केरल सरकार ने गुरुवार को दावा किया कि उसने तमिलनाडु को 20 लाख लीटर पेयजल मुहैया कराने की गुरुवार को इच्छा जताई थी लेकिन तमिलनाडु ने ‘अभी मदद की जरूरत नहीं है' कहते हुए इस पेशकश को ठुकरा दिया. हालांकि तमिलनाडु सरकार ने पेशकश ठुकराने वाली बात से इंकार किया है. उनका कहना है कि मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी शुक्रवार को आयोजित होने वाली एक समीक्षा बैठक में इस पर चर्चा करने के बाद उचित फैसले की घोषणा करेंगे.
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वहीं द्रमुक प्रमुख एम के स्टालिन ने तमिलनाडु सरकार से अपील की है कि वह लोगों की मदद करने के लिए केरल के साथ मिलकर काम करें. स्टालिन ने केरल के मुख्यमंत्री की इस पेशकश के लिए उनका आभार जताया. इससे पहले केरल के मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान जारी किया था, ‘‘जैसा कि चेन्नई के बड़े जलाशय पानी की कमी का सामना कर रहे हैं तो ऐसी स्थिति में केरल सरकार ने मदद का हाथ बढ़ाने का निर्णय लिया है.''
बता दें, उमस भरी गर्मी और तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई को ढंग से पानी नसीब नहीं है क्योंकि पाइप लाइन से आने वाले पानी की आपूर्ति में चालीस फीसदी की कटौती कर दी गई है. शहर के चार जलाशय सूख गए हैं. चेन्नई मेट्रो वॉटर एजेंसी पाइप के जरिए दिन में केवल 525 मिलियन लीटर की आपूर्ति करती है. जबकि शहर को हर दिन 800 मिलियन लीटर पानी की आवश्यकता होती है. ऐसे में लोगों के काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
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चेन्नई के अधिकांश निवासी अब निजी पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं, जो पहले से ही महंगा है और अब कीमतें दोगुनी हो गई हैं, लेकिन फिर भी पानी समय पर नहीं पहुंचता है. राष्ट्रीय जल अकादमी के पूर्व निदेशक मनोहर खुशालानी ने एनडीटीवी को बताया, "2015 में, चेन्नई में बाढ़ आई थी. उसी कारण जिससे बाढ़ आई थी उसी से ये सूखा है. जलाशयों और नहरों का संग्रहण करना पड़ेगा और अतिक्रमण को रोकना चाहिए."
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(इनपुट भाषा से)
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