना के वक्त 38 साल थी, यह सहमति देने के लिए परिपक्व उम्र है. यह ऐसा मामला नहीं है जहां आरोपी ने शिकायतकर्ता से झूठ बोला हो, या फिर झूठे वादे करके शारीरिक संबंध बनाने के लिए उसे फंसाया हो.' उन्होंने कहा, 'दोनों एक-दूसरे को काफी समय से जानते थे. आरोपी उनके घर जाया करता था. दोनों एक-दूसरे से प्रेम करते थे. जब महिला और आरोपी के बीच झगड़ा हुआ, तो उसने बलात्कार का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज करायी, हालांकि दोनों के बीच शारीरिक संबंध सहमति से बने थे.'
अभियोजन पक्ष के अनुसार, दक्षिणी दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके की रहने वाली महिला ने करीब एक दशक पहले तलाक लिया था. कुछ साल बाद उसके साथ एक सड़क दुर्घटना हुई. इस मामले में उसने आरोपी को बतौर वकील नियुक्त किया. इस कारण से वकील उसके घर जाया करता था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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