हिंदी दिवस पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा दिए गए भाषण को लेकर लगातार सियासत जारी है. कई नेताओं द्वारा इस पर बयानबाजी के बाद अब पुद्दुचेरी की राज्यपाल किरण बेदी ने भी रविवार को इस पर बयान दिया. बेदी ने दक्षिण भारतीय लोगों से अपील करते हुए हिंदी भाषा को सीखकर भारत सरकार से जुड़ने को कहा. भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी रहीं बेदी ने आगे कहा कि भाषाएं लोगों के बीच एक भावनात्मक रिश्ता बनातीं थीं. उन्होंने यह भी कहा कि मैं यहां हर समय ट्रांसलेटर का इस्तेमाल करती हूं. लेकिन जो गैर हिंदी भाषी वक्ता हैं वह हमारी भाषा सीखते हैं और अपनी संस्कृति और विरासत से दूरी महसूस नहीं करते.
किरण बेदी ने एनडीटीवी से भी कहा कि उन्होंने अलग-अलग प्रदेशों के लोगों के बीच बहुत ही साफ डिस्कनेक्ट और अंतर देखा है, जिसे अंग्रेजी द्वारा भरा जाता है. हम सब यह डिस्कनेक्ट देखते हैं. हमेशा सबको जोड़ने वाली भाषा हिंदी नहीं हो सकती. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'स्वतंत्रता दिवस' और 'मन की बात' के भाषण का दक्षिण के लोग हमेशा अनुवाद ही सुनते हैं. शनिवार को गृहमंत्री अमित शाह द्वारा हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाने और देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बताए जाने के बाद हिंदी पर फिर से बहस शुरू हो गई है. शाह ने हिंदी को देश को एकजुट करने वाली भाषा भी बताया था.
इसके बाद विपक्ष के कई नेताओं ने इस पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. पुद्दुचेरी के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता वी नारायण सामी ने गृहमंत्री अमित शाह को दक्षिण भारतीय राज्यों पर हिंदी को न थोपने को लेकर चेतावनी भी दी.सामी ने कहा कि हिंदी को थोपकर हम देश को एक नहीं रख सकते. उन्होंने न्यूज एजेंसी एनआई से कहा कि हमें सभी धर्मों, संस्कृतियों और भाषाओं का सम्मान करना चाहिए और काम करने का यही तरीका होना चाहिए.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने की हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाने की अपील
तमिलनाडु में विपक्ष के नेता एमके स्टालिन भी अमित शाह को तमिलनाडु में हिंदी विरोधी भड़काने को लेकर चेताया और अमित शाह के बयान को लेकर उनकी निंदा की.स्टालिन ने कहा 'यह इंडिया है हिंडिया नहीं'. उन्होंने कहा कि केंद्र दूसरे भाषाई युद्ध के लिए तैयार रहे अन्यथा पीएम मोदी इस पर अपनी सफाई दें.
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी अमित शाह के बयान को युद्ध की चीख बताया. किरण बेदी जो 3 साल पहले राज्यपाल बनाई गईं थीं ने पुद्दुचेरी सरकार साथ काफी कड़ा संघर्ष झेला. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें एक ट्रांसलेटर की आवश्यकता है और उसको लेकर वह आशावान भी हैं कि वह तकनीकी रूप से उनकी समस्या को सॉल्व करने मैं उनकी मदद करेगा. मैंने छोटे शब्दों को सीखा क्योंकि हमारे पास कोई ट्रांसलेटर नहीं था. मुझे विश्वास है कि जल्द ही ट्रांसलेशन के लिए एक नया सॉफ्टवेयर आएगा. मैं आपसे कहना चाहती हूं कि वह दिन दूर नहीं जब हमारे पास एक सॉफ्टवेयर होगा जिससे हमारी आवाज जल्दी से आपसे जुड़ेगी.
बेदी ने कहा कि इसलिए मुझे विश्वास है कि जल्द ही यह तकनीकी गूगल के द्वारा मिलेगी. आपको बता दे कि हिंदी पर बहस को लेकर जून माह में सुर्खियां बनीं थीं, जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019 में दक्षिण भारतीय राज्यों में स्कूल में बच्चों को अनिवार्य रूप से हिंदी सिखाने को लेकर एक ड्राफ्ट जोड़ा गया था. इसके बाद तमिलनाडु दोनों मुख्य राजनीतिक पार्टियां द्रमुक और अन्नाद्रमुक ने एक साथ मिलकर विरोध प्रदर्शन किया था और इसका कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के द्वारा समर्थन किया गया था.
जानिए क्यों हिंदी को नहीं मिल पाया भारत की राष्ट्रीय भाषा का दर्जा
इसके अलावा पश्चिम बंगाल की की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केरल से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी जबरन हिंदी थोपने को लेकर सरकार को चेतावनी दी थी.थरूर ने एएनआई से कहा था कि दक्षिण के लोग हिंदी को दूसरी भाषा के रूप में सीखना चाहते हैं जबकि उत्तर में कोई भी तमिल और मलयालम को नहीं सीखना चाहता.
Video: अमित शाह के हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने वाले बयान पर विपक्षी नेताओं ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
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