बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा( sambit patra) की फाइल फोटो.
नई दिल्ली:
एमबीबीएस करने के बाद वह सर्जरी के मास्टर बन बैठे. जनरल सर्जरी में एमएस की की डिग्री के बाद वह संघ लोकसेवा आयोग ( UPSC) की परीक्षा में बैठे. 2003 में सफलता मिली तो दिल्ली के हिंदू राव हास्पिटल में मेडिकल अफसर बन गए. चिकित्सा को भले प्रोफेशन बनाया मगर पैशन तो पॉलिटिक्स का रहा .आखिर में एनजीओ को सीढ़ी बनाया और फिर उतर गए राजनीति में. दिल्ली के स्टेट लेवल के प्रवक्ता से होते हुए आज बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. बात हो रही है डॉक्टर संबित पात्रा की. राजनीति में पकड़ बनाने की महत्वाकांक्षा कहें या फिर सोशल सर्विस की ललक. हिंदू राव हास्पिटल में मेडिकल अफसर बनने के बाद से ही संबित इस दिशा में सक्रिय हो गए थे. 2006 में ही उन्होंने 'स्वराज' नामक एनजीओ बनाकर दलितों पर फोकस शुरू कर दिया था. वह बस्तियों में साथी डॉक्टरों के साथ जाकर मेडिकल कैंप लगाया करते थे. दलितों को शिक्षा और सेहत को लेकर जागरूक करते रहे.
स्वराज एनजीओ से उन्होंने कुछ साथी डॉक्टरों और पुलिस अधिकारियों को भी जोड़ा. दिल्ली में दलितों और वाल्मीकि सफाई कर्मचारियों के बीच संस्कृतकरण (Sanskritisation) नामक आयोजन भी किया करते थे. जिसमें ब्राह्मण पुजारी सफाई कर्मचारियों को मंदिर में प्रवेश कराते थे.13 दिसंबर 1974 को जन्मे पात्रा के जन्मदिन के मौके पर आइए जानते हैं इनके बारे में.
शर्मा के संपर्क से बने प्रवक्ता, फिर चमके पात्रा
जब चिकित्सक के पेशे के साथ सामाजिक सरोकारों से भी पात्रा जुड़े रहे तो उन पर बीजेपी की दिल्ली इकाई के संगठन मंत्री विजय शर्मा की नजर पड़ी. उनके संपर्क में आने के बाद संबित पात्रा की बीजेपी की दिल्ली यूनिट में पकड़ मजबूत हुई और 2010 में वह हरीश खुराना, नलिन कोहली, अमन सिन्हा के साथ पांच प्रवक्ताओं की सूची में शामिल हो गए.संबित पात्रा को अब टीवी चैनलों पर पार्टी का पक्ष रखने का मौका मिलने लगे. 2014 का लोकसभा चुनाव नजदीक आया तो पात्रा का कुछ ज्यादा ही समय टीवी चैनलों पर बीतने लगे. टीवी डिबेट के दौरान नरम और जरूरत पड़ने पर गरम भी हो जाने की शैली से धीरे-धीरे संबित पात्रा ने न केवल दर्शकों बल्कि बतौर प्रवक्ता बीजेपी में भी अपनी पहचान बनाई.
2014 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत की जीत मिली. अक्टूबर 2014 में उन्हें बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं की सूची में शामिल किया गया. कुछ लोग, संबित पात्रा को अमित शाह का करीबी मानते हैं, मगर बीजेपी के एक नेता एनडीटीवी से इस बात को खारिज करते हैं. उनका कहना है- "पात्रा अमित शाह के करीबी नहीं बल्कि पार्टी महासचिव रामलाल के विश्वासपात्र हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं में अमित शाह के सबसे ज्यादा करीब अनिल बलूनी हैं. जो कि टीवी पर भले कम दिखें, मगर बीजेपी में मीडिया विभाग का राष्ट्रीय संयोजक होने के साथ वह अमित शाह के सिपहसालारों में शुमार हैं. यही वजह है कि वह राज्यसभा सांसद भी बनने में सफल रहे. जबकि पात्रा को ओएनजीसी के स्वतंत्र डायरेक्टर पद से ही संतोष करना पड़ा है. वहीं एक और प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा भी सांसद बनने में सफल रहे."
हालांकि, बीजेपी के एक दूसरे नेता इस बात से इत्तफाक नहीं रखते. उनका कहना है कि पात्रा पद से नहीं पार्टी से प्यार करते हैं. वह अमित शाह की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कमेटी में ओडिशा का प्रतिनिधित्व करते हैं. ऐसे में ओडिशा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अच्छा किया तो पात्रा के लिए बड़े मौके खुल सकते हैं. हालांकि संबित पात्रा में कुछ न कुछ कला जरूर है, जिसके चलते उनके आगे आज बीजेपी के कई पुराने प्रवक्ता भी हाशिए पर हो चले हैं.यहां तक कि एमटेक की डिग्री लेकर भी प्राचीन भारतीय वैदिक संस्कृति की गहरी जानकारी रखने वाले सुधांशु त्रिवेदी को भी उतना टीवी चैनलों पर स्पेस नहीं मिल पाता,जितना पात्रा को.
पहली बार लड़े पार्षदी चुनाव, वो भी हारे
2012 में दिल्ली नगर निगम के चुनाव हो रहे थे. संबित पात्रा ने चुनाव लड़ने का फैसला किया. पहले हिंदू राव में मेडिकल अफसर के पद से इस्तीफा दिया और फिर बीजेपी के टिकट पर कश्मीरी गेट के वार्ड नंबर 77 से मैदान में उतर पड़े. उस वक्त डॉ. संबित पात्रा दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता भी थे. संबित पात्रा ने डोर-टू-डोर जबर्दस्त कैंपेनिंग की. बावजूद इसके नगर निगम की पार्षदी का भी चुनाव नहीं जीत सके. जबकि आमतौर पर दिल्ली नगर निगम में बीजेपी की ही हुकूमत चलती आई है. कश्मीरी गेट के 77 नंबर वार्ड के चुनाव में संबित पात्रा 2900 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार हर्ष शर्मा को 4291 मत मिले थे. इस प्रकार 1391 वोटों से संबित पात्रा को चुनाव हारना पड़ा था.
क्या है पात्रा की शिक्षा
संबित पात्रा मूलतः झारखंड के हजारीबाग जिले के रहने वाले हैं. एकेडमिक क्वालिफिकेशन की बात करें तो संबित पात्रा इसमें अव्व्ल हैं. SCB मेडिकल कॉलेज कट्टक, उत्कल यूनिवर्सिटी से 2002 में उन्होंने जनरल सर्जरी में मास्टर ऑफ सर्जरी(एमएस) की डिग्री ली है. जबकि VSS मेडिकल कॉलेज बुर्ला संभलपुर यूनिवर्सिटी से 1997 में एमबीबीएस किए. एमएस की पढ़ाई करने के बाद संबित पात्रा संघ लोक सेवा आयोग(यूपीएससी) की ओर से आयोजित चिकित्सकीय सेवा परीक्षा में बैठे और 2003 में सफल हुए. फिर दिल्ली के हिंदू राव मेडिकल कॉलेज मे डॉक्टर बने.
स्वराज एनजीओ से उन्होंने कुछ साथी डॉक्टरों और पुलिस अधिकारियों को भी जोड़ा. दिल्ली में दलितों और वाल्मीकि सफाई कर्मचारियों के बीच संस्कृतकरण (Sanskritisation) नामक आयोजन भी किया करते थे. जिसमें ब्राह्मण पुजारी सफाई कर्मचारियों को मंदिर में प्रवेश कराते थे.13 दिसंबर 1974 को जन्मे पात्रा के जन्मदिन के मौके पर आइए जानते हैं इनके बारे में.
शर्मा के संपर्क से बने प्रवक्ता, फिर चमके पात्रा
जब चिकित्सक के पेशे के साथ सामाजिक सरोकारों से भी पात्रा जुड़े रहे तो उन पर बीजेपी की दिल्ली इकाई के संगठन मंत्री विजय शर्मा की नजर पड़ी. उनके संपर्क में आने के बाद संबित पात्रा की बीजेपी की दिल्ली यूनिट में पकड़ मजबूत हुई और 2010 में वह हरीश खुराना, नलिन कोहली, अमन सिन्हा के साथ पांच प्रवक्ताओं की सूची में शामिल हो गए.संबित पात्रा को अब टीवी चैनलों पर पार्टी का पक्ष रखने का मौका मिलने लगे. 2014 का लोकसभा चुनाव नजदीक आया तो पात्रा का कुछ ज्यादा ही समय टीवी चैनलों पर बीतने लगे. टीवी डिबेट के दौरान नरम और जरूरत पड़ने पर गरम भी हो जाने की शैली से धीरे-धीरे संबित पात्रा ने न केवल दर्शकों बल्कि बतौर प्रवक्ता बीजेपी में भी अपनी पहचान बनाई.
2014 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत की जीत मिली. अक्टूबर 2014 में उन्हें बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं की सूची में शामिल किया गया. कुछ लोग, संबित पात्रा को अमित शाह का करीबी मानते हैं, मगर बीजेपी के एक नेता एनडीटीवी से इस बात को खारिज करते हैं. उनका कहना है- "पात्रा अमित शाह के करीबी नहीं बल्कि पार्टी महासचिव रामलाल के विश्वासपात्र हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं में अमित शाह के सबसे ज्यादा करीब अनिल बलूनी हैं. जो कि टीवी पर भले कम दिखें, मगर बीजेपी में मीडिया विभाग का राष्ट्रीय संयोजक होने के साथ वह अमित शाह के सिपहसालारों में शुमार हैं. यही वजह है कि वह राज्यसभा सांसद भी बनने में सफल रहे. जबकि पात्रा को ओएनजीसी के स्वतंत्र डायरेक्टर पद से ही संतोष करना पड़ा है. वहीं एक और प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा भी सांसद बनने में सफल रहे."
हालांकि, बीजेपी के एक दूसरे नेता इस बात से इत्तफाक नहीं रखते. उनका कहना है कि पात्रा पद से नहीं पार्टी से प्यार करते हैं. वह अमित शाह की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कमेटी में ओडिशा का प्रतिनिधित्व करते हैं. ऐसे में ओडिशा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अच्छा किया तो पात्रा के लिए बड़े मौके खुल सकते हैं. हालांकि संबित पात्रा में कुछ न कुछ कला जरूर है, जिसके चलते उनके आगे आज बीजेपी के कई पुराने प्रवक्ता भी हाशिए पर हो चले हैं.यहां तक कि एमटेक की डिग्री लेकर भी प्राचीन भारतीय वैदिक संस्कृति की गहरी जानकारी रखने वाले सुधांशु त्रिवेदी को भी उतना टीवी चैनलों पर स्पेस नहीं मिल पाता,जितना पात्रा को.
पहली बार लड़े पार्षदी चुनाव, वो भी हारे
2012 में दिल्ली नगर निगम के चुनाव हो रहे थे. संबित पात्रा ने चुनाव लड़ने का फैसला किया. पहले हिंदू राव में मेडिकल अफसर के पद से इस्तीफा दिया और फिर बीजेपी के टिकट पर कश्मीरी गेट के वार्ड नंबर 77 से मैदान में उतर पड़े. उस वक्त डॉ. संबित पात्रा दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता भी थे. संबित पात्रा ने डोर-टू-डोर जबर्दस्त कैंपेनिंग की. बावजूद इसके नगर निगम की पार्षदी का भी चुनाव नहीं जीत सके. जबकि आमतौर पर दिल्ली नगर निगम में बीजेपी की ही हुकूमत चलती आई है. कश्मीरी गेट के 77 नंबर वार्ड के चुनाव में संबित पात्रा 2900 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार हर्ष शर्मा को 4291 मत मिले थे. इस प्रकार 1391 वोटों से संबित पात्रा को चुनाव हारना पड़ा था.
क्या है पात्रा की शिक्षा
संबित पात्रा मूलतः झारखंड के हजारीबाग जिले के रहने वाले हैं. एकेडमिक क्वालिफिकेशन की बात करें तो संबित पात्रा इसमें अव्व्ल हैं. SCB मेडिकल कॉलेज कट्टक, उत्कल यूनिवर्सिटी से 2002 में उन्होंने जनरल सर्जरी में मास्टर ऑफ सर्जरी(एमएस) की डिग्री ली है. जबकि VSS मेडिकल कॉलेज बुर्ला संभलपुर यूनिवर्सिटी से 1997 में एमबीबीएस किए. एमएस की पढ़ाई करने के बाद संबित पात्रा संघ लोक सेवा आयोग(यूपीएससी) की ओर से आयोजित चिकित्सकीय सेवा परीक्षा में बैठे और 2003 में सफल हुए. फिर दिल्ली के हिंदू राव मेडिकल कॉलेज मे डॉक्टर बने.
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