शुक्रवार को श्रीनगर में प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों पर पथराव किया और पाकिस्तान के झंडे लहराए.
नई दिल्ली: कश्मीर को लेकर थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की चेतावनी का असर कश्मीर में दिखाई नहीं दे रहा है. श्रीनगर में शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों पर न केवल पत्थर फेंके बल्कि पाकिस्तानी झंडे भी लहराए. यही नहीं इन नकाबपोश उपद्रवियों ने देश विरोधी नारे भी लगाए.
गौरतलब है कि बुधवार को सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोग जिस तरह से सुरक्षाबलों को अभियान संचालित करने से रोक रहे हैं उससे अधिक संख्या में जवान हताहत हो रहे हैं तथा ‘कई बार तो वे आतंकवादियों को भागने में सहयोग करते हैं.’ साथ ही उन्होंने कहा था कि हम स्थानीय लोगों से अपील करते हैं कि अगर किसी ने हथियार उठा लिए हैं, और वह स्थानीय लड़के हैं, अगर वे आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहना चाहते हैं, आईएसआईएस और पाकिस्तान के झंडे लहराते हैं तो हम लोग उन्हें राष्ट्र विरोधी तत्व मानेंगे और उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे.
श्रीनगर में लोगों ने जामा मस्जिद के बाहर जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शन किए. प्रदर्शनकारियों को काबू में लाने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गए. जानकारों का कहना है कि कश्मीर में फिर से हिंसा और उपद्रव का दौर का शुरू करने के नापाक मंसूबे बनाए जा रहे हैं. घाटी में तैनात एजेंसियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट में मार्च से हिंसा भड़कने की आशंका जताई है. रिपोर्ट के मुताबिक अलगाववादियों और आतंकी संगठनों के सोची समझी रणनीति के तहत फिर से व्यापक विरोध प्रदर्शन और हमले की योजना बन रही है ताकि माहौल फिर से खराब किया जा सके.
हालांकि राज्य सरकार ने एक बार फिर मुठभेड़ स्थलों के तीन किमी के क्षेत्रों को प्रतिबंधित करने का आदेश दिया है. अधिकारियों ने आम लोगों से उन जगहों से दूर रहने को कहा है जहां सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ चल रही हो. आम लोगों से कहा गया है कि वे ऐसी जगहों पर जाने से बचें ताकि मुठभेड़ के दौरान गोलाबारी में लोग हताहत न हों.
जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी एसपी वैध ने कहा कि सुरक्षा बल साझा ऑपरेशन चलाते हैं और इसमें कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे मुठभेड़स्थल के पास न जाएं क्योंकि क्रास फायरिंग में उनकी जान जा सकती है. डीजीपी ने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि किसी निर्दोष की जान जाए. डीजी ने माना कि प्रदर्शनकारियों से निपटना एक बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि वे लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं उनको गुमराह करके गलत रास्ते पर ले जाने की कोशिश की जा रही है. लोगों को सही रास्ते को चुनना चाहिए और सुरक्षाबलों के काम में बाधा नही डालनी चाहिए.
पिछले साल हिजबुल आतंकी बुरहान बानी के मारे जाने के बाद कश्मीर में हुए हिंसक प्रदर्शन में 90 से ज्यादा लोग मारे गए और हजारों घायल हुए. हालात को पटरी पर लाने के लिए कई जवान भी शहीद हुए और घायल हुए. बड़ी बात यह है कि जम्मू-कश्मीर के हालात बड़ी मुश्किल से सुधरे हैं. कहीं ऐसा न हो कि वह फिर से हिंसा की चपेट में आ जाए.